करोड़ों के स्कॉलरशिप घोटाले में सीबीआइ के रडार पर करनाल के इंजीनियरिग कॉलेज

हिमाचल प्रदेश से उजागर हुए स्कूली बच्चों की 250 करोड़ रुपये के स्कॉलरशिप घोटाले की आंच करनाल तक पहुंच चुकी है। जिले के इंजीनियरिग कॉलेज सीबीआइ के रडार पर आ गए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Wed, 15 May 2019 10:33 AM (IST) Updated:Thu, 16 May 2019 06:34 AM (IST)
करोड़ों के स्कॉलरशिप घोटाले में सीबीआइ के रडार पर करनाल के इंजीनियरिग कॉलेज
करोड़ों के स्कॉलरशिप घोटाले में सीबीआइ के रडार पर करनाल के इंजीनियरिग कॉलेज

अश्विनी शर्मा, करनाल

हिमाचल प्रदेश से उजागर हुए स्कूली बच्चों की 250 करोड़ रुपये के स्कॉलरशिप घोटाले की आंच करनाल तक पहुंच चुकी है। जिले के इंजीनियरिग कॉलेज सीबीआइ के रडार पर आ गए हैं। करनाल में तीन कॉलेजों में सीबीआइ की टीम की छापामारी की बात सामने आई है, लेकिन अभी एक ही कॉलेज ने सीबीआइ टीम के आने की बात स्वीकारी है। अलबत्ता सीबीआइ के प्रवक्ता आरके गौड़ का कहना है कि जांच पूरी नहीं होने तक किसी भी शिक्षण संस्थान का नाम सार्वजनिक किया जाएगा। उन्होंने यह जरूर माना कि करनाल में 250 करोड़ के स्कॉलरशिप घोटाले को लेकर जांच की गई है।

इस घोटाले की परतें खोलने के लिए सीबीआइ की टीम ने करनाल में छापामारी की थी। प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं से फर्जी खाते तैयार कराकर ही घोटाले को अंजाम दिया गया था। लिहाजा जिन-जिन शिक्षण संस्थाओं से यह खाते तैयार होने का शक सीबीआइ को हुआ, वहां वहां जाकर सीबीआइ ने छापामारी की।

एपेक्स कॉलेज से रिकॉर्ड ले गई टीम

इंद्री के एपेक्स कॉलेज में सीबीआइ की टीम सुबह नौ बजे पहुंच गई थी। पहले कॉलेज प्रबंधन को भी भनक नहीं लगी थी कि यह सीबीआइ की टीम है। लेकिन जब टीम ने कॉलेज के बच्चों का रिकार्ड मांगा तो पता चला कि टीम जांच के लिए आई है। टीम ने जरूरी दस्तावेज जांचे और रिकार्ड अपने साथ लेकर चली गई। इस दौरान कॉलेज के अंदर किसी को भी जाने की इजाजत नहीं दी गई। कॉलेज स्टाफ को भी यही बताया कि कॉलेज के निरीक्षण के लिए तकनीकी शिक्षा बोर्ड की टीम आई है। लिहाजा यह कार्रवाई पूरे गुपचुप ढंग से की गई।

कॉलेज के रजिस्ट्रार मोहिदर ने कहा कि हिमाचल में हुए घोटाले के संबंध में जांच करने के लिए टीम आई थी, लेकिन उनके यहां सब कार्य नियमों के दायरे में किया जाते हैं। टीम का पूरा सहयोग किया गया। इसके अलावा दो और इंजीनियरिग कॉलेज में भी सीबीआइ द्वारा जांच करने की बात सामने आई, लेकिन इसकी पुष्टि नहीं हो सकी।

ऐसे दिया था घोटाले को अंजाम

सरकारी स्कूल में विभिन्न योजनाओं के तहत एससी, एसटी, ओबीसी व मेरिट के तहत स्कॉलरशिप दी जाती है। यह स्कॉलरशिप 500 रुपये से लेकर 28 हजार रुपये सालाना तक है। सरकारी स्कूल के लाभपात्र बच्चों की जगह प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं से मिलकर उनसे बच्चों के नाम व जरूरी कागजात लिए गए। इसके बाद उनके फर्जी खाते खुलवा दिए गए। फिर स्कॉलरशिप की राशि उन खातों में डालनी शुरू कर दी गई। इस मामले की जांच सीबीआइ के पास आई तो पता चला कि इस घोटाले के दायरे में पंजाब, चंडीगढ़ व हरियाणा के निजी शिक्षण संस्थान है। इस घोटाले का पर्दाफाश हिमाचल प्रदेश के लाहौल-स्पीति क्षेत्र से हुआ था।

किसी को नहीं लगी भनक

सीबीआइ ने कहां छापामारी की है, इस बात की खबर करनाल में किसी को नहीं लगी। चूंकि प्राइवेट शिक्षण संस्थाओं की फेहरिस्त बहुत लंबी है। ऐसे यह पता करना भी तुरंत बहुत मुश्किल हो गया कि सीबीआइ ने कहां छापा मारा होगा। छापामारी का पता चलने के बाद अधिकारी भी एक दूसरे से जानकारी लेने में जुट गए, लेकिन किसी को पूरी बात की भनक नहीं लगी। ना ही किसी को यह पता था कि आखिर सीबीआइ ने किस मामले को लेकर छापामारी की है।

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