इस वर्ष देवउठनी एकादशी पर नहीं बज सकेगी शहनाई

संवाद सहयोगी, कलायत : गुरु अस्त होने के कारण इस वर्ष गुरु अस्त होने के कारण इस वर्ष 19 नवंबर को पड़ने वाली देवउठनी एकादशी पर विवाह की शहनाइयां नही बजेंगी। पंडित विशाल शांडिल्य ने बताया कि देवउठनी एकादशी को विवाह के लिए अबूझ व स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। इस बार देवउठनी एकादशी पर गुरु का तारा अस्त स्वरूप में रहेगा।

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Nov 2018 12:46 AM (IST) Updated:Thu, 15 Nov 2018 12:46 AM (IST)
इस वर्ष देवउठनी एकादशी पर नहीं बज सकेगी शहनाई
इस वर्ष देवउठनी एकादशी पर नहीं बज सकेगी शहनाई

संवाद सहयोगी, कलायत : गुरु अस्त होने के कारण इस वर्ष 19 नवंबर को पड़ने वाली देवउठनी एकादशी पर विवाह की शहनाइयां नही बजेंगी। पंडित विशाल शांडिल्य ने बताया कि देवउठनी एकादशी को विवाह के लिए अबूझ व स्वयं सिद्ध मुहूर्त माना जाता है। इस बार देवउठनी एकादशी पर गुरु का तारा अस्त स्वरूप में रहेगा। इसके कारण इस वर्ष देवउठनी एकादशी पर विवाह मुहूर्त नहीं बनेगा।

उन्होंने बताया कि विवाह का हमारे संस्कारों में अहम स्थान है। विवाह से ही व्यक्ति के गृहस्थ आश्रम का आरंभ होता है। विवाह के लिए एक ओर जहां जीवनसाथी की आवश्यकता होती है वहीं इस संस्कार को सम्पन्न करने के लिए श्रेष्ठ मुहूर्त की भी दरकार होती है। विवाह मुहूर्त सुनिश्चित करने में त्रिबल शुद्धि अर्थात चंद्र, गुरु और शुक्र की महती भूमिका होती है। विवाह के दिन चंद्र, गुरु व शुक्र का गोचरवश शुभ स्थानों में होना परम आवश्यक है। त्रिबल शुद्धि के साथ ही विवाह मुहूर्त में गुरु व शुक्र के तारे का उदित स्वरूप होना भी आवश्यक है। गुरु व शुक्र का तारा यदि अस्त है तो विवाह का मुहूर्त नहीं निकलेगा। ¨हदू परंपरा के अनुसार सामान्यत: देवशयनी एकादशी से लेकर देवउठनी एकादशी तक विवाह का निषेध माना गया है। देवउठनी एकादशी को बिना पंचांग की सलाह लिए ही विवाह कर्म किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि सोमवार 12 नवंबर कार्तिक शुक्ल पंचमी को गुरु पश्चिम में अस्त हो गया है। जो कि 7 दिसम्बर, दिन शुक्रवार मार्ग शीर्ष अमावस्या को पूर्व में उदय होगा। चूंकि देवउठनी एकादशी इस दौरान आ रही है इस लिए विवाह कार्य की हमारे ग्रंथ इजाजत नहीं देते।

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