ककराला अनायत में पीने के पानी की व्यवस्था, न ही स्कूल

सीवन खंड के गांव ककराला अनायत में ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है। जिस कारण यहां के ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गांव में न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही यहां पर स्कूल है।

By JagranEdited By: Publish:Mon, 19 Oct 2020 06:30 AM (IST) Updated:Mon, 19 Oct 2020 06:30 AM (IST)
ककराला अनायत में पीने के पानी की व्यवस्था, न ही स्कूल
ककराला अनायत में पीने के पानी की व्यवस्था, न ही स्कूल

जागरण संवाददाता, कैथल : सीवन खंड के गांव ककराला अनायत में ग्रामीणों को मूलभूत सुविधाएं नहीं मिल रही है। जिस कारण यहां के ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। गांव में न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही यहां पर स्कूल है। गांव के बच्चों को पांचवी कक्षा तक की शिक्षा ग्रहण करने के लिए दो किलोमीटर दूर स्थित गांव पाबसर में जाना पड़ता है। उन्हें काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है। ग्रामीणों का कहना है ककराला अनायत पहले एक ही पंचायत होती थी, जो कुछ साल पहले दो पंचायते बन गई है। दूसरी पंचायत ककराला कुचियां की है। यहां तो तमाम सुविधाएं ग्रामीणों को मिल रही हैं, लेकिन ककराला अनायत के लोग परेशान हैं।

20 साल पहले बन चुकी हैं दो पंचायते :

ग्रामीण स्वर्ण कुमार ने बताया कि गांव कांगथली के पास स्थित ककराला अनायत 20 साल पहले एक ही पंचायत हुआ करती थी। इसके बाद यहां पर इसी गांव के कुछ लोगों ने डेरा कुचियां को बसाया। जिसके बाद इस पंचायत का नाम ककराला कुचियां रख दिया गया। यहां पर तमाम सुविधाएं मिलने लगी, लेकिन ककराला अनायत अनदेखी का शिकार हुआ। यहां ग्रामीणों को काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। कोई भी सुविधा न मिलने के कारण काफी कठिनाई का सामना करना पड़ता है।

पीने के पानी की सुविधा भी नहीं :

ग्रामीण महेंद्र सिंह ने बताया कि गांव में हालाति इतने बुरे हैं कि यहां पर ग्रामीणों को पीने का पानी तक नसीब नहीं हो पाता है। यहां कुछ लोगों की ओर से घर में ही बोर लगवाए गए हैं, जहां से वह लोग पानी भरते हैं। पानी भरने के बाद वह उन्हें बिजली का बिल भी देते हैं। इस प्रकार से पानी को लेकर भी काफी मशक्कत ग्रामीणों को करनी पड़ती है।

स्कूल भी नहीं :

ग्रामीण जरनैल सिंह ने बताया कि यहां पर प्राइमरी तक का स्कूल भी नहीं है। हालांकि आंगनबाड़ी तो हैं, लेकिन क्या आंगनबाड़ी से पांचवीं तक की पढ़ाई होगी, यह बड़ा सवाल है। वह सरकार से मांग करते हैं कि जल्द ही यहां नए स्कूल का निर्माण भी करवाया जाए।

यह है इतिहास :

गांव की स्थापना अंग्रेजों से पहले मुसलमानों समुदाय के लोगों ने की थी। यहां पर काफी संख्या में मुसलमान शुरूआत में बसे थे, लेकिन बाद में यहां पर पंजाब से आए कुछ सिख आकर रहने लगे। इसके बाद से यह गांव बसा है। इस गांव में कुछ आबादी करीब दो हजार लोगों की है, जबकि 1100 के करीब वोट हैं।

विकास कार्य लगातार करवाए जा रहे

गांव के सरपंच परमजीत सिंह ने बताया कि गांव में विकास कार्य लगातार करवाए जा रहे है। पानी के बोर को लेकर जनस्वास्थ्य विभाग की ओर से नया बोर लगवाया जाना है। जिसको लेकर पंचायत की ओर से आग्रह किया गया है। गांव में समस्याओं का निपटान करना ही उनकी प्राथमिकता है, जो भी समस्या है, उसे जल्द दूर करवाया जाएगा।

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