संस्मरणः सांसद किसी पार्टी का हो, सबको एक निगाह से देखते थे वाजपेयी

वाजपेयी जी के बारे में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपना संस्मरण सांझा किया। आइए उन्हीं के शब्दों में जो बता रहे हैं कैसे हैं अटल जी।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Fri, 17 Aug 2018 05:52 PM (IST) Updated:Sat, 18 Aug 2018 08:45 PM (IST)
संस्मरणः सांसद किसी पार्टी का हो, सबको एक निगाह से देखते थे वाजपेयी
संस्मरणः सांसद किसी पार्टी का हो, सबको एक निगाह से देखते थे वाजपेयी

चंडीगढ़ः दिवंगत पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के बारे में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपना संस्मरण सांझा किया। आइए उन्हीं के शब्दों में जो बता रहे हैं कैसे हैं अटल जी। बात उन दिनों की है जब मैैं अपने पिता रणबीर सिंह हुड्डा के साथ संसद के सेंट्रल हाल में गया हुआ था। 1991 में मैैं पहली बार सांसद बना था। 1992-93 का वाकया है। संविधान निर्मात्री सभा के सदस्य रह चुके मेरे पिता सेंट्रल हाल में बैठे हुए थे। तब उनकी उम्र भी बहुत हो चुकी थी। वाजपेयी जी और मेरे पिता जी की अच्छी दुआ सलाम थी।

वाजपेयी जी का यह बड़प्पन था कि वे हर सांसद का दिल से सम्मान करते थे। उन्होंने कभी सत्ता पक्ष या विपक्ष के सांसद में कोई भेद नहीं समझा। सभी सांसदों की बात को दिल से सुनते और उनकी समस्या का समाधान करते थे। वाजपेयी जी संसद के सेंट्रल हाल में आए और मेरे पिता से उनकी राम-राम हुई। मैैं भी पास खड़ा था। तब मुझ पर वाजपेयी जी का ध्यान नहीं गया।

वाजपेयी के हाल-चाल पूछने के बाद मेरे पिता ने उनके साथ मेरा परिचय कराया। पिताजी बोले, यह मेरा लड़का है भूपेंद्र... आपके साथ संसद में है। पहली बार रोहतक से सांसद चुनकर आया है। वाजपेयी जी के चेहरे पर तेज हमेशा रहता था। अपनी चिर-परिचित मुस्कान में बोले, वैरी गुड...चौधरी साहब, पहले आप मेरे साथ सांसद रहे... अब आपका बेटा सांसद है, वह दिन भी जरूर आएगा, जब आपका पोता भी मेरे साथ सांसद होगा।

वाजपेयी जी के यह शब्द मैैं कभी नहीं भूलता। मैैंने कभी सपने में भी नहीं सोचा था कि दीपेंद्र सांसद बनकर वाजपेयी जी के साथ संसद में काम करेगा। संयोग देखिए कि 2005 में दीपेंद्र भी रोहतक से सांसद बना। हमारे परिवार की तीन पीढ़ियों ने वाजपेयी जी के साथ काम किया है। उनके सरीखे राजनीतिक व्यक्तित्व मिलने मुश्किल हैं। देश में बहुत बड़े-बड़े राजनीतिज्ञ हैं, लेकिन उनकी अलग पहचान और अलग ही अंदाज था। उन्होंने कभी किसी के साथ बदले की भावना से काम नहीं किया।

सांसदों के फोरम की बात को नहीं करते थे नजरअंदाज

लोकसभा में सौ से सवा सौ सांसदों का एक फोरम बना हुआ था। हमने उस फोरम का नाम पार्लियामेंट्री फारमर्स फोरम रखा हुआ था। प्रताप राव खोसला इस फोरम के प्रधान और मैैं महासचिव हुआ करते थे। हम जब भी अटल जी के पास किसानों की समस्याएं लेकर गए। उन्होंने कभी निराश नहीं किया और हर मसले का बखूबी समाधान करते हुए किसानों से जुड़ी हर बात मानी।

हमेशा मुस्कुराता हुआ चेहरा देता था सुकून

अटल बिहारी वाजपेयी के चेहरे का तेज हर किसी को आकर्षित करता था। उन्होंने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। अटल जी पार्टी से भी अलग राह चुनते थे। वाजपेयी जी के चेहरे पर कभी शिकन देखने को नहीं मिली थी। हमेशा मुस्कुराता चेहरा सामने वाले को ऊर्जा प्रदान करता था। अटल जी को मैंने विपक्ष के नेता के तौर पर भी देखा, प्रधानमंत्री के तौर पर भी और एक बेहतरीन राजनीतिज्ञ के तौर पर भी।

हरियाणा विधानसभा सत्र दो बार स्थगित होने का संयोग

पूर्व प्रधानमंत्री वाजपेयी और संविधान सभा के सदस्य रहे रणबीर सिंह हुड्डा से जुड़ा अजब संयोग भी है। दोनों सियासी दिग्गजों का निधन हरियाणा विधानसभा का सत्र शुरू होने से ठीक एक दिन पहले हुआ। दो बार सांसद और एक बार राज्यसभा सदस्य रह चुके रणबीर सिंह हुड्डा का निधन एक फरवरी 2009 की शाम को हो गया, जबकि अगले ही दिन हरियाणा विधानसभा का सत्र शुरू होना था।

तब तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने अपने पिता के सम्मान में तीन दिन का राजकीय शोक घोषित करते हुए विधानसभा की कार्यवाही तीन दिन के लिए स्थगित कर दी थी। अब पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी के निधन के चलते 17 अगस्त को शुरू होने वाला विधानसभा का मानसून सत्र स्थगित करना पड़ा। हरियाणा के इतिहास में ऐसा दो बार हुआ है जब सियासी पुरोधाओं के निधन के चलते ऐन मौके पर विधानसभा सत्र को टालना पड़ा।

(प्रस्तुति - अनुराग अग्रवाल, चंडीगढ़)

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