Haryana Rajya Sabha Polls: अब पछताये होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत!

कांग्रेस पर्यवेक्षक और एजेंट के नाते अपनी पार्टी के विधायकों का वोट देखने की जिम्मेदारी विवेक बंसल की थी। उन्होंने कुलदीप बिश्नोई का क्रास वोट तो देख लिया था लेकिन वह ऐसा वोट नहीं देख पाए जिसमें गलती से दो डंडों की बजाय टिक का निशान लगा दिया गया था।

By Sanjay PokhriyalEdited By: Publish:Wed, 15 Jun 2022 11:51 AM (IST) Updated:Wed, 15 Jun 2022 11:51 AM (IST)
Haryana Rajya Sabha Polls: अब पछताये होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत!
हरियाणा के नवनिर्वाचित राज्यसभा सदस्य कृष्णलाल पंवार (बाएं) और कार्तिकेय शर्मा (दाएं) नतीजों के बाद मुख्यमंत्री मनोहर के साथ। जागरण

पंचकूला, अनुराग अग्रवाल। हरियाणा में राज्यसभा की दो सीटों के चुनाव नतीजे आ चुके हैं, जिसके बाद से प्रदेश की राजनीति में जबरदस्त हलचल है। 90 सदस्यीय विधानसभा में विधायकों के संख्याबल के आधार पर एक सीट पर भाजपा और दूसरी सीट पर कांग्रेस की जीत तय थी, लेकिन हुआ ठीक इसका उलटा। बड़े ही नाटकीय अंदाज में भाजपा राज्यसभा की दोनों सीटों पर जीत हासिल कर गई। कांग्रेस में क्रास वोटिंग होने के साथ ही एक वोट रद हो गया, जो भाजपा समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा की जीत का कारण बना। कांग्रेस विधायकों से लेकर पार्टी प्रभारी विवेक बंसल, पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा, पार्टी प्रत्याशी अजय माकन और कांग्रेस पर्यवेक्षक राजीव शुक्ला तक सभी को पता है कि किस विधायक का वोट रद हुआ है, लेकिन कोई अपने मुंह से कहने को तैयार नहीं है। सिर्फ रिपोर्ट पर रिपोर्ट तैयार की जा रही है, यह जानते हुए भी कि अब पछताये होत क्या, जब चिड़िया चुग गई खेत।

प्रदेश में सुभाष चंद्रा और दुष्यंत गौतम का कार्यकाल पूरा होने पर राज्यसभा की दो सीटें खाली हुई थीं। इन दोनों सीटों के लिए भाजपा ने पूर्व मंत्री कृष्णलाल पंवार और कांग्रेस ने पूर्व केंद्रीय मंत्री अजय माकन को अपना उम्मीदवार बनाया था। भाजपा सरकार में साझीदार जननायक जनता पार्टी और निर्दलीय विधायकों के समर्थन के बाद पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा के बेटे कार्तिकेय शर्मा को भाजपा ने अपना आशीर्वाद दिया। कार्तिकेय शर्मा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के साथी पूर्व स्पीकर कुलदीप शर्मा के दामाद हैं, जबकि विनोद शर्मा और भूपेंद्र सिंह हुड्डा की दोस्ती भी किसी से छिपी नहीं रही है। विनोद शर्मा की मुख्यमंत्री मनोहर लाल के साथ भी अच्छी मित्रता है। जेसिका लाल हत्याकांड में तिहाड़ जेल में बंद रहे मनु शर्मा की वजह से विनोद शर्मा और ओमप्रकाश चौटाला नजदीक आए। इसके बाद शर्मा परिवार की अजय सिंह चौटाला एवं अभय चौटाला से पारिवारिक नजदीकियां बढ़ती चली गईं। कांग्रेस विधायक किरण चौधरी के पति स्व. सुरेंद्र सिंह के साथ भी विनोद शर्मा की अच्छी ट्यूनिंग रह चुकी है। इन तमाम राजनीतिक संबंधों के पारिवारिक रिश्ते में बदलने के बाद ऐसा खेल बना कि कार्तिकेय शर्मा चुनाव जीत गए।

राज्यसभा चुनाव के दौरान भाजपा प्रत्याशी कृष्णलाल पंवार की जीत में कोई बाधा नहीं आई। मुख्य मुकाबला कांग्रेस के अजय माकन और भाजपा-जजपा तथा निर्दलीय विधायकों द्वारा समर्थित उम्मीदवार कार्तिकेय शर्मा के बीच ही हुआ। कांग्रेस के पास अपनी यह सीट जीतने के लिए विधायकों का पर्याप्त संख्या बल था। प्रदेश अध्यक्ष नहीं बनाए जाने से नाराज आदमपुर के कांग्रेस विधायक कुलदीप बिश्नोई ने इस चुनाव में खुली क्रास वोटिंग की और अपना वोट कार्तिकेय को दिया। इसके बावजूद कांग्रेस को लग रहा था कि 30 विधायकों के संख्या बल के आधार पर बाजी उसके हाथ में ही रहने वाली है। मतदान आरंभ होने के बाद दो वोटों पर झगड़ा भी हुआ। रात को करीब तीन बजे जब मतों की गिनती की गई तो पता चला कि कांग्रेस का एक वोट रद हो गया है। कार्तिकेय शर्मा की जीत के एलान के साथ ही कांग्रेस में आरोप-प्रत्यारोप की राजनीति जोर पकड़ गई। कार्तिकेय शर्मा की इस जीत में मुख्यमंत्री मनोहर लाल का रणनीतिक कौशल तो काम आया ही, साथ ही जजपा एवं निर्दलीय विधायकों का पूरी निष्ठा के साथ सरकार के साथ खड़े रहना भी अहम रहा।

कांग्रेस कुलदीप बिश्नोई को पार्टी के सभी पदों से हटा चुकी है। अब विनोद शर्मा और कुलदीप बिश्नोई को देर सवेर भाजपा में लेने की तैयारियां की जा रही हैं। कांग्रेस सांसद दीपेंद्र सिंह हुड्डा ने हाल में एक ट्वीट कर कहा कि उनके सभी 29 विधायकों ने धन-बल-भय के आगे अपनी हार नहीं मानी और उन्होंने पार्टी प्रत्याशी अजय माकन के पक्ष में अपना वोट पोल किया। एक ऐसा विधायक कौन था, जिसने निष्ठा नहीं निभाई, उसका नाम कोई खुले रूप से नहीं ले रहा है। हालांकि यह विधायक भी पूरी तरह से बेफिक्र है और भाजपा में आने के लिए उसके दरवाजे खोल दिए गए हैं, पर कांग्रेस इस सकते में है कि आखिर इस विधायक को तोड़ने में भाजपा या विनोद शर्मा कैसे कामयाब हो गए।

कांग्रेस पर्यवेक्षक और एजेंट के नाते अपनी पार्टी के विधायकों का वोट देखने की जिम्मेदारी विवेक बंसल की थी। उन्होंने कुलदीप बिश्नोई का क्रास वोट तो देख लिया था, लेकिन वह ऐसा वोट नहीं देख पाए, जिसमें गलती से दो डंडों की बजाय टिक का निशान लगा दिया गया था। कांग्रेस का एक बड़ा खेमा यह मानकर चल रहा है कि इस पूरे खेल में गलत वोट करने वाले विधायक के साथ-साथ पार्टी प्रभारी की भूमिका को भी पाक-साफ नहीं कहा जा सकता। हालांकि पार्टी प्रभारी को तीन विधायकों पर शक है और वह कहते हैं कि यदि उन्हें इस गलत वोट का पता भी चल जाता तो उस विधायक को रोक नहीं सकते थे, लेकिन फिर भी वह गच्चा खा गए।

कांग्रेस में चर्चा तो यहां तक है कि इस वोट कांड के तार हिमाचल से जुड़े हुए हैं। ठीक पोलिंग के दिन हिमाचल का कोई आदमी चंडीगढ़ में एमएलए हास्टल में किसी विधायक से तड़के साढ़े तीन बजे मिला। फिर उस विधायक ने पार्टी में ही किसी वरिष्ठ से बात कर सेटिंग की। इस तरह कांग्रेस पूरा खेल हार गई। बहरहाल यह विधायक कौन था, यह जांच करना कांग्रेस पार्टी का अंदरूनी मामला है, लेकिन राज्यसभा के इन चुनाव नतीजों ने प्रदेश की राजनीति में नए समीकरण पैदा कर दिए हैं, जो आने वाले लोकसभा और विधानसभा चुनाव के हिसाब से काफी अहम कहे जा सकते हैं।

[राज्य ब्यूरो प्रमुख, हरियाणा]

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