लेखन में अनुभूति एवं संवेदना को महत्व दें : सक्सेना

जागरण संवाददाता, पंचकूला : हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित 'शब्द शक्ति' की श्रृंखल

By JagranEdited By: Publish:Sun, 10 Sep 2017 06:16 PM (IST) Updated:Sun, 10 Sep 2017 06:16 PM (IST)
लेखन में अनुभूति एवं संवेदना को महत्व दें : सक्सेना
लेखन में अनुभूति एवं संवेदना को महत्व दें : सक्सेना

जागरण संवाददाता, पंचकूला : हरियाणा साहित्य अकादमी की ओर से आयोजित 'शब्द शक्ति' की श्रृंखला में 'नव्यतम पद्य विधाएं' का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी की अध्यक्षता सुदर्शन रत्नाकर (फरीदाबाद) ने की तथा मुख्य वक्ता भावना सक्सेना रहे। निदेशक डॉ. कुमुद बंसल ने सभी का स्वागत किया। मुख्य भावना सक्सेना ने कहा कि कविता मन के भावों का सहज स्फूर्त प्रवाह है। हाइकु सत्रह वर्णो तथा तीन पंक्तियों में लिखी जाने वाली कविता है, जिसमें क्रमश: 5-7-5 का क्रम होता है। वरिष्ठ हाइकुकार डॉ़ सुधा गुप्ता, कुमुद बंसल एवं सुदर्शन रत्नाकर के हाइकु प्रस्तुत किए। सुदर्शन रत्नाकर ने अपनी हाइकु यात्रा का जिक्र करते हुए अच्छे हाइकु तांका, चोका एवं सेदोका आदि के बारे में अपने विचार प्रकट किए। उन्होंने इस बात पर विशेष बल दिया कि गुणात्मक लेखन होना चाहिए। यह जरूरी है कि अनुभूति एवं संवेदना को महत्व दिया जाए। दूसरे सत्र में उपस्थित रचनाकारों ने हाइकु आदि विद्या को प्रोत्साहन देने के लिए अपने-अपने सुझाव दिए। अकादमी निदेशक ने उन सभी सुझावों पर निकट भविष्य में यथास भव कार्य करने का आश्वासन दिया। हरियाणा साहित्य अकादमी की निदेशक डॉ़ कुमुद बंसल ने 'शब्द शक्ति' के तृतीय कड़ी के विषय नव्यतम पद्य विधाएं के कार्यक्रम में कहा कि जो नई विधाओं की मूल आत्मा का निर्वाह होना चाहिए तभी उसका सही स्वरूप बना रह सकता है। आयोजन में डॉ़ कम¶ेश मलिक, विभा रश्मि, संगीता बेनीवा¶, सरोज दहिया, रामेश्वर का बोज तथा नफे सिंह कादयान ने भाग ¶िया। हरियाणा साहित्य अकादमी के उपाध्यक्ष राधेश्याम शर्मा ने आए हुए वक्ताओं व श्रोताओं का धन्यवाद किया।

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