चुनाव हार चुके भाजपा नेताओं और पूर्व विधायकों को तव्‍वजो देगी हरियाणा सरकार, होगी सुनवाई

हरियाणा सरकार अब राज्‍य में भाजपा के पूर्व विधायकाें और चुनाव में पराजित हुए पार्टी नेताओं की शिकायतों को दूर करेगी। हरियाणा इन नेताओं को तव्‍वजाे देगी और उनकी सुनवाई करेगी। सीएम मनोहरलाल इन नेताओं से नियमित रूप से मिलेंगे।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Publish:Thu, 01 Oct 2020 08:58 AM (IST) Updated:Thu, 01 Oct 2020 08:58 AM (IST)
चुनाव हार चुके भाजपा नेताओं और पूर्व विधायकों को तव्‍वजो देगी हरियाणा सरकार, होगी सुनवाई
हरियाणा के मुख्‍यमंत्री मनोहरलाल। ( फाइल फोटो )

चंडीगढ़, [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा की भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार में अब विभिन्न विधानसभा क्षेत्रों में चुनाव हार चुके उम्मीदवारों तथा पूर्व विधायकों की भी सुनवाई होगी। मुख्यमंत्री मनोहर लाल ऐसे तमाम उम्मीदवारों और पूर्व विधायकों के साथ सीधा संवाद करेंगे। इन उम्मीदवारों और पूर्व विधायकों से संबंधित विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले विकास कार्यों का फीडबैक लिया जाएगा। मुख्यमंत्री जनहित के ऐसे तमाम कार्यों को स्वीकृति देंगे, जिनके प्रस्ताव इन उम्मीदवारों अथवा पूर्व विधायकों की ओर से सौंपे जाएंगे।

विधायकों की तरह पार्टी उम्मीदवारों व पूर्व विधायकों से हर बुधवार मिलेंगे सीएम

हरियाणा में 90 विधानसभा क्षेत्र हैं। 75 पार का नारा देने के बावजूद भाजपा 40 विधानसभा सीटों पर ही अपने उम्मीदवार जिता सकी। बाकी 50 विधानसभा सीटें ऐसी हैंं, जहां विपक्ष के विधायक चुनकर आए। इनमें कांग्रेस के 31, जजपा के 10, हलोपा व इनेलो के एक-एक तथा सात निर्दलीय विधायक शामिल हैं।

जजपा के 10 विधायक भाजपा सरकार में साझीदार हैं, जबकि सात निर्दलीय विधायकों में से पांच ने सरकार को अपना समर्थन दे रखा है। भाजपा को लगता है कि जिन विधानसभा क्षेत्रों में पार्टी उम्मीदवारों की हार हुई, वहां अभी से अगले चुनाव का बेस (आधार) बनाकर चलना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो भविष्य में पार्टी को दिक्कतों का सामना करना पड़ सकता है।

90 विधानसभा क्षेत्रों में से 50 में चुनाव हार चुकी भाजपा करेगी जनाधार मजबूत

मुख्यमंत्री ने इस सोच को क्रियान्वित करने की मंशा से सभी प्रत्याशियों के साथ हर बुधवार को शाम दो घंटे मुलाकात करने का समय तय किया है। मंगलवार को मुख्यमंत्री अपने निवास पर विधायकों से मिलते हैं। उनसे किसी भी पार्टी का विधायक मिल सकता है, लेकिन अधिकतर विधायक भाजपा के ही होते हैं, जो अपने काम लेकर तथा निजी समस्याएं लेकर मुख्यमंत्री निवास तक पहुंचते हैं।

उसी तर्ज पर अब बुधवार को उम्मीदवारों के साथ-साथ पूर्व विधायकों की सुनवाई होगी। भाजपा के रणनीतिकारों को लगता है कि ऐसा करने से दूसरे राजनीतिक दलों के मौजूदा विधायकों के समानांतर भाजपा उम्मीदवारों को खड़ा किया जा सकेगा। मुख्यमंत्री की इस कार्यवाही को भाजपा की अभी से अगले चुनाव की तैयारी के रूप में जोड़कर देखा जा रहा है।

कार्यकर्ताओं को फिर से एकजुट कर सकेंगे पूर्व उम्मीदवार

भाजपा के चुनाव हारने वाले उम्मीदवारों तथा पूर्व विधायकों को अक्सर यह शिकायत रहती है कि न तो उनकी सुनवाई होती है और न ही उनके द्वारा बताए जाने वाले काम होते हैं। इससे हलकों में विपक्ष के मौजूदा विधायक ज्यादा पावरफुल होते हैं। पूर्व उम्मीदवारों की सुनवाई अथवा काम नहीं होने से कार्यकर्ता भी कन्नी काटते देर नहीं लगाते। जब उनके काम होंगे तो कार्यकर्ता पूर्व उम्मीदवारों के हक में लामबंद हो सकेंगे तथा पार्टी को राजनीतिक तौर पर मजबूती मिल सकेगी। भाजपा जिलाध्यक्षों ने भी सरकार तक यह बात पहुंचाई है कि उनके भी मुख्यमंत्री से मिलने का समय सुनिश्चित किया जाना चाहिए, ताकि कार्यकर्ताओं की बात और काम दोनों की सुनवाई हो सके।

'सीएम का किसी के प्रति राजनीतिक भेदभाव नहीं'

'' मुख्यमंत्री मनोहर लाल की सोच दूरदर्शी है। वह पार्टी के छोटे से छोटे कार्यकर्ता का सम्मान करना जानते हैं। उनकी पीड़ा और दिक्कत समझते हैं। जिन हलकों में हमारे विधायक नहीं हैं, वहां भी मुख्यमंत्री बिना किसी राजनीतिक भेदभाव के विकास कार्यों को मंजूरी प्रदान करते हैं तथा ग्रांट देते हैं। विपक्ष के कई विधायक लगातार मुख्यमंत्री के पास अपने कामों के लिए आते हैं। इसी तरह अब उन्होंने पार्टी के पूर्व उम्मीदवारों व पूर्व विधायकों तथा जिलाध्यक्षों से मुलाकात कर उनकी बात सुनने तथा विकास कार्यों को मंजूरी देने का निर्णय लिया है। यह काफी सकारात्मक कदम है।

                                                                             - कृष्ण कुमार बेदी, मुख्यमंत्री के राजनीतिक सचिव।

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