हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रभावशाली, गवाह व सबूतों को कर सकते है प्रभावित, ईडी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया

प्रवर्तन निदेशालय ने भूखंड आवंटन मामले में आरोपित हरियाणा के पूर्व सीएम की नियमित जमानत की विरोध किया है। इस संबंध में ईडी ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और नियमित जमानत रद करने की मांग की है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 31 Aug 2021 06:09 PM (IST) Updated:Tue, 31 Aug 2021 06:09 PM (IST)
हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा प्रभावशाली, गवाह व सबूतों को कर सकते है प्रभावित, ईडी ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
हरियाणा के पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा की फाइल फोटो।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। पंचकूला के औद्योगिक भूखंड आवंटन घोटाले में आरोपित हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने नियमित जमानत का विरोध किया है। इसके लिए ईडी ने पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है और हुड्डा को दी गई नियमित जमानत रद करने की मांग की है। इडी द्वारा अपने सहायक निदेशक दीपक कुमार के माध्यम से दायर याचिका में 15 मार्च के पंचकूला ईडी कोर्ट के उस आदेश को रद करने की मांग की गई है, जिसके तहत हुड्डा को नियमित जमानत दी गई थी।

हाई कोर्ट के समक्ष अपनी याचिका में ईडी ने हुड्डा की जमानत को इस आधार पर रद करने की मांग की है कि हुड्डा को जमानत देने का आदेश रिकार्ड में उपलब्ध तथ्यों और दस्तावेजों को अनदेखा कर पारित किया गया।याचिका के अनुसार विशेष अदालत पंचकूला ने आरोपित हुड्डा को जमानत देने में गंभीर त्रुटि की है। केवल इस आधार पर कि वह जांच में शामिल हुए थे और जांच एजेंसी द्वारा पीएमएलए अधिनियम की धारा 19 को लागू कर उन्हें गिरफ्तार नहीं किया गया, उन्हें जमानत दे दी गई। विशेष अदालत इस तथ्य को देखने में विफल रही कि हुड्डा एक प्रभावशाली व्यक्ति हैं। ऐसे में गवाहों व सबूतों को प्रभावित करने की क्षमता रखते हैं।

इस मामले में ईडी ने हुड्डा, कुछ नौकरशाहों और उन सभी आवंटियों के खिलाफ मामला दर्ज किया था जिन्हें हुड्डा के सीएम रहते औद्योगिक भूखंड दिए गए थे। यह मामला हरियाणा के पंचकूला में 14 औद्योगिक भूखंडों के आवंटन से संबंधित है, जो आवेदन प्राप्त होने की अंतिम तिथि के बाद पात्रता मानदंड में गलत तरीके से बदलाव से दिए गए।

तत्कालीन मुख्य प्रशासक हुडा डीपीएस नागल ने तत्कालीन वित्त समिति को भंग कर इसे कार्य और खरीद समिति नामक एक अन्य अपेक्षाकृत छोटी समिति के साथ बदल दिया। ईडी जांच से पता चला कि तत्कालीन अध्यक्ष भूपेंद्र हुड्डा ने अयोग्य आवेदकों को 14 औद्योगिक भूखंडों को गलत तरीके से आवंटित किया।

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