दादा-दादी परिवार की अमूल्य धरोहर

दादा-दादी का जब बचपन लौट आता है तो वे भूल जाते हैं कि वे उम्र के अंतिम पड़ाव में हैं। बचपन में वे ऐसे-ऐसे हैरतअंगेज करतब दिखाते थे कि सब झूमने लग जाते थे। ठीक ऐसा ही नजारा देखने को मिला गीता निकेतन विद्या मंदिर, सेक्टर-3 विद्यालय में आयोजित दादा-दादी सम्मेलन में।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 17 Feb 2019 05:19 AM (IST) Updated:Sun, 17 Feb 2019 05:19 AM (IST)
दादा-दादी परिवार की अमूल्य धरोहर
दादा-दादी परिवार की अमूल्य धरोहर

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र: दादा-दादी का जब बचपन लौट आता है तो वे भूल जाते हैं कि वे उम्र के अंतिम पड़ाव में हैं। बचपन में वे ऐसे-ऐसे हैरतअंगेज करतब दिखाते थे कि सब झूमने लग जाते थे। ठीक ऐसा ही नजारा देखने को मिला गीता निकेतन विद्या मंदिर, सेक्टर-3 विद्यालय में आयोजित दादा-दादी सम्मेलन में। कार्यक्रम का शुभारंभ विद्यालय के प्रबंधक गुलशन कुमार ग्रोवर ने दीप प्रज्जवलित करके किया। उन्होंने कहा कि आधुनिक युग में बच्चे संस्कार व संस्कृति से दूर होते जा रहे हैं। इसे बनाए रखने के लिए दादा-दादी की अहम भूमिका है। बच्चों को अपना खाली समय अधिक से अधिक अपने दादा-दादी के साथ बिताना चाहिए। ताकि उन्हें भारतीय संस्कृति से अवगत करवाया जा सके। देश का अच्छा नागरिक निर्माण में परिवार की अहम भूमिका होती है । विद्यालय के प्रधानाचार्य बलवंत ¨सह ने बताया कि मां-बाप के पास बैठने के दो फायदे हैं एक आप कभी बड़े नहीं होते और दूसरे मां बाप कभी बूढ़े नहीं होते। इस सम्मेलन में कक्षा नर्सरी से दूसरी कक्षा के बच्चों के लगभग 100 से ज्यादा दादा-दादियों ने भाग लिया। सम्मेलन में पहुंचे कक्षा द्वितीय की छात्रा हरनूर के दादा व कक्षा केजी की छात्रा हीशा सैनी के दादा ने विद्यालय में करवाया गए इस सम्मेलन की प्रशंसा की। इस अवसर पर नन्हे-मुन्ने बच्चों द्वारा अपने दादा-दादी के लिए कविताएं, नाटक, देशभक्ति गीत प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम के अंत में प्रबंध समिति की महिला सदस्य योगिता ने सभी का आभार व्यक्त किया।

chat bot
आपका साथी