बसंत विहार में करोड़ों रुपये के विकास के दावे बारिश से घुले

बसंत विहार कॉलोनी वासियों ने सोशल साइट के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपनी कीचड़ की गलियों के माध्यम से अधूरे विकास की तस्वीर भेजकर समस्या से निजात दिलाने की मांग की है। 30 वर्ष पहले बसे क्षेत्र में अब दो साल से सीवर डालने का कार्य किया जा रहा है। दो साल में जब भी बारिश की बूंद पड़ती है तो गलियों में जमा कीचड़ 15 दिन तक सूखता नहीं है। इस दौरान बच्चे स्कूल नहीं जाते और लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। आते-जाते स्कूली बच्चे फिसलकर कीचड़ में चोटिल हो रहे हैं। यहां के वासियों को एक-एक दिन सड़कों के निर्माण के इंतजार में गुजर रहा है। सीएम सिटी में 16

By JagranEdited By: Publish:Sat, 18 Jan 2020 06:20 AM (IST) Updated:Sat, 18 Jan 2020 06:20 AM (IST)
बसंत विहार में करोड़ों रुपये के विकास के दावे बारिश से घुले
बसंत विहार में करोड़ों रुपये के विकास के दावे बारिश से घुले

जागरण संवाददाता, करनाल : बसंत विहार कॉलोनी वासियों ने सोशल साइट के माध्यम से मुख्यमंत्री को अपनी कीचड़ की गलियों के माध्यम से अधूरे विकास की तस्वीर भेजकर समस्या से निजात दिलाने की मांग की है। 30 वर्ष पहले बसे क्षेत्र में अब दो साल से सीवर डालने का कार्य किया जा रहा है। जब भी बारिश की बूंद पड़ती है, तो गलियों में जमा कीचड़ 15 दिन तक नही सूखता। इस दौरान बच्चे स्कूल नहीं जाते और लोगों का घरों से बाहर निकलना मुश्किल हो जाता है। आते-जाते स्कूली बच्चे फिसलकर कीचड़ में चोटिल हो रहे हैं। यहां के वासियों को एक-एक दिन सड़कों के निर्माण के इंतजार में गुजर रहा है। सीएम सिटी में 168 एकड़ में फैली बसंत विहार कॉलोनी में बसने वाली लगभग 20 हजार की आबादी गली, नालियों व सड़कों की समस्या से त्रस्त है। नेताओं के आश्वासनों से अब क्षेत्र लोग थक चुके हैं और अधूरे विकास से माफी मांगने लगे हैं। ---बॉक्स----

घरों से बाहर निकलना मुश्किल

क्षेत्रवासी बसंत कुमार, सुभाष कुमार, सतपाल, दारा सिंह, महम सिंह, सुरेश कुमार, मामन, मोना ने बताया कि अब क्षेत्र के लोग करनाल के कीचड़ वाले विकास को सोशल साइट के माध्यम से प्रचार कर रहे हैं, ताकि सीएम सिटी की असली तस्वीर दिखाई पड़ सके। कॉलोनी में 14 गलियां हैं, सबकी हालात खराब है। बारिश आने के बाद लोगों का अपने घरों से बाहर आना-जाना भी दूभर हो जाता है, क्योंकि जरा सी बारिश होते ही गलियों में कीचड़ बन जाता है। गुरुवार रात से बूंदाबांदी के बाद लोगों को बाहर निकलना मुश्किल हो गया और बच्चों को स्कूल से छुट्टी करनी पड़ी। बीते पांच साल में शहर के विकास के दावे करने वाले नेताओं व अधिकारियों को एक बार बसंत विहार में आकर अपनी सच्चाई देखनी चाहिए।

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