इंद्री में तटबंध टूटने से 1520 एकड़ फसल खराब, आपदा प्रबंधन में फेल अधिकारी हवाई दावों में मुस्तैद
पश्चिम यमुना नहर की क्षमता 13 हजार, लेकिन किनारे 11 हजार क्यूसिक पानी बहने के बावजूद पश्चिमी यमुना नहर टूट गई। इसकी मरम्मत अभी तक नहीं हो पाई है और न ही जल निकासी की व्यवस्था हुई है।
संवाद सहयोगी, इंद्री/गढ़ीबीरबल : पश्चिम यमुना नहर की क्षमता 13 हजार, लेकिन किनारे 11 हजार क्यूसिक पानी का प्रेशर भी नहीं झेल पाई। परिणाम रविवार की रात तटबंध टूट गया। इस वजह से शेखपुरा, जैनपुर साधान और हिनौरी गांवों की 1520 एकड़ फसल डूब गई है। बाढ़ बचाओ पर मुस्तैदी का दावा करने वाले अधिकारी नहर के टूटे तटबंध के पानी को कंट्रोल करने में 24 घंटे बाद भी कामयाब नहीं हो सके। अधिकारियों के दावे इतने हवा-हवाई है कि जिस टूटे किनारे को सोमवार शाम पांच बजे तक ठीक करने का तुर्रा ठोका था, शाम सवा सात बजे तक वह किनारा 50 प्रतिशत ही पूरा हो पाया। स्थानीय विधायक और मंत्री कर्ण देव कंबोज, डीसी आदित्य दहिया मौके का दौराकर रस्म अदायगी की।
नहर का किनारा टूटने के बाद सोमवार की सुबह बचाव और राहत कार्य शुरू हुआ। बरसात से बार-बार काम रोकना पड़ा। मौके पर तैनात अधिकारियों के मुताबिक नहर का किनारा बंद होने में मंगलवार शाम पांच बजे तक का समय लग सकता है। हिनौरी में मकान गिरा, कई में दरार
हिनौरी के मकानों में दरार आई है। एक घर की छत गिर गई। ग्रामीणों ने प्रशासन से गांव में हुए नुकसान की भरपाई करने की मांग की है। कैसा आपदा प्रबंधन?
पश्चिमी यमुना नहर की वजह से इंद्री बाढ़ ग्रस्त क्षेत्र में शामिल है। प्रशासन का दावा था कि यहां आपदा प्रबंधन के इंतजाम पूरे हैं। रविवार रात नहर के टूटे किनारे ने प्रशासन के इन दावों की भी पोल खोल दी। साढ़े आठ बजे नहर में पानी बंद कराने का काम एक घंटे बाद साढ़े नौ बजे शुरू हुआ। जलस्तर कम होने में चार घंटे से अधिक का समय लग गया। तब तक पानी खेतों से होता हुआ आबादी की ओर बढ़ गया था। पानी रोकने में प्रशासन विफल रहा और जमा पानी को निकालने का काम 24 घंटे बाद भी शुरू नहीं हुआ। क्षेत्र के बीडीपीओ अंग्रेज ¨सह, (इनके अंडर आपदा प्रबंधन भी आता है) पानी निकालने का काम शुरू नहीं हुआ। पहली प्राथमिकता दरार भरने की है।
आज भरेगी दरार
110 फीट लंबी, 27 फीट गहरी खाई को भरने के काम में 520 मजदूर, छह अर्थ मू¨वग मशीन और दो पोकलेन मशीन बचाव कार्य में लगी हैं। इसके बावजूद काम पूरा नहीं हो पाया है। ¨सचाई विभाग के सुपरिंटेंडेंट इंजीनियर राजेश कुमार ने बताया कि मौसम खराब है। गाड़ियां भी तेजी से मिट्टी लेकर नहीं आ पा रही हैं। इससे बचाव कार्य में देरी हो रही है। आपदा के आगे सिस्टम फेल
पहले तो नहर के पानी से आई बाढ़ से ग्रामीण गुस्से में हैं। रही-सही कसर बचाव और राहत कार्य में हो रही देरी ने पूरी कर दी है। ग्रामीण कपूर चंद, राम¨सह, समय ¨सह आदि ने बताया कि मौके पर सीनियर अधिकारी सिर्फ निरीक्षण करने के लिए आए हैं। उन्हें यहां के लोगों की परेशानी से कोई वास्ता नहीं है। मसलन पानी से चारे का संकट पैदा हो गया। इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। सारा ध्यान दरार भरने की ओर है। पानी निकालने की ओर कुछ नहीं किया जा रहा है। बरसात हो रही है। ऐसे में रात के वक्त आपात हालात से निपटने के इंतजाम होने चाहिए, लेकिन यहां ऐसा कुछ नहीं किया गया। ग्रामीण अमर ¨सह, मलकीत, सुनील पाल, अजमेर, त्रिलोचन ¨सह, जय¨सह, राजपाल, हेमराज आदि ने बताया कि प्रशासन से अभी आश्वासन ही मिला है, कार्रवाई कुछ नहीं हुई है।
मंत्री बोले-मदद दी जाएगी, ग्रामीणों ने कहा-हमें अभी राहत चाहिए
नहर टूटने के बाद बचाव कार्य का जायजा लेने क्षेत्र के विधायक और मंत्री कर्णदेव कंबोज मौके पर पहुंचे। उन्होंने कहा कि स्पेशल गिरदावरी करा कर पीड़ितों को मुआवजा दिया जाएगा। इधर, ग्रामीणों ने कहा कि मुआवजा तब मिलेगा, जब सब ठीक होगा। हमें तो अभी राहत चाहिए। अभी भी कई जगह पानी जमा है। इसे निकालने के लिए पंप तक नहीं लगाए गए हैं। लोगों को पीने के पानी की समस्या आ रही है। पशुओं के लिए चारे की समस्या है। इस ओर कोई ध्यान नहीं दे रहा है। रविवार की रात उन्हें भारी दिक्कत रही, सोमवार को भी ऐसे हालात बने हुए हैं। ग्रामीणों ने कहा कि अधिकारी मौके पर आने की बजाय, उन्हें राहत देने के कदम उठाए। उससे उन्हें हालात से उभरने में कुछ मदद मिल सके।