बेटा बन बेटी ने निभाया फर्ज, बेटी ने दी अपनी मां को मुखाग्नि

ढि़वादी परंपराओं ने भले ही आज भी बेटियों के पैरों में बेड़ियां डाली हुई हों पर आज ऐसी बेटियां भी हैं जो इन बेड़ियों की परवाह किए बगैर समाज को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 20 Sep 2020 07:42 PM (IST) Updated:Mon, 21 Sep 2020 05:12 AM (IST)
बेटा बन बेटी ने निभाया फर्ज, बेटी ने दी अपनी मां को मुखाग्नि
बेटा बन बेटी ने निभाया फर्ज, बेटी ने दी अपनी मां को मुखाग्नि

सुभाष दूरदर्शी, मंडी अटेली : रुढि़वादी परंपराओं ने भले ही आज भी बेटियों के पैरों में बेड़ियां डाली हुई हों पर आज ऐसी बेटियां भी हैं, जो इन बेड़ियों की परवाह किए बगैर समाज को आगे बढ़ने की प्रेरणा देती हैं। ऐसी ही बेटी सलूनी निवासी अनिता हैं। समाज में मान्यता रही है कि मुखाग्नि देने का हक केवल बेटों को है, बेटियों को नहीं। लेकिन अनिता ने इस रूढि़वादी सोच को बदलने का कार्य किया है। सलूनी निवासी पंचायत समिति सदस्य शेर सिंह की पत्नी कौशल्या की मौत दस सितंबर को हुई तो मृतक की सबसे छोटी बेटी अनिता ने अपनी मां को मुखाग्नि दी। बेटा नहीं तो क्या बेटी ने अपनी मां को मुखाग्नि दी तो लोगों की आंखें नम हो गई। अनिता के इस कदम की चौतरफा सराहना हो रही है। कौशल्या के चार पुत्रियां हैं। उनके पिता शेर सिंह को एक भी पुत्र न होने से उन्हें दाह संस्कार की चिता हो रही थी, लेकिन बेटी ने रुढि़वादी परंपरा को तोड़ते हुए अपनी मां को मुखाग्नि दे दाह संस्कार पूरा करवाया। बेटी अनिता ने बताया कि वे किसी ऐसे शास्त्र को नहीं मानती जो बेटी व बेटा में फर्क करता हो। उनका सौभाग्य है कि उनको अपनी माता की अंतिम क्रिया करने का मौका मिला। उन्होंने यह शिक्षा अपनी मां से ही ग्रहण की है। भले ही उनकी मां अब जीवित न हों, लेकिन उन्होंने जो बेटा करता है वे सब काम किये हैं। बसपा जिला अध्यक्ष प्रमोद कटारिया ने कहा कि समाज को ऐसी बेटियों पर नाज है जो रुढि़वादी परंपरा को तोड़कर समाज के सामने एक मिशाल कायम की है। बेटी का यह कदम सराहनीय है। अनिता बीएससी कर रही हैं।

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