रोडवेज हड़ताल: अप्रशिक्षित चालक-परिचालकों को बस थमाना पड़ रहा भारी

अप्रशिक्षित चालक - परिचालकों को बसें थमाना रोड़वेज विभाग को भारी पड़ने लगी है। जिन चालकों को आउटसोर्सिंग के तहत लगाकर लाखों रुपये की बसें थमाई गई हैं, वे बसों को मंजिल तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। अपरिपक्व चालकों की कमी के कारण कई बसें गणतव्य पर पहुंचने से पहले ही खराब होने लगी हैं। इनमें से कुछ बसों को ठीक करने के लिए रोड़वेज विभाग के बस अड्डे में लाया गया है, तो कई बसें अभी भी मौके पर ही खड़ी हैं..

By JagranEdited By: Publish:Wed, 24 Oct 2018 04:44 PM (IST) Updated:Wed, 24 Oct 2018 04:44 PM (IST)
रोडवेज हड़ताल: अप्रशिक्षित चालक-परिचालकों को बस थमाना पड़ रहा भारी
रोडवेज हड़ताल: अप्रशिक्षित चालक-परिचालकों को बस थमाना पड़ रहा भारी

संवाद सहयोगी, पलवल : अप्रशिक्षित चालक-परिचालकों को बसें थमाना रोडवेज विभाग को भारी पड़ने लगा है। जिन चालकों को आउटसोर्सिग के तहत लगाकर बसें थमाई गई हैं, वे बसों को मंजिल तक नहीं पहुंचा पा रहे हैं। अपरिपक्व चालकों की कमी के कारण कई बसें गंतव्य पर पहुंचने से पहले ही खराब होने लगी हैं। इनमें से कुछ बसों को ठीक करने के लिए रोडवेज विभाग के बस अड्डे में लाया गया है, तो कई बसें अभी भी मौके पर ही खड़ी हैं। कई बसों के खराब होने तथा छोटे मार्ग व बसों की संख्या पूरी होने के कारण सवारियों को गंतव्य स्थान पर पहुंचने में परेशानी हुई।

बता दें कि रोडवेज कर्मचारियों की हड़ताल नौवें दिन में प्रवेश कर गई है। इसका असर परिवहन व्यवस्था पर पड़ रहा है। रोडवेज विभाग की तरफ से परिवहन व्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए तरह-तरह के प्रयोग किए जा रहे है। लेकिन ये प्रयोग ज्यादा कारगर साबित नहीं हो रहे। हड़ताल के कारण पहले पुलिस विभाग के चालकों से सेवाएं ली गई। उनसे नैया पार नहीं लगती दिखी तो आउटसोर्सिग नीति के तहत ठेकेदार के माध्यम से लगभग तीन दर्जन चालक-परिचालक लगाकर काम चलाना शुरू किया गया।

जल्दबाजी में लगाए गए अप्रशिक्षित चालक-परिचालक जैसे ही बताए गए रूटों पर चलने लगे तो बस चलाने की ज्यादा जानकारी नहीं होने के कारण होडल, पृथला तथा जमनापुल कई अन्य मार्ग पर बसों को खराब कर बैठे। धरने पर बैठे कर्मचारी नेताओं ने मंच से माध्यम से रोडवेज विभाग के अधिकारियों को आड़े हाथ लिया है। नेताओं का कहना था कि अधिकारियों को सरकारी संपत्ति की कोई परवाह नहीं। इसलिए अप्रशिक्षित हाथों में बसों को सौंपा जा रहा है। सरकार की मंशा ठीक नहीं है। हड़ताल के नाम पर बैक डोर से अपने चहेते अप्रशिक्षित चालक-परिचालकों को भरने का कार्य किया जा रहा है। ऐसे लोग भरे जाएंगे तो नुकसान तो होगा ही। इसके लिए भर्ती अधिकारियों की जिम्मेवारी होनी चाहिए।

--गंगाराम सौरोत, कर्मचारी नेता। यह गलत है कि बसों का परिचालन ठीक नहीं हो रहा है। सभी बसें सही चल रही हैं, इक्का दुक्का में कहीं तकनीकी खामी हो जाती है, यह पहले भी हुआ करती थी। सरकार नागरिकों को सुविधाएं मुहैया कराने के लिए कृतसंकल्प है।

-लाजपत राय, महाप्रबधंक हरियाणा रोडवेज पलवल।

chat bot
आपका साथी