आम लोगों के अर्थशास्त्री थे महात्मा गांधी : प्रो. गोयल

जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में शुक्रवार को महात्मा गांधी के 150 वर्ष पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 09 Mar 2019 06:28 AM (IST) Updated:Sat, 09 Mar 2019 06:28 AM (IST)
आम लोगों के अर्थशास्त्री थे महात्मा गांधी : प्रो. गोयल
आम लोगों के अर्थशास्त्री थे महात्मा गांधी : प्रो. गोयल

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग में शुक्रवार को महात्मा गांधी के 150 वर्ष पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का समापन हुआ। समापन सत्र के अध्यक्ष जगन्नाथ विश्वविद्यालय जयपुर के कुलपति प्रो. एमएम गोयल थे। समापन समारोह के मुख्य वक्ता पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ के गांधी भवन के पूर्व निदेशक

इतिहासकार प्रो. मनोहर लाल शर्मा, विशिष्ट अतिथि अंबेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के उप कुलपति प्रो. सलिल मिश्रा और जगन्नाथ विश्वविद्यालय ढाका बांग्लादेश के इतिहासकार डॉ.मोहम्मद जिया-उल-हक-शेख रहे।

समापन सत्र के अध्यक्ष प्रो. एमएम गोयल ने महात्मा गांधी को आम लोगों का अर्थशास्त्री कहा है। उन्होंने गांधी के सिद्धान्त सत्याग्रह, ट्रस्टीशिप के बारे में शोधार्थियों को बताया अहिसावाद व गीता में गांधी जी के विश्वास के बारे में बताया। अंत में उन्होंने गांधी जी की बिना चिता काम करने की नीति को जीवन में उतारने की बात कही। प्रो. सलिल मिश्रा ने कहा कि गांधी जी सक्रिय संत थे। वे हमेशा गतिशीलता का सिद्धान्त रखते थे। उन्होंने 19वीं व 20 वी शताब्दी के बीच में अंतर व बदलती परिस्थितियों की बात की लेकिन गांधी जी की समस्या निवारण की नीति आज भी प्रासंगिक है। समापन समारोह के मुख्य वक्ता प्रसिद्ध इतिहासकार प्रो. एमएल शर्मा ने गांधी जी को उत्साही व्यक्तित्व के स्वामी तथा कर्मयोगी कहा तथा गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता हमेशा बनी रहेगी। सम्मेलन के समापन समारोह में इतिहासकार डॉ. जिया-उल-हक-शेख ने कहा कि आज की गांधी जी के विचार व सिद्धान्त विभिन्न देशों के अंतरराष्ट्रीय संबंधों के विषय में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।

सम्मेलन के निदेशक प्रो. अमरजीत सिंह ने दो दिवसीय सम्मेलन की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। सम्मेलन में लगभग पूरे भारत से 30 इतिहासकारों ने भाग लिया। उन्होंने बताया कि देश-विदेश जैसे गुजरात, आंध्रप्रदेश, केरल, गुजरात, जम्मू-कश्मीर, पंजाब, दिल्ली, मध्यप्रदेश, बंगाल, राजस्थान, बांग्लादेश और इंग्लैंड से 350 प्रतिभागियों ने भाग लिया। शोधार्थियों ने गांधी जी के व्यक्तित्व व विचारों को अपने शोधपत्रों में काफी विश्लेषण किया। प्रो. अमरजीत सिंह ने शोधार्थियों के शोधपत्रों व उनकी सक्रिय प्रतिभागिता के आधार पर अनुसंधान में उनका भविष्य उज्ज्वल होने का विश्वास जताया।

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