पर्यावरण संरक्षण में जुटे अशोक, हर मानसून में पांच सौ से अधिक लगाते पौधे
कुछ दिन लॉकडाउन क्या रहा प्रकृति ने बता दिया कि अगर उसका जरा सा ध्यान हम सब मिलकर रख लें तो वह उससे कई गुणा करके वापस लौटाती है।
कमल बहल, कैथल: कुछ दिन लॉकडाउन क्या रहा, प्रकृति ने बता दिया कि अगर उसका जरा सा ध्यान हम सब मिलकर रख लें तो वह उससे कई गुणा करके वापस लौटाती है। एयर क्वालिटी इंडक्स के हवाले से प्रदूषण का जो स्तर रुटीन में 400 का आंकड़ा पार कर गया था, वह लॉकडाउन के शुरुआती एक हफ्ते में ही 40 से भी नीचे चला गया था। यह संकेत है कि अगर हम अपनी आदतों को सुधार लें तो प्रदूषण को जड़ से खत्म कर सकते हैं।
गांव मानस के अशोक कुमार पर्यावरण संरक्षण में अपना महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। अशोक पर्यावरण को बचाने की दिशा में कार्य करते हुए प्रतिवर्ष मानसून के दौरान करीब 500 पौधे लगा रहे हैं। अशोक यह कार्य पिछले पांच साल से कर रहा है। पहले दो वर्षाें में तो अशोक ने तीन हजार से अधिक पौधे लगाए। ऐसा नहीं है कि अशोक केवल पौधारोपण का कार्य करते हैं। वह अपनी ओर से लगाए गए पौधों की देखभाल करने भी करते हैं। अशोक का मानना है पर्यावरण सुरक्षित रहेगा तो बीमारियां भी दूर भागेगी। इस समय अपने आप को विकसित बनाने की होड़ में हम पेड़ों का काटना शुरू कर देते हैं। लेकिन इसके परिणाम काफी बुरे हैं।
पौधारोपण करने के साथ करते हैं देखभाल :
अशोक ने बताया कि पौधे लगाने का संकल्प लिया और इस मुहिम को शुरू किया। धीरे-धीरे इस मुहिम को सफलता मिलने लगी तो उन्होंने इस अभियान पर तेजी से कार्य करना शुरू कर दिया। जून के माह में भीषण गर्मी होती है। इसके बाद मानसून का आगाज होता है। गर्मी के दौरान कई पौधों की तो देखभाल भी नहीं हो पाती है। इसलिए वह मानसून की शुरूआत में पौधे लगाना शुरू कर देते हैं।
गांव की पंचायती जमीन में लगाते पौधे :
अशोक ने बताया कि पंचायती जमीन में वह खाली जगह पर पौधे लगाते हैं। इसके अलावा उन्होंने अपनी घर की छत पर भी करीब 100 पौधे लगा रखे हैं। इस पौधों में नींबू, अमरुद, तोरी, घीया सहित अन्य पौधे लगा रखे हैं। जिनकी देखरेख वह लगातार कर रहे हैं।