दुकानों और रेहड़ियों पर धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर

शहर में सरेआम दुकानों और ठेलों पर धड़ल्ले से सब्सिडी वाले घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग हो रहा है।

By JagranEdited By: Publish:Sun, 08 Jul 2018 10:56 PM (IST) Updated:Sun, 08 Jul 2018 10:56 PM (IST)
दुकानों और रेहड़ियों पर धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर
दुकानों और रेहड़ियों पर धड़ल्ले से इस्तेमाल हो रहा सब्सिडी वाला गैस सिलेंडर

जागरण संवाददाता, कैथल : शहर में सरेआम दुकानों और ठेलों पर धड़ल्ले से सब्सिडी वाले घरेलू गैस सिलेंडर का उपयोग हो रहा है। खाद्य आपूर्ति विभाग सबकुछ देखते हुए भी आंखें मूंदें बैठा है। शहर के मुख्य बाजार के साथ ही ढाबों, दुकानों, रेहड़ियों, चाय और मिठाई की दुकानों में सरेआम इन सिलेंडरों का इस्तेमाल किया जा रहा है। विभाग के पास न तो इनको रोकने के लिए कोई योजना है और न ही कभी रेडकर इन पर कोई कार्रवाई की गई है। उससे इनके हौसले बुलंद हैं। ऐसा पूरे जिले में हो रहा है, जिससे सरकार को रोजाना लाखों रुपये की चपत लग रही है। इस समय रक्षाबंधन के लिए फिरनी और घेवर बनाने के लिए सब्सिडी वाले सिलेंडरों की मांग बढ़ गई हैं। आलम यह है कि एक फोन पर दुकानदारों को रोजाना सब्सिडी वाले चार-पांच सिलेंडर तक सप्लाई किए जा रहे हैं। उपभोक्ता ही लगा रहे चूना

सरकार को चूना लगाने में सक्रिय दलालों के साथ ही उपभोक्ता भी पीछे नहीं है। जिले में उज्ज्वला योजना के करीब 40 हजार और अन्य हजारों ऐसे कनेक्शन हैं, जिनको साल में मुश्किल से तीन या चार सिलेंडर की जरूरत होती है, लेकिन ये उपभोक्ता एजेंसियों से सब्सिडी वाले सभी 12 सिलेंडर प्राप्त कर रहे हैं। सब्सिडी के लालच में ये उपभोक्ता सिलेंडर खुद दुकानों पर छोड़कर आते हैं। दुकानदारों को भी यह सिलेंडर कमर्शियल सिलेंडर से सस्ता पड़ता है। उपभोक्ताओं को एक सिलेंडर पर 200 से 250 रुपये तक सब्सिडी मिल रही है। इसके अलावा दलाल भी सक्रिय हैं जो उपभोक्ताओं की कॉपियों थोक में अपने पास रखते हैं और एक फोन पर दुकानदारों को सिलेंडर उपलब्ध करा रहे हैं। इनके तार एजेंसी से भी जुड़े होते हैं, जिससे उनको किल्लत के समय भी सिलेंडर पाने में कोई मुश्किल नहीं आती है। बॉक्स

गैस एजेंसी संचालक नहीं कर सकती कार्रवाई

एक गैस एजेंसी के मालिक ने बताया कि गैस एजेंसियों से सीधे तौर दुकानदारों या ठेला वालों को कोई सिलेंडर नहीं दिया जा रहा है। उपभोक्ता एजेंसी में डिमांड करता है तो एजेंसी उनको मना नहीं कर सकती है। एजेंसी को कमर्शियल सिलेंडर पर कमीशन अधिक मिल रहा है, तो वह घरेलू सिलेंडर क्यों बेचेगा।

घरेलू सिलेंडरों की उपयोग के संबंध में कोई शिकायत तो नहीं मिली है। नियमित जांच भी की जाती है। अगर कोई दुकानदार या ठेला वाला ऐसा कर रहा है तो बहुत जल्द अभियान चलाकर इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।

नीरज शर्मा, जिला खाद्य एवं आपूर्ति नियंत्रक अधिकारी।

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