पर्यावरण बचाने के लिए 30 साल तक साइकिल से यात्रा
हर कोई अपने नाम के पीछे दौड़ता है। लेकिन यदि आपको पता चले कि एक शख्स ऐसा भी है जो अपने मकान की नेम प्लेट पर अपने नाम की बजाए पर्यावरण भवन लिखे तो थोड़ी हैरानी तो होगी ही।
बलवान शर्मा, नारनौल:
हर कोई अपने नाम के पीछे दौड़ता है। लेकिन यदि आपको पता चले कि एक शख्स ऐसा भी है, जो अपने मकान की नेम प्लेट पर अपने नाम की बजाए पर्यावरण भवन लिखे तो थोड़ी हैरानी तो होगी ही। 30 वर्ष तक बतौर प्राध्यापक कार्य करते हुए कालेज में मोटरसाइकिल व कार की बजाए साइकिल का इस्तेमाल कर पर्यावरण को बचाने की ऐसी अनूठी व शानदार सोच शायद ही आपको कहीं देखने को मिले। हम बात कर रहे हैं नारनौल के हुडा सेक्टर में रह रहे पूर्व प्राचार्य डा. रामनिवास की। उनके पर्यावरण के प्रति इसी जुनून की वजह से दो बार राष्ट्रपति के हाथों सम्मानित होने का गौरव मिल चुका है। मुख्यमंत्री व राज्यपाल के हाथों से तो कई बार सम्मानित हो चुके हैं। पर्यावरणविद सुंदरलाल बहुगुणा से हुई एक मुलाकात ने डा. रामनिवास यादव को पर्यावरण संरक्षण के प्रति सोच बदलने में बड़ा योगदान दिया। मैग्सेसे पुरस्कार विजेता राजेंद्र सिंह के साथ जलसंरक्षण को लेकर कार्य कर चुके डा. आरएन यादव को भारत सरकार के राजभाषा विभाग द्वारा सन 2008 का राष्ट्रीय राजीव गांधी मौलिक पुस्तक लेखन पुरस्कार विज्ञान भवन में आयोजित समारोह में दिया गया था। उनको सन 2013 में पर्यावरण बौध पुस्तक लेखन करने पर तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सम्मानित किया था। विशेष बातचीत में डा.रामनिवास ने बताया कि लोग उन्हें साइकिल वाले डा. रामनिवास के नाम से ज्यादा जानते हैं। हरी टोपी व साइकिल उनकी पहचान बन गई हैं। प्रसिद्ध पर्यावरणविद डा. रामनिवास यादव का जन्म आठ फरवरी 1958 को जिले के गांव भांखरी में हुआ। महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय रोहतक से विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि संपूर्ण विश्वविद्यालय में प्रथम स्थान पर रहकर अर्जित की। एमफिल की उपाधि कुरुक्षेत्र व पीएचडी जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय दिल्ली से हासिल की। पर्यावरण शिक्षा में स्नातकोत्तर डिप्लोमा कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से प्राप्त किया। डा. रामनिवास पिछले 30 वर्षों तक दादरी के जनता कालेज में भूगोल विषय के प्राध्यापक व दो वर्ष तक प्राचार्य के रूप में कार्यरत रहे हैं। सन 1986 से 2008 तक 260 पर्यावरण चेतना शिविर, 80 वृक्षारोपण शिविर और 190 पर्यावरण प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर जनता में पर्यावरण के प्रति जागरूकता पैदा की। विभिन्न विश्वविद्यालयों व कालेजों में 270 विस्तृत व्याख्यान, 65 बार आकाशवाणी वार्ताओं व दूरदर्शन पर विभिन्न कार्यक्रमों द्वारा आम लोगों में पर्यावरण चेतना का विकास किया। वे आठ जिला स्तरीय पर्यावरण मेलों तथा विभिन्न गांवों में 62 सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन कर चुके हैं। इनकी नौ पुस्तकें, तीन मोनाग्राफ, पांच थीसिज और 80 शोध पत्र प्रकाशित हो चुके हैं। वह राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय 30 सम्मेलन में भाग लेकर शोध पत्र प्रस्तुत कर चुके हैं। वह हरियाणा राज्य पर्यावरण मानिटरिग कमेटी व जिला पर्यावरण कमेटी के सदस्य भी रह चुके हैं। फिलहाल डा. यादव नारनौल के हुडा रेजीडेंस वेलफेयर एसोसिएशन के बतौर प्रधान कार्य कर रहे हैं और सेक्टर के 15 पार्कों का जीर्णोद्धार करने व पौधरोपण करने में व्यस्त हैं।