साका सरहिद नाटक देखकर भावुक हुए दर्शक

गुरु गोबिद सिंह के चार साहिबजादों और माता गुजरी की महान शहादत पर आधारित लाइट और साउंड ड्रामा साका सरहिद का मंचन डॉक्टर मंगल सेन ऑडिटोरियम में किया गया। मोहाली के ड्रामा ग्रुप यूनिवर्सल आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी के कलाकारों ने इस नाटक से नौ और सात वर्ष की आयु में दीवारों में जिदा चिने गए चारों साहिबजादों के बारे में बताया।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 29 Dec 2019 06:50 AM (IST) Updated:Sun, 29 Dec 2019 06:50 AM (IST)
साका सरहिद नाटक देखकर भावुक हुए दर्शक
साका सरहिद नाटक देखकर भावुक हुए दर्शक

जागरण संवाददाता, करनाल : गुरु गोबिद सिंह के चार साहिबजादों और माता गुजरी की महान शहादत पर आधारित लाइट और साउंड ड्रामा साका सरहिद का मंचन डॉक्टर मंगल सेन ऑडिटोरियम में किया गया। मोहाली के ड्रामा ग्रुप यूनिवर्सल आर्ट एंड कल्चर सोसाइटी के कलाकारों ने इस नाटक से नौ और सात वर्ष की आयु में दीवारों में जिदा चिने गए चारों साहिबजादों के बारे में बताया। बाबा जोरावर सिंह और बाबा फतह सिंह की लासानी कुर्बानी, माता गुजरी की शहादत को नाटक और स्क्रीन से प्रस्तुत किया गया।

प्रसिद्ध रंगकर्मी और पंजाबी फिल्मों के कलाकार नरिदर सिंह नीना के निर्देशित और अर्जुन सिंह के लिखित इस नाटक में लाइट और साउंड के विशेष इफेक्ट, सशक्त मंचन से दर्शकों को नाटक के रोमांच और उस समय के हालात से इस प्रकार जोड़ा गया कि दर्शकों को हर घटना अपने सामने घटित हुई लग रही थी। गुरु और उनके परिवार को मंच पर न दिखाने की मर्यादा के चलते स्क्रीन से उनका इस प्रकार से चित्रांकन किया गया कि जैसे वे स्वयं मंच पर मौजूद हों। साहिबजादों की निडरता, मौत को बेपरवाह होकर चैलेंज, देश और धर्म के लिए हर मुसीबत और जुलम सह कर भी अपने इरादे पर कायम रहने के उनके जज्बे को जहां सभी मन ही मन सलाम कर रहे थे। उनकी शहादत ओर अंतिम संस्कार के दृश्य ने हर दर्शक की आंख नम कर दी। हरियाणा पंजाबी साहित्य अकादमी और नेशनल इंटेग्रेटेड फोरम ऑफ आर्टिस्ट्स एंड एक्टिविस्ट्स ने जेनेसिस क्लासिस और सहोदय स्कूल कांप्लेक्स के सहयोग से आयोजित सफर-ए-शहादत नाम के कार्यक्रम में नाटक साका सरहिद के मंचन से हिदुस्तान के इतिहास के इस कुर्बानियों के भरे पन्नों से मौजूदा और भावी पीढ़ी को अवगत कराने का प्रयास किया है। दशकों का स्वागत करते हुए निफा अध्यक्ष प्रीतपाल सिंह पन्नू ने बताया कि दिसंबर के अंतिम सप्ताह में आनंदपुर साहेब के किले से निकलने के बाद गुरु गोबिद सिंह का पूरा परिवार अलग अलग हो गया। उनके बड़े पुत्र बाबा अजीत सिंह व बाबा जुझार सिंह 17 और 14 वर्ष की आयु में देश व धर्म की रक्षा के लिए चमकौर के युद्ध में शहीद हुए जबकि छोटे साहिबजादे सरहिद में शहीद किए गए। इस दौरान शाम के समय नाटक मंचन के दौरान सदस्य जत्थेदार भूपिदर सिंह असंध और मेयर रेनू बाला गुप्ता विशेष अतिथि रहे। इस दौरान पंजाबी साहित्य अकादमी के निदेशक गुरविदर सिंह, संत बाबा गुरमीत सिंह, संत जसवंत सिंह, त्रिलोचन सिंह, नगर निगम के उप निगम आयुक्त धीरज कुमार, नव चेतना मंच के संयोजक एसपी चौहान, सीजीसी अध्यक्ष एसएम कुमार, एडवोकेट नरेश बराना आदि मौजूद रहे।

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