कोरोना महामारी के सामने धीमी पड़ी स्वास्थ्य विभाग की गति

कोरोना महामारी के सामने स्वास्थ्य विभाग की गति धीमी पड़ गई है। जितनी तेजी से कोरोना वायरस पैर पसार रहा है लोगों का बचाव करने वाला स्वास्थ्य विभाग उतनी ही ढीली गति से चल रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 16 Apr 2021 06:42 AM (IST) Updated:Fri, 16 Apr 2021 06:42 AM (IST)
कोरोना महामारी के सामने धीमी पड़ी स्वास्थ्य विभाग की गति
कोरोना महामारी के सामने धीमी पड़ी स्वास्थ्य विभाग की गति

विनीश गौड़, कुरुक्षेत्र

कोरोना महामारी के सामने स्वास्थ्य विभाग की गति धीमी पड़ गई है। जितनी तेजी से कोरोना वायरस पैर पसार रहा है, लोगों का बचाव करने वाला स्वास्थ्य विभाग उतनी ही ढीली गति से चल रहा है। विशेषज्ञों के मुताबिक नया कोरोना वायरस दो से तीन दिन में ही मरीज के फेफड़ों को खराब कर सकता है। इसके बावजूद घर में क्वारंटाइन किए जा रहे मरीजों तक स्वास्थ्य विभाग का स्टाफ हालचाल पूछने तक नहीं पहुंच रहा। जहां स्टाफ पहुंच रहा है वहां भी तीन से चार दिन देरी से। ऐसे में कहीं ऐसा न हो कि स्वास्थ्य विभाग के भरोसे घरों में क्वारंटाइन मरीज अपने फेफड़ों का ही नुकसान कर लें। जिले में ऐसे कई मामले आए हैं जहां स्वास्थ्य मंत्री और डीसी को इंटरनेट मीडिया के माध्यम से शिकायत करने के बाद स्वास्थ्य विभाग जागा और तब कर्मियों ने चार से पांच दिन बाद पहुंचकर मरीजों का स्वास्थ्य जांचा। जिला अस्पताल से 50 मीटर की दूरी पर भी पांच दिन बाद पहुंचे स्वास्थ्य कर्मी

आजाद नगर, कल्याण नगर में घर पर क्वारंटाइन कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिजनों ने आरोप लगाया कि पांच दिन हो गए एक भी स्वास्थ्य कर्मी मरीज उनका हालचाल जानने नहीं आया। फोन तो बहुत आए, लेकिन कोई मरीज को देखने नहीं पहुंचा। यह तब है जब वे मुख्य जिला अस्पताल से महज 50 मीटर की दूरी पर स्थित कालोनी में रह रहे हैं। इसके बावजूद कोई स्वास्थ्य कर्मी दवा देने तक नहीं आया। एक कोरोना पॉजिटिव मरीज के परिजन ने आरोप लगाया कि डीसी शरणदीप कौर बराड़ को वाट्सएप पर शिकायत देने के बाद स्वास्थ्य कर्मचारी मरीज की जांच करने घर पहुंचे जबकि दूसरी तरफ कंटेनमेंट जोन और बफर जोन बनाने के दावे हो रहे हैं। स्वास्थ्य मंत्री के पास शिकायत की, तब पहुंचे कर्मी

सेक्टर पांच निवासी एक कोरोना पॉजिटिव ने आरोप कहा कि वह और उनकी पत्नी दोनों कोरोना पॉजिटिव आ गए हैं। मगर दो दिनों से सिर्फ फोन पर ही स्वास्थ्य कर्मचारी उन्हें तापमान नोट करने की सलाह दे रहे हैं, कोई भी घर देखने तक नहीं आया। जब उन्होंने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज के इंटरनेट मीडिया अकाउंट पर इसकी शिकायत की, उसी दिन स्वास्थ्य कर्मचारियों ने आकर उन्हें कुछ दवाएं दी। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य विभाग को तुरंत इस पर संज्ञान लेना चाहिए और मरीजों को उचित दवाएं भी उपलब्ध करानी चाहिए। थोड़ी सी अनदेखी से मरीज की जान तक जा सकती है। रोज घर पर क्वारंटाइन मरीजों को फोन किया जाता : डा. ललित

होम आइसोलेशन कार्यक्रम नोडल अधिकारी डा. ललित कल्सन ने बताया कि हर रोज घर पर क्वारंटाइन मरीजों को फोन किया जाता है। अगर किसी भी मरीज की शिकायत आती है कि उनके घर पर कोई दवा देने या स्टाफ नहीं पहुंचा तो तुरंत उस पर संज्ञान लिया जाता है। अगर फिर भी कोई स्वास्थ्य कर्मी लापरवाही करेगा तो उसके खिलाफ नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा उनके पास कोई भी उच्चाधिकारी से शिकायत नहीं पहुंची है। बाकायदा पॉजिटिव मरीजों के घर जाकर ऑक्सीमीटर से जांच भी की जाती है।

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