सीनेट हॉल में फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की ओर से सेमीनार का आयोजन

कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का ड्राफ्ट भविष्य के भारत की संभावनाओं व युवा शक्ति की अपेक्षाओं का दस्तावेज है। इसका लक्ष्य युवा भारत के भविष्य के लिए ऐसी नीति तैयार करना है जिससे देश की युवा शक्ति की अपेक्षाएं व सपने पूरे हो सकें।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 25 Jul 2019 06:40 AM (IST) Updated:Thu, 25 Jul 2019 06:40 AM (IST)
सीनेट हॉल में फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की ओर से सेमीनार का आयोजन
सीनेट हॉल में फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की ओर से सेमीनार का आयोजन

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. कैलाश चंद्र शर्मा ने कहा है कि राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2019 का ड्राफ्ट भविष्य के भारत की संभावनाओं व युवा शक्ति की अपेक्षाओं का दस्तावेज है। इसका लक्ष्य युवा भारत के भविष्य के लिए ऐसी नीति तैयार करना है जिससे देश की युवा शक्ति की अपेक्षाएं व सपने पूरे हो सकें। 600 पृष्ठों के इस ड्राफ्ट में शिक्षा से जुड़े हर उस विषय को छूने का प्रयास किया गया है, जिससे वर्तमान की समस्याओं व भविष्य की जरूरतों को पूरा किया जा सके। वे बुधवार को सीनेट हॉल में फैकल्टी डेवलपमेंट सेंटर की ओर से नई शिक्षा नीति 2019 विषय पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार को संबोधित कर रहे थे।

कुलपति ने कहा कि डॉ. कस्तूरी रंगन की अध्यक्षता में गठित इस कमेटी ने देश की युवा शक्ति की हर आवश्यकता को ध्यान में रखकर इसे तैयार किया है। उन्होंने कहा कि आज सात देशों की जितनी जनसंख्या है ,उससे अधिक जनसंख्या भारत में युवा शक्ति की है। शिक्षा नीति में स्कूल स्तर पर 100 प्रतिशत पंजीकरण व उच्च शिक्षा में वर्ष 2030 तक एनरोलमेंट रेशो 50 प्रतिशत तक पहुंचाने का लक्ष्य रखा गया है। शिक्षा नीति में तीन श्रेणी के शिक्षण संस्थानों की स्थापना की बात की है जिसमें पहली श्रेणी में रिसर्च यूनिवर्सिटी, दूसरी श्रेणी में टीचिग एवं रिसर्च यूनिवर्सिटी व तीसरी श्रेणी में आटोनॉमस कालेजों को रखा गया है। इस नीति की खास बात यह है कि इसमें भविष्य की जरूरतों के लिए नेशनल रिसर्च फांउडेशन, इंडियन इंस्टीट्यूट आफ लिबरल आर्ट, नेशनल हायर एजुकेशन कौंसिल, नेशनल हायर एजुकेशन कमीशन, मल्टी डिसिपलिनरी यूनिवर्सिटी, हेल्थ यूनिवर्सिटी, तकनीकी यूनिवर्सिटी सहित बड़े शिक्षण संस्थानों की स्थापना का प्रस्ताव रखा है।

डीन एकेडमिक अफेयर प्रो. मंजूला चौधरी ने कहा कि 1986 में इससे पहले शिक्षा नीति बनी जिसे 1992 में लागू किया गया। उस शिक्षा नीति के कारण शिक्षा में लोगों की भागीदारी बढ़ी। गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की दिशा में हम आगे बढ़े। पुरानी पॉलिसी प्री इंटरनेट युग से पहले की थी लेकिन सूचना एवं तकनीक के इस दौर में 5जी पीढ़ी की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए नई शिक्षा नीति की जरूरत थी। सरकार ने सही समय पर उचित कदम उठाकर इस ड्रॉफ्ट को तैयार किया है। उच्च सेंटर की प्रोजेक्ट को-ऑर्डिनेटर प्रो. नीरा वर्मा ने कहा कि केंद्र की ओर से नई शिक्षा नीति ड्राफ्ट 2019 पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया है। इस ड्राफ्ट पर चर्चा के लिए विश्वविद्यालय के विभिन्न वरिष्ठ शिक्षकों ने विभिन्न अध्यायों पर अपनी प्रस्तुतियां दी।

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