नए साल में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की खास रणनीति, नए रूप रंग में दिखेगी हरियाणा कांग्रेस

हरियाणा में नए साल में कांग्रेस नए रंग ढंग में दिखेगी। इसके लिए भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने खास रणनीति तय की है।दीपेंद्र टिकट से वंचित हुड्डा समर्थकों को एक छतरी के नीचे लाएंगे। संगठन पर भी हुड्डा खेमे की निगाह है।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Sun, 03 Jan 2021 02:15 PM (IST) Updated:Mon, 04 Jan 2021 09:36 AM (IST)
नए साल में भूपेंद्र सिंह हुड्डा की खास रणनीति, नए रूप रंग में दिखेगी हरियाणा कांग्रेस
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा एवं दीपेंद्र हुड्डा की फाइल फोटो।

चंडीगढ़ [अनुराग अग्रवाल]। हरियाणा में नए साल के दौरान कांग्रेस नए रंग-ढंग में दिखेगी। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा जहां कांग्रेस की एकजुटता के लिए प्रयास करते नजर आएंगे, वहीं विभिन्न कारणों से पार्टी छोड़ चुके अपने पुराने साथियों को भी हुड्डा खेमा एकजुट करेगा। इस काम की जिम्मेदारी हुड्डा ने अपने बेटे राज्यसभा सदस्य दीपेंद्र सिंह हुड्डा को सौंपी है। दीपेंद्र ने साल की शुरुआत के साथ ही अपने पिता द्वारा खींची गई लाइन पर काम शुरू कर दिया है।

दीपेंद्र हरियाणा को तीन हिस्सों में बांटकर बड़े हुड्डा की रणनीति पर आगे बढ़ेंगे। उत्तर हरियाणा की राजनीतिक गतिविधियों को चंडीगढ़ से अंजाम दिया जाएगा, जबकि मध्य हरियाणा की गतिविधियां रोहतक से चलेंगी। दक्षिण हरियाणा में पड़ने वाले जिलों और उनके नेताओं को दिल्ली बैठकर कवर किया जाएगा। इस दौरान हुड्डा पिता-पुत्र नए साल में प्रदेश भर का दौरा शुरू करने वाले हैं। किसान आंदोलन के बाद राजनीतिक दलों के जो हालात बने हैं, उसके मद्देनजर हुड्डा पिता-पुत्रों ने अपनी गतिविधियों को गति देने की रणनीति तैयार की है।

प्रदेश में कांग्रेस के 31 विधायक हैं। इनमें से 27 विधायक अकेले हुड्डा समर्थक हैं। बाकी चार विधायकों की अलग-अलग आस्थाएं हैं। इसके बावजूद वह कभी हुड्डा तो कभी सैलजा के साथ नजर आ जाते हैं। पिछले विधानसभा चुनाव में करीब एक दर्जन टिकट ऐसे हैं, जो हुड्डा की पसंद से नहीं बंटे। टिकट से वंचित यह नेता दूसरे दलों में चले गए। इनमें से कुछ विधायक बन गए तो कुछ चुनाव हारकर दूसरे नंबर पर रह गए। हुड्डा की कोशिश ऐसे तमाम नेताओं और टिकट के दावेदारों को वापस कांग्रेस खासकर अपने साथ जोड़ने की योजना है।

कांग्रेस सूत्रों के अनुसार शहरी निकाय चुनाव में पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा अपनी धर्मपत्नी शक्ति रानी शर्मा को भाजपा का टिकट दिलाना चाहते थे, लेकिन उन्हीं लोगों ने इसमें अड़चन पैदा कर दी, जिन्होंने उनकी व उनके पुत्र की भाजपा में तीन बार एंट्री पर ब्रेक लगा दिया था। अब शक्ति रानी शर्मा चूंकि चुनाव जीत गई हैंं तो उनकी घर वापसी के लिए माहौल बनाया जा रहा है। पूर्व केंद्रीय मंत्री चौ. निर्मल सिंह की आस्था बड़े हुड्डा में और उनकी बेटी चित्रा सरवारा की आस्था दीपेंद्र में है। लिहाजा उनसे भी बातचीत चल रही है।

हुड्डा खेमे को लगता है कि आने वाले दिनों में प्रदेश संगठन में बदलाव हो सकता है। मौजूदा अध्यक्ष कु. सैलजा की हाईकमान में मजबूत पकड़ है। लिहाजा उन्हें केंद्र में जिम्मेदारी मिल सकती है। ऐसे में प्रदेश अध्यक्ष के पद पर हुड्डा खेमा अपनी गोटी फिट करने की जुगत में है। शहरी निकाय चुनाव में हार की समीक्षा की मांग इस जुगत का पहला मोर्चा है।

हुड्डा ने दीपेंद्र को उन विधायकों व उम्मीदवारों से भी लगातार संपर्क साधने को कहा है, जिन्हें वह 2019 में टिकट दिलाने में कामयाब नहीं हो सके। ऐसे तमाम नेताओं से दीपेंद्र व हुड्डा दोनों संपर्क में हैंं। कांग्रेस सूत्रों का कहना है कि भाजपा के कम से कम तीन विधायक हुड्डा खेमे के संपर्क में हैं, जबकि दो से तीन कांग्रेस विधायक भी मुख्यमंत्री मनोहर लाल के यहां हाजिरी भरते हैं। ऐसे में हुड्डा खेमे किसी बड़े राजनीतिक खेल का रिस्क लेने के बजाय अपनी टीम को मजबूत करने पर ज्यादा जोर दे रहा है।

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