ठग दंपती बातों के जाल में यूं फंसाते थे, सामने वाला हकीकत जान नहीं पाता था

बेरोजगार युवकों को सरकारी नौकरी का लालच दिखा ठगने वाले गिरोह बहुत ही शातिर तरीके से काम को अंजाम देता है। वह सामने वाले को फंसा रहा है इसका थोड़ा सा भी अंदेशा नहीं होने देता। पीड़ितों ने बताया कि वह इस तरह का व्यवहार करते हैं कि हर कोई उनके झांसे में आ सकता है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 22 Sep 2019 06:00 AM (IST) Updated:Mon, 23 Sep 2019 06:37 AM (IST)
ठग दंपती बातों के जाल में यूं फंसाते थे, सामने वाला हकीकत जान नहीं पाता था
ठग दंपती बातों के जाल में यूं फंसाते थे, सामने वाला हकीकत जान नहीं पाता था

सुशील कौशिक घरौंडा

बेरोजगार युवकों को सरकारी नौकरी का लालच दिखा ठगने वाले गिरोह बहुत ही शातिर तरीके से काम को अंजाम देता है। वह सामने वाले को फंसा रहा है, इसका थोड़ा सा भी अंदेशा नहीं होने देता। पीड़ितों ने बताया कि वह इस तरह का व्यवहार करते हैं कि हर कोई उनके झांसे में आ सकता है। पीड़ित करनाल के मोतीनगर निवासी शिकायतकर्ता संदीप कुमार ने बताया कि उन्हें तो यहीं लग रहा था कि आरोपित सही बोल रहे हैं। उन्होंने फार्म जमा कराए। रिश्वत की रकम भी ऑन लाइन लेते हैं। इससे उन्हें लगा कि सामने वाला सही व्यक्ति है।

बड़ा सवाल 90 दिन काम कैसे कराया ?

ठगों ने बेरोजगारों से 90 दिन विभाग में काम कराया। यह कैसे संभव हुआ। इस सवाल का जवाब पुलिस की जांच टीम भी खोज रही है। क्यों विभाग के अधिकारी ने तभी इस पर ऑब्जेक्शन उठाया। यह भी जांच का विषय है कि क्या दिल्ली मेट्रो और हिसार बिजली बोर्ड के कुछ कर्मचारी तो इस गिरोह से मिले हुए नहीं थे। क्योंकि बिना मिलीभगत के यह संभव नहीं कि फर्जी ज्वाइनिग लेटर पर आफिस में इतने दिन कोई आता रहे।

पीड़ितों पर दोहरी मार, कर्ज लेकर दी रकम

शिकायतकर्ता संदीप कुमार ने बताया कि सरकारी नौकरी के लालच में उसने इधर उधर से उधार लेकर ठग दंपति को पैसे दिए। अब जब नौकरी नहीं मिली, इधर उधार देने वालों ने पैसा मांगना शुरू कर दिया। तब उसने बैंक से 5 लाख का लोन व साढ़े नौ लाख रूपये की लिमिट बनवा कर कर्ज लौटाया। उसने बताया कि इस चक्कर में उसकी वर्कशाप भी बंद हो गयी।

पुलिस में है या नहीं, इसकी भी जांच हो रही है

इधर मधुबन पुलिस स्टेशन के इंचार्ज तरसेम चंद ने बताया कि जांच की जा रही हैं कि आरोपित महिला वास्तव में विभाग में हैं या फिर उन्होंने धोखा देने के लिए वर्दी पहनी हुई थी। यह भी देखा जा रहा है कि आरोपित यदि पुलिस में है तो वह कहां कार्यरत है। सभी एंगल पर जांच चल रही है। एक बार सारे तथ्य सामने आ जाए। इसके बाद ही इस मसले पर आगे की कार्यवाई की जाएगी।

सरकारी नौकरी के नाम पर पैसे न दें

इधर यूथ फॅार चेंज के प्रदेशाध्यक्ष एडवोकेट राकेश ढुल ने कहा कि सरकारी नौकरी के नाम पर पैसे नहीं देने चाहिए। नौकरी अब योग्यता के आधार पर मिल रही है। पुलिस और ग्रुप डी की नौकरी इसका सबसे बड़ा उदाहरण है। इसलिए ऐसे तत्वों से न सिर्फ सावधान रहना चाहिए, बल्कि इनका पता चले तो तुरंत पुलिस को इसकी जानकारी देनी चाहिए।

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