पहली बस चालक-परिचालक अर्चना-सरिता को मिलेगा सम्मान

नगर निगम की ओर से सिटी बस चला रही महिला चालक अर्चना और और परिचालक सरिता को मुख्यमंत्री महिला दिवस पर सम्मानित करेंगे।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 07 Mar 2020 10:15 AM (IST) Updated:Sat, 07 Mar 2020 10:15 AM (IST)
पहली बस चालक-परिचालक अर्चना-सरिता को मिलेगा सम्मान
पहली बस चालक-परिचालक अर्चना-सरिता को मिलेगा सम्मान

जागरण संवाददाता, करनाल:

नगर निगम की ओर से सिटी बस चला रही महिला चालक अर्चना और और परिचालक सरिता को मुख्यमंत्री महिला दिवस पर सम्मानित करेंगे।

दोनों महिलाएं नारी सशक्तीकरण की मिसाल पेश कर रही हैं। पुरुष प्रधान समाज में इन दोनों महिलाओं की खास उपलब्धि को देखते आठ मार्च को चंडीगढ़ में यह सम्मान होगा।

अर्चना को करनाल की पहली बस ड्राइवर होने का गौरव हासिल है। उसकी राह मुश्किल थी। बस ड्राइवर बनने के कदम को समाज के लोगों ने सही नहीं माना था, क्योंकि कभी यह सुना भी नहीं था कि महिला बस भी चला सकती है। कारण था कि सख्त स्टेयरिग घुमाने के लिए सख्त हाथ होने चाहिए। बावजूद इसके अर्चना ने इस धारण को तोड़ दिया था। बल्ला गांव की महिला अर्चना करनाल की सड़कों पर नगर निगम की सिटी बस दौड़ा रही है। यह शहर महिलाओं को ई-रिक्शा चलाते हुए तो पहले देख चुका है, लेकिन यात्रियों से खचाखच भरी बस को एक महिला के नियंत्रण में देखने का अनुभव पहली बार हो रहा है।

जींद के रजाना गांव की अर्चना का विवाह 13 साल पहले बल्ला गांव में ड्राइवर धर्मेद्र के साथ हुआ था। अर्चना 12वीं कक्षा तक पढ़ी है। विवाह के बाद वह अपने जीवन को किसी मुकाम पर ले जाने की चाहत रखती थी। इस बाबत उसने धर्मेद्र से बात की। इसके बाद उसने हैवी ड्राइविग लाइसेंस बनाया। फिर उसने बस चलाने की नौकरी भी हासिल कर ली। पहले वह असंध के डीएवी पब्लिक स्कूल की बस चलाती थी। इसके बाद उसने सहकारी समिति की बस चलाई। उसने करनाल से लाडवा, कुरुक्षेत्र, शाहबाद तक के रूट पर बस चलाई। दो साल पहले वह नगर निगम के अधीन शुरू हुई बस सेवा में ड्राइवर के तौर पर कार्यरत हुई। कंडक्टर सरिता को भी मिला परिवार का सहयोग

दो साल से अर्चना की सहयोगी कंडक्टर सरिता ने भी समाज के सामने एक नजीर पेश की है। जहां आम तौर पर बस में टिकट काटने वाले कंडक्टर को देखते हैं। लेकिन जब करनाल में लोग सिटी बस में सवार होते हैं तो ना सिर्फ स्टेयरिग महिला के हाथ में होता, बल्कि टिकट काटने वाली कंडक्टर भी महिला ही होती है। यह देखकर लोगों को सुखद अहसास होता है। सरिता करनाल के इंद्री क्षेत्र के नगला शाहपुर गांव की रहने वाली हैं। वह कहती हैं कि उनके पति कुलदीप ने उनकी आगे बढ़ने में पूरी मदद की है। उनकी हौसला अफजाई से ही वह समाज में अपनी पहचान कायम कर सकी हैं।

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