80 में 49 व्यक्तियों के चेक पर हस्ताक्षर संदेह के घेरे में

आर्थिक अपराध शाखा की टीम को संडील गांव में 80 व्यक्तियों के चेक की जांच के दौरान 49 के चेक पर हस्ताक्षर संदेह के घेरे में पाए हैं।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 25 Jun 2021 07:35 AM (IST) Updated:Fri, 25 Jun 2021 07:35 AM (IST)
80 में 49 व्यक्तियों के चेक पर हस्ताक्षर संदेह के घेरे में
80 में 49 व्यक्तियों के चेक पर हस्ताक्षर संदेह के घेरे में

संवाद सहयोगी, अलेवा : आर्थिक अपराध शाखा की टीम को संडील गांव में 80 व्यक्तियों के चेक की जांच के दौरान 49 के चेक पर हस्ताक्षर संदेह के घेरे में पाए हैं। टीम सदस्य एएसआइ सतीश कुमार ने बताया कि सोमवार को तहसीलदार की मौजूदगी में रिकार्ड के साथ चेक हस्ताक्षरों को मिलान के लिए मधुबन प्रयोगशाला भेजा जाएगा। उन्होंने बताया कि 80 व्यक्तियों के चेक में से 49 लोगों ने स्वीकार किया है कि चेक पर किए हस्ताक्षर उनके नहीं हैं। 31 लोगों ने बताया कि पैक्स कर्मचारियों ने उनके घर पहुंचकर पहले ही हस्ताक्षर करवाए हुए हैं। जबकि पैक्स या फिर बैंक से उन्होंने किसी प्रकार का लाभ नहीं लिया है। किसान अमरजीत व अन्य किसानों ने बताया कि पेगां पैक्स कर्मचारियों द्वारा किसानों के साथ खाद व नकदी के घोटाले की जांच का मामला वर्ष 2019 से चला आ रहा है। घोटाले के मामले में अलेवा में किसानों की शिकायत पर पैक्स के पूर्व प्रबंधक समेत कई कर्मचारियों के खिलाफ मामला भी दर्ज है।

मिलावटखोरों के खिलाफ कार्रवाई करे प्रशासन : दलीप सिह

जागरण संवाददाता, जींद : सिटी रेजिडेंस वेलफेयर सोसाइटी की मुख्य कार्यकारिणी की शहर के ज्वलंत मुद्दों को लेकर बैठक हुई। अध्यक्ष दलीप सिंह चहल ने बताया कि बैठक में आवारा पशुओं, बंदरों, सफाई, सीवरेज समस्या पर चर्चा की गई। शहर की सबसे ज्वलंत समस्या खाद्य सामग्री में मिलावट के अमानवीय कृत्य की है। सरकार का काम विशुद्ध खाद्य सामग्री नागरिकों को मुहैया करवाना है। एक महिला अधिकारी ने दुकानों पर खाद्य सामग्री के सैंपल लेने शुरू किए, लेकिन कुछ तथाकथित संगठन सैंपल लेने के विरोध में खड़े हो गए और महिला अधिकारी पर रिश्वत लेने के आरोप लगाने लगे। अगर दुकानदार विशुद्ध सामग्री बेचते हैं, तो सैंपल से क्यों डरते हैं। अगर सामग्री में मिलावट है, तो विरोध क्यों। प्रत्येक नागरिक का कर्तव्य है, जनहित के कार्य में बाधा न बनकर उसमें साथ देना चाहिए। सैंपल लेने वाली महिला अधिकारी को डीसी फोर्स और अन्य कानूनी शक्तियां देकर अभियान चलवाएं। किसी जांच एजेंसी द्वारा जांच करा कर मिलावटखोरों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए। अगर जल्द ही प्रशासन कोई ठोस कदम नहीं उठाता है, तो आंदोलन किया जाएगा।

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