हरियाणवियों की बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता, राज्य में बनेंगी 1100 कोविड वाटिकाएं

कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए हरियाणा में हर जिले के 50 गांवों में कोविड वाटिकाएं बनाने पर काम शुरू हो गया है। पूरे प्रदेश में कुल 1100 कोविड वाटिकाएं बनाई जाएंगी।

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Thu, 09 Jul 2020 12:05 PM (IST) Updated:Thu, 09 Jul 2020 12:05 PM (IST)
हरियाणवियों की बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता, राज्य में बनेंगी 1100 कोविड वाटिकाएं
हरियाणवियों की बढ़ेगी रोग प्रतिरोधक क्षमता, राज्य में बनेंगी 1100 कोविड वाटिकाएं

चंडीगढ़ [सुधीर तंवर]। प्राकृतिक रूप से वन संपदा की कमी वाले हरियाणा में पौधरोपण के बाद इनकी देखभाल की जवाबदेही तय करने का असर दिखने लगा है। लंबे अंतराल के बाद हरियाणा में थोड़ा ही सही, वन क्षेत्र कुछ बढ़ा है। वर्ष 2017 में प्रदेश में कुल 6.66 फीसद वन क्षेत्र था जो अब 7.01 फीसद हो गया है। इससे उत्साहित वन विभाग ने शहरों के साथ ही ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस करने की योजना बनाई है। खासकर तेजी से गिरते भू-जलस्तर के लिहाज डार्क जोन में शामिल 81 क्षेत्रों में करीब 30 लाख पौधे लगाए जाएंगे। इससे न केवल हरियाली बढ़ेगी, बल्कि प्राकृतिक रूप से भू-जलस्तर उठाने का भी मनोरथ हासिल होगा।

हरियाणा मुख्य रूप से कृषि प्रधान प्रदेश है जिसकी 80 फीसद जमीन पर खेती होती है। भू-भाग का 16 फीसद अन्य कार्यो जैसे बस्ती, सड़क, रेलवे, संस्थानों, नहरों आदि के लिए प्रयोग किया जाता है। अधिसूचित वन क्षेत्र करीब 3.90 फीसद है जिसे बढ़ाने की गुंजाइश कम ही है। यही वजह है कि वन और वृक्ष आच्छादन को बढ़ाने के लिए सरकारी महकमों की जमीन, सामुदायिक भूमि, संस्थागत भूमि, पंचायती जमीन और अन्य बंजर भूमि पर बड़े पैमाने पर वनीकरण की योजना बनाई गई है।

प्रदेश में वार्षिक आधार पर औसतन 20 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण किया जाता है जिसमें 60 फीसद पौधरोपण सरकारी वन क्षेत्रों के बाहर किया जाता है। इसके तहत सरकारी विभागों, संस्थाओं, स्कूलों, ग्राम पंचायतों को पौधे वितरित किए जाते रहे हैं। विशेषकर किसानों द्वारा कृषि वानिकी स्वीकारने से गैर वन भूमि पर बड़े पैमाने पर पौधरोपण के कारण वन एवं वृक्ष आच्छादन क्षेत्र सात फीसद के पार हो गया।

पौधरोपण अभियान में वन विभाग देशज प्रजातियों के पौधों को प्रोत्साहित करेगा। अरावली को हरा-भरा करने के लिए हवाई मार्ग से बीज डाले जाएंगे। बारिश के बाद इससे पौधे उगेंगे और हरियाली छाएगी।

रंग दिखा रहा संयुक्त वन प्रबंधन

वनों की रक्षा के लिए गांवों के स्थानीय लोगों को पानी और वन उपज पर अधिकार दिया गया है। सुखो माजरी गांव में विकसित मॉडल पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। राष्ट्रीय वनीकरण कार्यक्रम (एनएपी) के तहत गांव स्तर पर एक हजार से अधिक गांवों में ग्राम वन समितियां (वीएफसी) और जापान अंतरराष्ट्रीय सहयोग एजेंसी (जेआइसीए) के तहत गठित 1135 ग्राम वन समितियां इस दिशा में बेहतर कार्य कर रही हैं। गांव की जमीन, नहर व सड़कों के किनारे पेड़ लगाने वाले को पेड़ का मालिक बनाने की योजना से वनीकरण तेज हुआ।

हर जिले के 50 गांवों में बनेंगी कोविड वाटिकाएं

कोरोना जैसी महामारी से निपटने के लिए हर जिले के 50 गांवों में कोविड वाटिकाएं बनाने पर काम शुरू हो गया है। पूरे प्रदेश में कुल 1100 कोविड वाटिकाएं बनाई जाएंगी। इनमें आंवला, अश्वगंधा, अशोक, नीम, तुलसी, बेल पत्र, जामुन, बेर, शहतूत, नींबू, कपूर, आंवला, करी पत्ता, गिलोय, भूमि आंवला, एलोवेरा, नीम सहित अन्य औषधीय पौधे लगाए जाएंगे जिससे लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ेगी।

हर छात्र से लगवाएंगे एक-एक पौधा

पौधगीरी योजना के तहत पिछले साल छठी से बारहवीं तक के 26 लाख छात्रों ने पौधरोपण किया था। इसकी सफलता से उत्साहित प्रदेश सरकार इस साल भी हर छात्र से एक-एक पौधा लगवाएगी। इनकी देख-रेख के लिए बच्चों को प्रोत्साहन राशि भी मिलेगी। वन विभाग ने शिक्षा विभाग से रिपोर्ट मांगी है कि पिछले साल लगाए गए पौधों में कितने जिंदा हैं औ कितने सूख गए। उसी के आधार पर आगे की रणनीति तय की जाएगी।

ऐसे घटता-बढ़ता रहा वन क्षेत्र

पंजाब से अलग होकर हरियाणा बना तो प्रदेश में 3.9 फीसद वन क्षेत्र था, जो कि पिछले 54 वर्षो में बढ़ने के बजाय घटकर 3.64 फीसद पर आ गया। पिछले एक दशक की ही बात करें तो वर्ष 2011 में 1608 वर्ग किलोमीटर वन क्षेत्र था, जो दो साल बाद घटकर 1586 और फिर 2015 में 1584 वर्ग किमी रह गया। वृक्ष आवरण क्षेत्र वर्ष 2011 में 1395 वर्ग किमी था जो वर्ष 2013 में घटकर 1282 वर्ग किमी तक सिमट गया। हालांकि बाद में थोड़ी स्थिति सुधरी और वर्ष 2017 में प्रदेश में कुल 6.66 फीसद वन क्षेत्र हो गया। ताजा रिपोर्ट के अनुसार अब यह बढ़कर 7.01 फीसद हो गया है। हालांकि राष्ट्रीय वन नीति के अनुसार प्रदेश में कुल भौगोलिक क्षेत्र के 20 फीसद भाग पर वन होना चाहिए।

वानिकी को बढ़ाने के लिए बदले नियम

वन नीति 2006 में समय-समय पर हुए बदलाव से हरियाली बढ़ने लगी है। सड़कों के किनारे पेड़ लगाने का सकारात्मक असर दिखा। कृषि वानिकी में किसानों की बढ़ी दिलचस्पी और सामाजिक वानिकी के तहत स्कूल-कॉलेज, सरकारी व गैर सरकारी संस्थाओं के सहयोग से खाली पड़ी जमीनों पर पेड़ लगाने का अभियान चलाया जा रहा। शीशम, जामुन व नीम के साथ सफेदा और पापुलर जैसे पेड़ लगाने से जहां घरेलू जरूरतें पूरी हो रही हैं, वहीं औद्योगिक जरूरतों के लिए भी इन पेड़ों का उपयोग हो रहा है।

लगेंगे सवा करोड़ पौधे, 350 करोड़ रुपये का बजट

वन विभाग के सचिव डॉ. टीपी सिंह कहते हैं कि पौधरोपण अभियान के बेहतर नतीजे आए हैं। इस साल करीब सवा करोड़ पौधे लगाए जाएंगे जिनमें औषधीय पौधों को तवज्जो दी जाएगी। आमजन को औषधीय पौधों के फायदे समझाने के लिए हाल ही में पुस्तिका भी लोकार्पित की है। प्रदेश के 1100 गांवों में कोविड वाटिकाओं के लिए ग्राम पंचायतों से जमीन देने की गुजारिश की है। स्कूल-कॉलेज, धार्मिक स्थलों, सड़कों के किनारों और पंचायती जमीन पर फलदार पौधे लगाए जाएंगे।

इन पौधों की देखभाल के लिए वृक्षमित्र भी तैनात किए जाएंगे ताकि सभी पौधे जीवित रह सकें। सरपंच, नंबरदार व अन्य मौजिज लोगों से फलदार व औषधीय पौधे लगवाए जाएंगे ताकि वे इनसे जुड़ाव महसूस कर सकें। इसके अलावा पंचायती जमीन पर मॉडल के तौर पर बाग लगाने की भी योजना है। उन गांवों की सूची तैयार की जा रही है जिनके पास पर्याप्त मात्र में पंचायती जमीन है ताकि उन्हें बाग लगाने के लिए प्रेरित किया जा सके।

विकास की वेदी पर बलिदान न हो हरियाली

लगातार बिगड़ रही सेहत और पर्यावरण असंतुलन के खतरे को दूर करने के लिए हरियाणा के लोगों को प्रकृति से जोड़कर होगा। अधिक से अधिक पौधे लगाएं। स्वच्छ जल को प्रदूषित न करें। बायो मेडिकल और ई-वेस्ट का सही तरीके से निपटान किया जाए। प्लास्टिक वेस्ट और घर के कचरे को बाहर न डालें। रोजमर्रा की आदतों में सुधार कर पर्यावरण की रक्षा संभव है। जहां तक हो सके गांवों में खाली जमीन पर पौधे रोपे जाएं। शहरों में भी लोग अपनी कोठियों में अच्छे पौधे रोपें। इससे भी पर्यावरण बचाने की दिशा में काम करें। प्रदेश सरकार को यह भी सोचना होगा कि विकास आवश्यक है लेकिन विकास की वेदी पर हरियाली का बलिदान नहीं लिया जाना चाहिए। इसलिए आवश्यक है कि हरियाली और विकास में समन्वय स्थापित किया जाए। यह संकल्प लेना होगा कि जितने पेड़ विकास की बलि चढ़ें उतने पौधे रोपित किए जाएं। जब तक इस आधार पर विकास की योजनाएं नहीं बनाई जाएंगी और उनका सख्ती से पालन नहीं होगा, तब तक प्रदेश में हरियाली नहीं बढ़ सकती है।

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