गेहूं में पत्ते का पीला रंग हर बार पीला रतुआ नहीं होता : कुमार

ब्लॉक एग्रीकल्चर ऑफिसर डॉ. विनोद कुमार ने दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित हेलो जागरण कार्यक्रम में किसानों के सवालों का जवाब दिया।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 01 Feb 2020 08:20 AM (IST) Updated:Sat, 01 Feb 2020 08:20 AM (IST)
गेहूं में पत्ते का पीला रंग हर बार पीला रतुआ नहीं होता : कुमार
गेहूं में पत्ते का पीला रंग हर बार पीला रतुआ नहीं होता : कुमार

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : गेहूं में पत्ते का पीला रंग हर बार पीला रतुआ नहीं होता। किसान खेतों में अनावश्यक दवाई का छिड़काव न करें। अगर किसी किसान को कोई दिक्कत दिखाई देती है तो कृषि विशेषज्ञ की सलाह लें। इन दिनों गेहूं की फसल में लंबे समय तक पानी खड़ा रहने से भी पत्ते पर पीलापन आ जाता है।

यह बात ब्लॉक एग्रीकल्चर ऑफिसर डॉ. विनोद कुमार ने शुक्रवार को दैनिक जागरण कार्यालय में आयोजित हेलो जागरण कार्यक्रम में किसानों के सवालों का जवाब देते हुए कही। हेलो जागरण में ज्यादातर किसानों ने कृषि विशेषज्ञ से गेहूं में पीलापन आने की बात कही तो उन्होंने इसके लिए सही उपचार करने के सुझाव दिए। ---किसानों के सवाल और कृषि विशेषज्ञ के जवाब---

- गांव कमौदा के किसान महावीर सिंह ने कहा कि उनके पास खाली खेत पड़ा है। इन दिनों उसमें कौन सी फसल बिजाई की जा सकती है?

कृषि विशेषज्ञ ने बताया कि इन दिनों मक्का और उड़द की फसल की बिजाई करना सबसे उपयुक्त है। इनकी पैदावार भी अच्छी निकलती है और बाजार में 100 दिन में पककर तैयार होने वाले मक्के का बीज है जो मई में तैयार हो जाएगा। उसके बाद धान की रोपाई भी की जा सकती है। उड़द सात-आठ क्विंटल और मक्का 30 क्विंटल तक निकल जाता है। इसके अलावा मूंग की बिजाई भी की जा सकती है। इसके बाद अगली फसल को नाइट्रोजन भी मिलता है। ज्योतिसर निवासी हेमंत ने कहा कि दो जनवरी को गेहूं की बीजाई की थी। अब तक फसल अच्छी तरह से नहीं चल पाई है।

कृषि विशेषज्ञ ने कहा कि फसल की बिजाई देरी से की है। ऐसे में जल्द तैयार होने वाली वैरायटी का चयन किया जाना जरूरी है। अच्छी वैरायटी का बीज खरीदते समय किसान को सरकारी दुकान को ध्यान में रखना चाहिए। गांव कमौदा के सोनू और सुभाष ने कहा कि खेत में कई जगह गेहूं की फसल पीली दिखाई दे रही है।

डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि पिछले कुछ दिनों से बरसात चल रही है। ऐसे में गहराई वाले खेतों में कई जगह लंबे समय तक पानी खड़ा हो जाता है। इससे गेहूं में हल्का पीलापन दिख रहा है। इसके लिए ढाई किलोग्राम यूरिया, आधा किलोग्राम जिक सल्फेट को 100 लीटर पानी में मिलाकर स्प्रे करें। यह प्रक्रिया एक सप्ताह बाद फिर दोहराएं। बारवा के सुखप्रीत ने कहा कि खेत में फसल हल्की है। दुकानदार कई महंगी दवाई डालने पर फसल अच्छी होने की बात कह रहे हैं।

डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि किसी भी दुकानदार के बहकावे में आकर फसल पर अनावश्यक दवा का स्प्रे न करें। अगर फसल में कोई कमी दिखाई देती है तो अपने क्षेत्र के कृषि विकास अधिकारी से संपर्क करें। कृषि विशेषज्ञ की सलाह के बाद ही उचित दवाई का स्प्रे करें। कमौदा गांव के रघुबीर ने कहा कि आलू की फसल के पत्तों में कुछ हल्कापन दिखाई दे रहा है। कौन सी दवा का स्प्रे किया जाएं?

डॉ. विनोद ने बताया कि 20 दिन में आलू पड़ाई पर आ जाएगा। ऐसे में किसी स्प्रे की जरूरत नहीं है। अगर ज्यादा दिक्कत है तो ढाई फीसद के हिसाब से यूरिया को मिलाकर स्प्रे किया जा सकता है। आलू का खेत खाली होने के बाद इसमें उड़द और मक्का की बिजाई की जा सकती है। -गांव पिडारसी के जोगिद्र सिंह ने कहा कि सरकार की ओर से मक्का बिजाई के लिए अच्छी कंपनियों का बीज नहीं दिया जा रहा है। इस कारण किसान को नुकसान हो रहा है।

डॉ. विनोद कुमार ने बताया कि सरकार की ओर से मक्का बिजाई के लिए किसानों को सब्सिडी दी गई थी। सरकार की ओर तय कंपनियों के बीजों पर ही सब्सिडी दी जा रही है। अच्छी पैदावार के लिए अगली बार सुधार किया जा सकता है। -गांव खानपुर के जगदीश ने कहा कि फसल में पीलापन दिखाई दे रहा है, खेत में पानी भी नहीं खड़ा है।

डॉ. विनोद कुमार ने कई बार मंडुसी का स्प्रे करने के बाद भी गेहूं में पीलापन आ जाता है। कुछ दिन इंतजार करें। फसल ठीक हो जाएगी। अगर ठीक न हो तो कृषि विशेषज्ञ की सलाह से जिक का स्प्रे करें। -गांव मथाना के रवि और गांव कमौदा के परमीत ने कहा कि खेत में कई जगह मिट्टी के बंजर होने के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, इसका असर गेहूं की फसल पर भी दिखाई दे रहा है।

डॉ. विनोद कुमार ने कहा कि कृषि विशेषज्ञ से जमीन का निरीक्षण कराएं। इसमें सल्फर का स्प्रे करवाने से लाभ मिल सकता है। मिट्टी की जांच करानी जरूरी है। इसके बाद ही सही उपचार हो सकता है।

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