देश की प्राकृतिक संपदा को कार्पोरेट घरानों को सौंपना चाहती है सरकार
खेती बचाओ देश बचाओ संघर्ष समिति गुहला के बैनर के नीचे अखिल भारतीय किसान सभा व भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां द्वारा संयुक्त रूप से रिलायंस पेट्रोल पंप चीका पर दिया जा रहा धरना 33वें दिन भी जारी रहा।
संवाद सहयोगी, गुहला-चीका: खेती बचाओ देश बचाओ संघर्ष समिति गुहला के बैनर के नीचे अखिल भारतीय किसान सभा व भारतीय किसान यूनियन एकता उगराहां द्वारा संयुक्त रूप से रिलायंस पेट्रोल पंप चीका पर दिया जा रहा धरना 33वें दिन भी जारी रहा। धरने की अध्यक्षता समिति के संयोजक जसपाल सिंह व मंच का संचालन चरणजीत कौर ने किया।
जसपाल सिंह ने कहा कि सरकार का मकसद देश की प्राकृतिक संपदा को अंबानी-अंडानी जैसे कॉर्पोरेट घरानों को सौंपने का है। उन्होंने कहा कि देश भर के जल-जंगल, जमीन का निजीकरण किया जा रहा है। सभी सार्वजनिक उपक्रमों को पहले ही औने-पौने दामों पर कार्पोरेट के हवाले कर दिया गया है।
परेड में हजारों ट्रैक्टर होंगे शामिल : बलकार बल्लू
संस, गुहला-चीका: किसान नेता बलकार बल्लू ने वीडियो कांन्फ्रेसिग के माध्यम से पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा कि दिल्ली में दिन-प्रतिदिन हजारों की तादाद में ट्रैक्टर हरियाणा और पंजाब से आ रहे हैं। जिस गति से ट्रैक्टर आ रहे हैं, 26 जनवरी को तिल धरने के लिए भी जगह नहीं बचेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार किसानों की बात बातचीत का ड्रामा कर रही है, जबकि किसान तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की बात से कुछ भी कम स्वीकार करने को तैयार नहीं तो सरकार अगली तारीख क्यों निश्चित करती है। यह समझ से बाहर की बात है।
दर्जनों गांवों का दौरा कर ट्रैक्टर परेड में शामिल होने का दिया न्यौता
संस, गुहला-चीका: किसानों पर लागू किए गए तीनों कृषि कानूनों के विरोध में किसान संगठनों द्वारा 26 जनवरी को की जाने वाली ट्रैक्टर परेड को कामयाब करने के लिए भारतीय किसान यूनियन द्वारा विभिन्न गांवों में जाकर लोगों को आमंत्रित किया गया। यूनियन के हलका प्रधान हरदीप बदसूई व वरिष्ठ किसान नेता चमकौर सिंह ने कहा कि प्रदेश में किसानों पर चलाई गई लाठीचार्ज, आंसू गैस के गोले छोड़े जाने से देश व प्रदेश की सरकार की विश्वसनीयता में गिरावट आई है। बदसूई ने गांव दाबा-चाबा में किसानों को संबोधित करते हुए कहा कि इतिहास इस बात का साक्षी है कि जिस सरकार ने किसानों पर जोरजबरदस्ती कर लाठी व गोली चलवाई है, वह सरकार दोबारा सत्ता का मुंह नहीं देख पाई।