मेरी बेटी को क्या हुआ.. यह बोल क्यों नहीं रही.. मां के कंठ से निकलती रही पुकार
संवाद सहयोगी, इस्माईलाबाद : मेरी बेटी को क्या हुआ। इसे कहां से लाए हो। यह बोल क्यों नहीं र
संवाद सहयोगी, इस्माईलाबाद : मेरी बेटी को क्या हुआ। इसे कहां से लाए हो। यह बोल क्यों नहीं रही है। नहीं इसे कुछ नहीं हो सकता इसे तो पढ़ लिखकर अफसर बनना है। यह तो ट्यूशन गई थी। छात्रा का शव देखकर मां के कंठ से यही दुख निकलता रहा। जिस मां ने अपनी बेटी को ढोली में बिठाने के सपने संजोए थे आज उसकी की अर्थी सजानी पड़ी। परिवार के लोगों ने छोटी बहन और मां को कुछ नहीं बताया था। जिन गलियों में छात्रा खेल कूद कर बड़ी हुई, उन्हीं गलियों से उसकी शव यात्रा निकली। छात्रा की छोटी बहन का रो रो कर बुरा हाल था। उसका कहना था कि उसकी बहन का आखिर कसूर क्या था। जिस बहन के वह पांच दिन से सकुशल आने की बाट जोह रही थी। आज उसका शव आया है।