आपसी फूट के कारण सफल नहीं हुई हड़ताल

रोडवेज विभाग के कर्मचारियों की ओर से सात जनवरी को हड़ताल करने की सरकार को चेतावनी दी थी। यूनियनों के दो फाड़ होने के कारण इसमें सफलता नहीं मिली।

By JagranEdited By: Publish:Tue, 21 Jan 2020 09:00 AM (IST) Updated:Tue, 21 Jan 2020 09:00 AM (IST)
आपसी फूट के कारण सफल नहीं हुई हड़ताल
आपसी फूट के कारण सफल नहीं हुई हड़ताल

कैथल: रोडवेज विभाग के कर्मचारियों की ओर से सात जनवरी को हड़ताल करने की सरकार को चेतावनी दी थी, लेकिन यूनियनों के दो फाड़ होने के कारण इसमें सफलता नहीं मिली। इसके बाद पिछले दो सप्ताह से यूनियनों में ठीक नहीं चल रहा है। कर्मचारी एक दूसरे को हड़ताल सफल न होने का जिम्मेदार ठहरा रहे है। चलती बसों में जब रोडवेज कर्मचारियों की बातों को सुना जाता है तो कर्मचारी आपस में एक दूसरी यूनियन पर हड़ताल में शामिल न होने की बात करते है। यूनियन के कर्मचारी एक दूसरे को चक्का जाम न होने पर दोषी ठहराते दिख रहे है। रोडवेज कर्मचारियों ने सरकार को चक्का जाम करने की चेतावनी दी थी इसमें कर्मचारी अपनी सफलता हासिल नहीं कर पाए । हरियाणा प्रदेश में रोडवेज की यूनियन को एकता के मामले में सबसे ऊपर माना जाता था इस हड़ताल में ऐसा हुआ की सभी यूनियन एक साथ हड़ताल पर नहीं रही इसका खामियाजा यह रहा है कि कर्मचारी चक्का जाम करने में असफल हो गए। कैथल डिपो की लगभग बसें रूटों पर चलीँ

लघु सचिवालय में साहब को जरूर चाहिए हीटर

लघु सचिवालय में स्थित कृषि विभाग के कार्यालय में अधिकारी ऐसे भी है जो कुर्सी के पास हमेशा हीटर जला कर बैठते हैं। लगता है कि साहब को सर्दी कुछ ज्यादा लगती है। दिन में कभी भी साहब के पास चले जाए तो हमेशा हीटर उनके पास जला हुआ मिलता है। ठंड ज्यादा हो या कम अधिकारी का हीटर कभी भी बंद नहीं मिलता है। कुर्सी के पास साहब ने हीटर लगाया हुआ है। हमेशा हीटर का मजा लेते रहते है, पता नहीं तो साहब को तापमान की जानकारी नहीं है या साहब मौज मस्ती में हीटर से हाथ सेंकने के शौकिन हो गए है। कार्यालय के समय में जब कोई मिलने के लिए जाता है तो कार्यालय में हीटर ऐसे ही जलता हुआ मिलता है। साहब के इस कामों से सरकार का तो खर्च बढ़ ही रहा है।

डीएसपी साहब खिलाड़ियों को करते है प्रोत्साहन

कैथल में एक डीएसपी साहब खेलों के मामले में चर्चा में बहुत बने रहते है। चर्चा में भी क्यूं न बने क्योंकि खेल के दम पर ही उन्होंने नौकरी हासिल की है। ऐसे ही नहीं डीएसपी साहब समय-समय पर हमेशा खिलाड़ियों को प्रोत्साहन करते है ताकि ज्यादा से ज्यादा बच्चे खेल के दम पर देश व प्रदेश की पहचान बना सकें। उनका हमेशा एक मकसद रहता है कि आज की युवा पीढ़ी को नशे से दूर रखना है हमेशा वे युवाओं को सादा खाना खाने को प्रोत्साहन करते है। साहब का कहना होता है कि खाओगे तो कमाओगे। डीएसपी साहब का जन्म भी एक साधारण परिवार में ही हुआ है। खेलों के दम पर ही गोल्ड मेडल जीतकर उन्होंने अपनी अलग पहचान बनाई व नौकरी हासिल की है। पुलिस विभाग में उनकी अलग से पहचान है। हमेशा ड्यूटी में हाजिर रहते है।

साहब कार्यालय से हमेशा रहते हैं नदारद

पशुपालन विभाग के अधिकारी हमेशा ही अपने कार्यालय से नदारद रहते हैं, साहब है कि उन्हें बस अपने कामों से मतलब है, भले ही फरियादियों की लाइन कार्यालयों में क्यों न लगी रहे। यहां पर फरियादी बेचारे साहब का इंतजार करते हुए दिखाई देते हैं, लेकिन इस साहब को तो उन्हें फरियादियों से कुछ भी लेना-देना नहीं है, उन्हें तो बस अपने कामों से मतलब है। अब बेचारे फरियादी करेंगे भी क्या, जब विभाग के अधिकारी उन्हें सीट पर मिलते ही नहीं है। अंत में दिनभर इंतजार करने के बावजूद अपना काम करवाने के लिए पहुंचे फरियादियों को वापस जाना पड़ता है।

प्रस्तुति : सोनू थुआ, कैथल।

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