युवक की हत्या के मामले में रामपाल की नियमित जमानत की मांग को हाई कोर्ट ने किया खारिज
Punjab and Haryana High Court ने करौंथा आश्रम के संचालक रामपाल की नियमित जमानत की मांग को खारिज करते हुए याचिका वापस लेने की छूट दे दी।
जेएनएन, चंडीगढ़। पंजाब एंव हरियाणा हाई कोर्ट ने करौंथा आश्रम के संचालक रामपाल की नियमित जमानत की मांग को खारिज करते हुए याचिका वापस लेने की छूट दे दी। गत दिवस मामले की सुनवाई के दौरान सरकारी वकील ने कोर्ट को बताया कि इस मामले में रोहतक पुलिस ने जुलाई 2006 में रामपाल के खिलाफ हत्या, आम्र्स एक्ट समेत कई धारा के तहत केस दर्ज किया था। इसमें कुल 128 गवाह हैैं, जिनमें से 125 की गवाही हो चुकी है। रामपाल को पहले ही अन्य दो मामलों में उम्रकैद की सजा हो चुकी है। ऐसे में इस मामले में जमानत देने का कोई औचित्य नही है।
सरकारी वकील का पक्ष सुनने के बाद चीफ जस्टिस पर आधारित बेंच ने कहा कि वो इस याचिका को खारिज कर रहे हैं। इस पर रामपाल के वकील की तरफ से याचिका वापस लेने की छूट देने का आग्रह किया गया। जिस पर चीफ जस्टिस ने याचिका वापस लेने की छूट देते हुए याचिका को खारिज कर दिया।
बता दें कि रामपाल ने 2003 में करौंथा में सतलोक आश्रम खोला था, जहां हजारों की संख्या में अनुयायी आने लगे। इस दौरान स्वामी दयानंद द्वारा लिखित पुस्तक सत्यार्थ प्रकाश पर कथित टिप्पणी के चलते आर्य समाजी नाराज हो गए।
2006 में हजारों की संख्या में ग्रामीण करौंथा आश्रम के नजदीक एकत्रित हुए, जिसमें आर्य समाजी भी रहे। तनाव के बीच गोली लगने से झज्जर के युवक सोनू की मौत हो गई। ड्यूटी मजिस्ट्रेट की मौजूदगी में जब आश्रम की तलाशी ली गई तो वहां से चार लाइसेंसी बंदूकों सहित कई हथियार व कारतूस बरामद हुए। इसके बाद रामपाल व उसके साथियों के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया गया था।
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