गौरी, निपुण और बुधादित्य योग में दुर्गाष्टमी व रामनवमी आज

जागरण संवाददाता कुरुक्षेत्र भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम के जन्मदिवस चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि शनिवार 13 अप्रैल को रामनवमी के रूप मनाई जाएगी।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 13 Apr 2019 07:28 AM (IST) Updated:Sat, 13 Apr 2019 07:28 AM (IST)
गौरी, निपुण और बुधादित्य योग में दुर्गाष्टमी व रामनवमी आज
गौरी, निपुण और बुधादित्य योग में दुर्गाष्टमी व रामनवमी आज

जागरण संवाददाता, कुरुक्षेत्र : भगवान विष्णु के सातवें अवतार श्रीराम के जन्मदिवस चैत्र शुक्लपक्ष की नवमी तिथि शनिवार 13 अप्रैल को रामनवमी के रूप मनाई जाएगी। शनिवार को ही श्री दुर्गाष्टमी पर कन्या पूजन होगा। सनातन धर्मावलंबियों में रामनवमी पर्व का खास महत्व है। हिदू धर्म शास्त्रों के अनुसार त्रेतायुग में धरती से अत्याचारों को समाप्त करने तथा धर्म की फिर से स्थापना के लिए भगवान विष्णु ने मृत्यु लोक में श्री राम के रूप में अवतार लिया था। भगवान श्रीराम का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में मध्याह्न काल में हुआ था। रामनवमी के साथ ही चैत्र नवरात्र का भी समापन होगा है।

गायत्री ज्योतिष अनुसंधान केंद्र के संचालक डॉ. रामराज कौशिक के अनुसार इस वर्ष चैत्र मास के आठवें दिन अष्टमी युक्त नवमी तिथि शनिवार 13 अप्रैल को भगवान राम का जन्मोत्सव मनेगा। पंचांगों के हवाले से बताया कि शनिवार को अभिजीत मुहूर्त 11.56 बजे से 12.47 बजे के बीच है। इसी दौरान जन्मोत्सव होगा। उनके अनुसार नवमी तिथि 13 अप्रैल की सुबह 11.41बजे से 14 अप्रैल की सुबह 9.36 बजे तक है। शनिवार को ही चैत्र शुक्ल नवमी तिथि का पुनर्वसु नक्षत्र और कर्क लग्न में मघ्याह्न काल पढ़ रहा है। इसी समय भगवान का जन्म हुआ था। इसलिए शनिवार को ही रामनवमी शास्त्र सम्मत है। गौरीयोग, निपुण योग और बुधादित्य योग इस बार रामनवमी पर गौरीयोग, निपुण योग और बुधादित्य योग बन रहा है, जो अति फलदायी है। उनके अनुसार चंद्रमा के केंद्र में स्वग्रही होने से गौरी योग बनेगा, जबकि सूर्य चंद्रमा के साथ रहने पर दोनों के बीच दस डिग्री का अंतर होने से निपुण योग बनेगा। पूजन से साढ़े साती व ढय्या में लाभ होगा। शनिवार को पुष्य नक्षत्र युक्त नवमी तिथि के कारण रामनवमी पर भगवान की पूजा करने से शनि की साढ़े साती और ढय्या के साथ महादशा व अंतर्दशा से परेशान लोगों का लाभ मिलेगा। इससे उनकी समस्या दूर होगी। नवमी तिथि होने से माता दुगर को अपराजिता फूल, ईत्र व अबरख चढ़ाने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होगी। शनि और राहू ग्रह के प्रकोप से भी शांति मिलेगी। गुरु और सूर्य की स्थिति से पूजन लाभदायी श्रीराम के अवतरित होने की प्रचलित मान्यता चैत्र मास, शुक्ल पक्ष, नवमी तिथि, मध्याह्न काल और पुनर्वसु और पुष्य नक्षत्र है। 13 अप्रैल को दोपहर 12 बजे कर्क लग्न, कर्क राशि के साथ गुरु और सूर्य की उत्तम पूजा, भक्ति, सत्संग व मनोकामना पूर्ति के लिए श्रीराम जन्मोत्सव मनाना श्रेष्ठ है। पूजन के साथ उपवास भी रखेंगे श्रद्धालु रामनवमी की पूजा में पहले देवताओं पर जल, रोली और लेपन चढ़ेगा। फिर मूर्तियों पर मुट्ठी भरके चावल चढ़ाया जाएगा। पूजा के बाद आरती की जाएगी। नारद पुराण के अनुसार रामनवमी के दिन भक्तों को उपवास करना चाहिए। श्री राम जी की पूजा-अर्चना करने के बाद ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए। गाय, भूमि व वस्त्र आदि का दान देना चाहिए।

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