शुद्ध हवा के लिए भी लड़ना पड़ रहा, इसमें हरएक की हो भागेदारी : अनुज सैनी

सप्ताह का साक्षात्कार फ्लैग: पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे समाजसेवी संस्था आकृति के

By JagranEdited By: Publish:Sun, 16 Sep 2018 06:56 PM (IST) Updated:Sun, 16 Sep 2018 06:56 PM (IST)
शुद्ध हवा के लिए भी लड़ना पड़ रहा, इसमें हरएक की हो भागेदारी : अनुज सैनी
शुद्ध हवा के लिए भी लड़ना पड़ रहा, इसमें हरएक की हो भागेदारी : अनुज सैनी

सप्ताह का साक्षात्कार

फ्लैग: पर्यावरण संरक्षण के लिए काम कर रहे समाजसेवी संस्था आकृति के प्रेसिडेंट ने की दैनिक जागरण से बातचीत, कहा- माइ¨नग, जल प्रदूषण को रोकने के लिए भी लड़ी लंबी लड़ाई, कामयाब होने तक जारी रहेगी जंग जागरण संवाददाता, करनाल

शुद्ध आबोहवा मिले, उसमें उसमें किसी का दखल न हो। यह हमारा जन्मसिद्ध अधिकार है, लेकिन इस अधिकार के लिए हमें लड़ाई लड़नी पड़ रही है। पर्यावरण प्रदूषित हो रहा है। बीमारियां फैल रही हैं, जिस प्रकार की स्थिति बन रही है ऐसे में वह दिन दूर नहीं जब हमें शुद्ध हवा के झोंके के लिए तरसना पड़ेगा। यह ¨चता जहन में आई और पर्यावरण को सुरक्षित करने की दिशा में कदम उठाने का मन बनाया। उसके बाद स्वच्छ पर्यावरण के लिए प्रयास शुरू कर दिए। यह बात माडल टाउन निवासी आकृति संस्था के प्रेसिडेंट अनुज सैनी ने दैनिक जागरण से साप्ताहिक साक्षात्कार के दौरान कही। उन्होंने कहा कि पर्यावरण-प्रदूषण समस्त मानव जाति के लिए गंभीर खतरा है। इससे मनुष्य के मूलभूत अधिकार अर्थात जीवन के अधिकार का हनन होता है। प्रकृति के असंतुलित और अविवेकपूर्ण दोहन से पर्यावरण को गंभीर क्षति पहुंची है। इसका सीधा परिणाम है-वायु प्रदूषण, जल प्रदूषण, मृदा प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण। - जिस प्रकार से पर्यावरण प्रदूषण हो रहा है, उसको आप किस प्रकार देखते हैं

- अनुज सैनी ने कहा कि इस भूमंडल में स्वस्थ जीवन जीना व्यक्ति का सर्वोच्च मानवाधिकार है। पर्यावरण-प्रदूषण के कारण हो रहे इस अधिकार-हनन को रोका जाना अत्यंत आवश्यक है। इस दिशा में राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई प्रयास भी हुए हैं। भारतीय ¨चतन-परम्परा में स्वच्छ पर्यावरण की बात हमेशा से की जाती रही है। आज जरूरत इस बात की है कि इस प्राण घातक प्रदूषण को नियंत्रित करने और उससे निपटने लिए पुरजोर प्रयास किए जाएं। हमें ही नहीं, बल्कि आगे आने वाली पीढि़यों को निगल जाएगा। - आपकी संस्था ने इस दिशा में क्या-क्या प्रयास किए हैं?

- आकृति संस्था के प्रेसिडेंट अनुज सैनी ने कहा कि वैसे तो वह करीब 10 साल से पर्यावरण संरक्षण की दिशा में लगातार काम कर रहे हैं। अकेले इस डगर पर चला कठिन था, इसलिए समाजसेवी संस्था बनाई। पर्यावरण प्रेमियों को जोड़ा और इस दिशा में काम किया तो अच्छे परिणाम भी निकलकर सामने आए। यमुनानगर में हमने क्रशर माइ¨नग के खिलाफ बड़े स्तर पर आंदोलन किया। सरकार जागी और माइ¨नग को बंद कराया। यमुनानगर क्षेत्र के कलेसर के जंगल से भी पेड़ काटने की घटनाएं सामने आई थी। इसका हमने विरोध किया और लोगों को पेड़ काटने के कारण होने वाले नुकसान के बारे में बताया। आकृति संस्था ने यमुना बेल्ट पर ज्यादा काम किया है, क्या यमुना की तरफ भी ध्यान दिया?

-अनुज ने बताया कि जल प्रदूषण का असर भी सीधा मानव शरीर पर पड़ता है। यमुना की स्थिति को देखा तो मन दुखी हुआ। बड़ी-बड़ी फैक्ट्रियों का गंदा पानी बिना ट्रीट किए यमुना में डाला जा रहा था, जो बीमारी का कारण बन रहा है। हमने इसके खिलाफ आवाज उठाई। जो लोग इस समस्या से परेशान थे उनको भी साथ में जोड़ा ओर मुहिम को आगे बढ़ाया। अभियान को सफलता भी मिले। इंडस्ट्री एरिया को निर्देश जारी हुए कि बिना ट्रीट किए पानी डाला तो कार्रवाई होगी। पर्यावरण को बिगाड़ने के पीछे कई कारण हैं, लेकिन फसलों के अवशेष जलाना भी एक अहम है, उसे आप कैसे देखते हैं?

-अनुज ने कहा कि यह ¨चता का विषय है। किसान को जागरूक होना ही होगा, नहीं तो अपने पैर पर कुल्हाड़ी मारने वाली बात होगी। अवशेष जलाकर वातावरण खराब कर दूसरों को भी नुकसान पहुंचा रहा है। यही नहीं जमीन की उर्वरा शक्ति को भी नष्ट कर रहा है। हमारा यही लक्ष्य है कि पर्यावरण प्रदूषण को कैसे रोका जाए। इसके लिए बेहतर प्रयास कर रहे हैं। अब धान कटाई का सीजन शुरू हो चुका है, किसानों से रूबरू होंगे। अवशेष न जलाने के लिए प्रेरित करेंगे। संक्षिप्त परिचय

अनुज सैनी का जन्म करनाल में वर्ष 1986 में हुआ। उनकी प्राथमिक शिक्षा दयाल ¨सह स्कूल मेन ब्रांच से हुई। इसके बाद स्नातक कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय से की। स्नातक करने के बाद से ही वह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में काम करना शुरू हो गए। उन्होंने इसके बाद एमबीए पत्राचार से की। वर्ष 2009 में आकृति संस्था का गठन किया।

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