अवार्ड के लिए कई संस्थाएं बटोर रहीं पैसे : इंदूलेखा

अपना विचार मंच की बैठक मॉडल टाउन के निर्मल धाम में प्रेमपाल सागर की अध्यक्षता में हुई। उसमें आशा ग्रोवर मुख्य अतिथि थीं। मंच संस्थापक पीडी कपूर ने कहा कि आज बहुत कम लोगों में देश के प्रति प्रेम और समाजसेवा दिखाई देती है। अधिकतर लोग दिखावा कर रहे हैं। हमारे त्योहारों का महत्व दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। हर त्योहार को दो-दो बार मनाने की प्रथा चल पड़ी है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 25 Mar 2018 07:46 PM (IST) Updated:Sun, 25 Mar 2018 08:22 PM (IST)
अवार्ड के लिए कई संस्थाएं बटोर रहीं पैसे : इंदूलेखा
अवार्ड के लिए कई संस्थाएं बटोर रहीं पैसे : इंदूलेखा

जागरण संवाददाता, करनाल : अपना विचार मंच की बैठक मॉडल टाउन के निर्मल धाम में प्रेमपाल सागर की अध्यक्षता में हुई। उसमें आशा ग्रोवर मुख्य अतिथि थीं। मंच संस्थापक पीडी कपूर ने कहा कि आज बहुत कम लोगों में देश के प्रति प्रेम और समाजसेवा दिखाई देती है। अधिकतर लोग दिखावा कर रहे हैं। हमारे त्योहारों का महत्व दिन प्रतिदिन कम होता जा रहा है। हर त्योहार को दो-दो बार मनाने की प्रथा चल पड़ी है।

मंच अध्यक्ष इंदूलेखा ने कहा कि सभी संस्थाएं महिलाओं को अवार्ड दे रही हैं। अवार्ड प्राप्त करने के लिए संस्थाएं अवार्डी से 11 हजार, 21 हजार, 31 हजार से 51 हजार तक बटोर रही हैं। उनके विचार से यह उच्च स्तर पर व्यापार हो रहा है। हमें समाज को जगाना होगा। उन महिलाओं को सम्मानित किया जा रहा है, जिन्हें समाजसेवा के एबीसी तक नहीं मालूम। बैठक में कवियों ने अपनी कविताओं से समां बांधा।

इंदू ने कहा-जिसने दी है ¨जदगी, उसका साया भी नजर नहीं आता। पीडी कपूर ने पेश किया-कहलाने को तो कहलाते हैं हम इंसान सभी, इंसानियत के नाम से हैं अंजान सभी। विष्णु शर्मा ने प्रस्तुत किया-दिल के रिश्ते का कोई नाम नहीं होता, हर रास्ते को कोई मुकाम नहीं होता। साबिर खान ने कहा-दुश्मनी से तो तुम्हें कुछ नहीं मिलने वाला, दोस्ती कर लो अगर मुझ को मिटाना चाहो। हर्षबाला ने पेश किया-मंगना है भला सबदा, दाता तेरे द्वारे तों। संजीदा ने कहा अपने नसीब की हुई कुछ इस तरह सहर, भटके हैं रोशनी के लिए हम तो उम्रभर। कुल¨जद्र ¨सह विर्क ने फरमाया-क्या कहूं, क्या न कहूं, कुछ भी समझ आता नहीं, चुप के इस शोर में मन को कुछ भाता नहीं। अनिल चोपड़ा ने कहा-मेरे दुश्मन मुझे हंसते हुए छोड़कर चले गए, ये कहकर कि तेरे अपने ही काफी हैं, तुझे रुलाने के लिए। प्रेमपाल सागर, सुरेशा भाणा और आशा ग्रोवर ने भी अपनी कविताएं पेश की। इस अवसर पर किरण राजरानी, भीम भाटिया, बाज ¨सह आदि मौजूद रहे।

chat bot
आपका साथी