अप्रैल से नहीं बन रहे पशुओं के बीमे, पशुपालक परेशान
पिछले तीन महीने से पशुपालन विभाग की तरफ से पशुओं का बीमा नहीं बनाया जा रहा है। इससे पशुपालक परेशान हो चुके हैं। पशुपालक राकेश रणधीर रामकिशन का कहना है कि प्रदेश सरकार की तरफ से 2016 में पशुपालकों को पशुधन की आकस्मिक मृत्यु से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए पशु बीमा योजना शुरू की थी।
जागरण संवाददाता, कैथल :
पिछले तीन महीने से पशुपालन विभाग की तरफ से पशुओं का बीमा नहीं बनाया जा रहा है। इससे पशुपालक परेशान हो चुके हैं। पशुपालक राकेश, रणधीर, रामकिशन का कहना है कि प्रदेश सरकार की तरफ से 2016 में पशुपालकों को पशुधन की आकस्मिक मृत्यु से होने वाले नुकसान से बचाने के लिए पशु बीमा योजना शुरू की थी।
इस योजना के तहत पशु का बीमा एक अप्रैल से 31 मार्च तक बनाया जाता है। 100 रुपये का प्रीमियम भरकर अपने पशुओं का बीमा करवा रहे थे, ताकि पशु की अचानक मृत्यु होने पर पशुपालक जोखिम मुक्त हो सकें। इस बार जून का महीना शुरू हो गया है, अब तक बीमा बनाना शुरू नहीं किया है। बार- बार जिला पशुपालन विभाग कार्यालय के चक्कर काटकर थक चुके हैं। कोई समाधान नहीं हो रहा है। सरकार से मांग करते है कि बीमा जल्द से जल्द शुरू किया जाए।
जिले में दो लाख 60 हजार पशु
पशुपालन विभाग के आंकड़ों के अनुसार जिले में गाय, भैंस, बकरी, भेंड, घोड़ा इत्यादि दो लाख 60 हजार पशु है। इनमें से पिछले वर्ष एक लाख पशु पालकों ने पशुओं का बीमा करवाया था। शुरुआत के दिनों में कम पशुपालकों का रुझान था, अब लगभग पशुपालक बीमा करवा रहे है। ताकि पशु की आकस्मिक मृत्यु होने पर उसके नुकसान को बचाया जाए।
पशुधन बीमा योजना की मुख्य विशेषताएं
पशुओं के बीमे पर मात्र 100 रुपये के प्रीमियम निर्धारित किया गया है। अनुसूचित जाति के पशुपालकों के लिए ये योजना पूरी तरह से फ्री है। पशु की अचानक आकस्मिक मौत होने पर भैंस का 60 हजार रुपये मुआवजा दिया जाता है। गाय का 40 हजार रुपये का मुआवजा दिया जाता है। पशु को करंट, नहर में डूबने, बाढ़ व आग लगने आदि किसी भी कारण से दुर्घटना में मौत हो जाती है तो उसे पशुधन का पूरा बीमा दिया जाता है।
टेंडर न होने के कारण नहीं बन रहा बीमा
कंपनी का टेंडर न होने के कारण अब तक बीमा पशुओं का नहीं बन रहा है। उच्चाधिकारियों से बातचीत की जा रही है। जल्द बीमा बनने शुरू होने की उम्मीद है। पशुपालकों के पशुओं का बीमा करवा जोखिम मुक्त करना मुख्य उद्देश्य है।
मंगल सिंह, पशु उपनिदेशक, कैथल