..यहों नौ तो टेम पे एंबुलेंस मिले और नौ ही डॉक्टर

भिया, घरवाड़ी कै सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन तै बालक हुओ हो, याके टोकेन में पश पड़गी, अब याह रोज-रोज प्राइवेट गाड़ी करके कहों तक लावे। यहों नौ तो टेम पे एंबुलेंस मिले और नौ ही डॉक्टर। यू अपाहिज वैसे है, आज भी याहे परेशोनी बढ़ने पे जैसे-तैसे प्राइवेट गाड़ी मंगवाकै लाए हैं। कुछ इस तरह अपना दर्द बयां कर रहे थे जिला नागरिक अस्पताल में अपनी दिव्यांग पत्नी को उपचार के लिए लाए गांव सुल्तानपुर निवासी टेकचंद। केवल टेकचंद ही नहीं मंगलवार को अस्पताल में एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल के चलते काफी मरीजों को परेशानियों से जूझना पड़ा। हड़ताल के कारण सरकारी एंबुलेस सेवा तो पूरी तरह ठप हो गई। इसके अलावा अस्पताल में आयुष विभाग, ब्लड बैंक, योगा ओपीडी सहित अन्य विभाग भी प्रभावित रहे।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 05 Feb 2019 06:20 PM (IST) Updated:Tue, 05 Feb 2019 06:20 PM (IST)
..यहों नौ तो टेम पे एंबुलेंस मिले और नौ ही डॉक्टर
..यहों नौ तो टेम पे एंबुलेंस मिले और नौ ही डॉक्टर

प्रवीण बैंसला, पलवल

भिया, घरवाड़ी कै सरकारी अस्पताल में ऑपरेशन तै बालक हुओ हो, याके टोकेन में पश पड़गी, अब याह रोज-रोज प्राइवेट गाड़ी करके कहों तक लावे। यहों नौ तो टेम पे एंबुलेंस मिले और नौ ही डॉक्टर। यू अपाहिज वैसे है, आज भी याहे परेशानी बढ़ने पे जैसे-तैसे प्राइवेट गाड़ी मंगवाकै लाए हैं। बैसलात के गांव सुल्तानपुर निवासी टेकचंद ने अपना दर्द कुछ इसी तरह बयां किया। वे अपनी दिव्यांग पत्नी को उपचार के लिए नागरिक अस्पताल में लाए थे। टेकचंद ही नहीं मंगलवार को अस्पताल में एनएचएम कर्मचारियों की हड़ताल के चलते मरीजों को काफी परेशानियों से जूझना पड़ा। हड़ताल के कारण सरकारी एंबुलेंस सेवा तो पूरी तरह ठप हो गई। इसके अलावा अस्पताल में आयुष विभाग, ब्लड बैंक, योगा ओपीडी सहित अन्य विभाग भी प्रभावित रहे।

एनएचएम कर्मचारियों की नियमितीकरण की मांग को लेकर की गई दो दिवसीय हड़ताल के चलते कर्मचारी मंगलवार को धरने पर बैठे रहे। ऐसे में अस्पताल में आने वाले मरीजों को अपना इलाज करवाने के लिए धक्के खाने पड़े। सबसे ज्यादा परेशानी गर्भवती महिलाओं को हुई, जिन्हें सरकारी एंबुलेंस न चलने निजी वाहनों का इंतजाम कर अस्पताल तक पहुंचना पड़ा।

एंबुलेंस कंट्रोल रूम में बैठा युवक वहां पर आने वाले फोन पर एक निजी कंपनी की एंबुलेंस नंबर देता दिखाई दिया तो अस्पताल में कई कक्षों पर ताले लटके दिखाई दिए। अस्पताल में बंद पड़े कमरों में हड़ताल संबंधी कोई सूचना भी नहीं लगाई, जिसके चलते मरीज यहां-वहां भटकते दिखाई दिए। इससे सरकार के मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवाएं देने के दावे हवा होते नजर आए। ये सेवाएं रही प्रभावित

एनएचएम की हड़ताल के चलते सबसे ज्यादा असर एंबुलेंस सेवा पर रहा। इसके अलावा आयुष विभाग, योगा ओपीडी, डीआइसी विभाग, टीकाकरण विभाग, ब्लड बैंक सहित अन्य सेवाएं प्रभावित रहीं। जिले के अन्य नागरिक अस्पताल, सामुदायिक व प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर भी सेवाओं पर असर रहा। मेरी पत्नी एक पैर से दिव्यांग है तथा पिछले दिनों उसकी नागरिक अस्पताल ऑपरेशन से डिलवरी हुई थी। ऑपरेशन के बाद उसे घर ले गए। घर पर ले जाने के बाद इसके टांकों में पस पड़ गई। कई बार अस्पताल में डॉक्टर को दिखा चुके हैं, परंतु कोई फायदा नहीं हो रहा है। आज परेशानी बढ़ने पर एंबुलेंस को फोन किया परंतु हड़ताल होने के चलते एंबुलेंस नहीं मिली। फिर प्राइवेट गाड़ी मंगवाकर अस्पताल में उपचार कराने के लिए आए हैं।

- टेकचंद, निवासी सुल्तानपुर मेरे मकान में किराए पर रहने वाली मजदूर महिला को अचानक प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी। उसका पति भी घर पर नहीं था। महिला को गांव स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में ले जाया गया, परंतु वहां पर बताया कि सभी कर्मचारी हड़ताल पर हैं। एंबुलेंस उपलब्ध न होने से टोल फ्री नंबर पर फोन किया गया, जहां से एक निजी कंपनी एंबुलेंस का नंबर दे दिया गया। जैसे-तैसे किराए पर प्राइवेट गाड़ी का इंतजाम कर महिला को अस्पताल पहुंचाया गया है।

- रमेश, निवासी दुधौला मेरी पत्नी लक्ष्मी गर्भवती है। मंगलवार सुबह उसे प्रसव पीड़ा शुरू हो गई थी। एंबुलेंस के लिए टोल फ्री नंबर पर फोन किया गया तो उन्होंने एक निजी कंपनी की एंबुलेंस का नंबर दिया। उस पर फोन किया गया तो काफी देर बाद वो एंबुलेंस पहुंची। तब जाकर हम इन्हें अस्पताल लेकर आए हैं। यहां भी कर्मचारियों की हड़ताल से काफी परेशानी उठानी पड़ रही है। कोई अटेंड करने वाला भी नजर नहीं आ रहा है।

- रमेश कुमार, निवासी गांव मंडकौला जिले में करीब 300 एनएचएम कर्मचारी हैं, जिनमें 10-15 प्रतिशत कर्मचारी ही काम पर आए। गर्भवती महिलाओं व एंबुलेंस का सारा कार्य एंबुलेंस कर्मचारी देखते हैं, तो मरीजों को कुछ परेशानी हुई है। वैसे में हमने अपनी और वैकल्पिक व्यवस्था करने की पूरी कोशिश की है।

- डॉ.प्रदीप शर्मा, सिविल सर्जन पलवल

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