पुलिस प्रशासन के परेशान करने पर ट्रक यूनियन ने सौंपा ज्ञापन

दी न्यू ट्रक ऑपरेटर यूनियन नारनौल ने शनिवार को पुलिस प्रशासन द्वारा परेशान किए जाने का आरोप लगाते हुए लोगों ने रोष प्रकट किया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 08 Aug 2020 05:56 PM (IST) Updated:Sat, 08 Aug 2020 05:56 PM (IST)
पुलिस प्रशासन के परेशान करने पर ट्रक यूनियन ने सौंपा ज्ञापन
पुलिस प्रशासन के परेशान करने पर ट्रक यूनियन ने सौंपा ज्ञापन

जागरण संवाददाता, नारनौल : दी न्यू ट्रक ऑपरेटर यूनियन नारनौल ने शनिवार को पुलिस प्रशासन द्वारा परेशान किए जाने का आरोप लगाते हुए लोगों ने रोष प्रकट किया। उन्होंने उपायुक्त के माध्यम से मुख्यमंत्री मनोहर लाल के नाम ज्ञापन सौंपा। उपायुक्त को सौंपे ज्ञापन में यूनियन के प्रधान महेश कुमार, सुनील कुमार, हिम्मत सिंह, उमेश कुमार, विनोद कुमार, मनोज यादव, ओमप्रकाश, राकेश कुमार, रोहताश कुमार, महेंद्र सिंह आदि ने बताया कि आए दिन पुलिस उनकी गाड़ियों के दस्तावेजों को लेकर बेवजह परेशान करती है। जबकि सरकार के नियमों के अनुसार उनकी गाड़ियों के सभी दस्तावेज 30 सितंबर तक पूर्ण हैं। पुलिस गाड़ियों के दस्तावेजों के चक्कर में पकड़ती है तथा अगले दिन ट्रकों को छोड़ती है। जिस कारण जो डिलिवरी के लिए टीपी कटवाई हुई होती है, उसका समय निर्धारित होने के कारण पुलिस कर्मचारियों की वजह से निकल जाता है। जिस कारण उन्हें आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ता है। यहीं नहीं पुलिस के अलावा सीएम फ्लाइंग पकड़ लेती है। उन द्वारा टीपी को समय पूर्ण होने के कारण रद मान कर ट्रकों का चालान चार लाख 50 हजार रुपये तक कर दिया जाता है। यह सब उक्त पुलिस कर्मचारियों की नाजायज कार्यवाही के कारण होता है। सीएम फ्लाइंग की कार्यवाही के उपरांत गाड़ी मालिक व गाड़ी ड्राइवर के ऊपर अवैध माइनिग का भी झूठा मामला बना दिया जाता है। जबकि उनकी सभी गाड़ियों की टीपी और दस्तावेज पूर्ण होते हैं। उन्होंने कहा कि देश पहले ही कोरोना महामारी से जूझ रहा है। जिस कारण उनके पास काम नहीं है तथा काफी दिनों से गाड़ी एनजीटी के तहत खाली खड़ी रही। अब थोड़ा काम मिलता है तो पुलिस विभाग बेवजह परेशान कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस प्रशासन उनकी गाड़ियों को अकसर रात में चेकिग के लिए पकड़ते हैं। दिन में कभी-कभार ही रोका जाता है। इससे जाहिर होता है कि पुलिस कर्मचारियों की नीयत में खोट है और केवल रात को अपनी जेब गरम करने तथा गाड़ी मालिक को नाजायज आर्थिक नुकसान पहुंचाने के चक्कर में गाड़ियों को रुकवाया जाता है। इसलिए उनकी मांगों की ओर ध्यान दिया जाए। ताकि वे अपने परिवार का गुजारा कर सकें।

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