Reserved Seat: अरसा बीत गया, आज तक रोडवेज बस में नहीं बैठा कोई मंत्री या विधायक

रोडवेज बसों में चालक के पीछे की दूसरी सीट पर जो सीट नंबर 3 4 5 होते हैं न वह सीट मंत्री विधायक और पूर्व मंत्री के लिए आरक्षित होते हैं।

By Edited By: Publish:Thu, 26 Dec 2019 08:51 AM (IST) Updated:Thu, 26 Dec 2019 02:15 PM (IST)
Reserved Seat: अरसा बीत गया, आज तक रोडवेज बस में नहीं बैठा कोई मंत्री या विधायक
Reserved Seat: अरसा बीत गया, आज तक रोडवेज बस में नहीं बैठा कोई मंत्री या विधायक

जींद [प्रदीप घोघड़ियां]। रोडवेज बसों में चालक के पीछे की दूसरी सीट पर जो सीट नंबर 3, 4, 5 होते हैं, न वह सीट मंत्री, विधायक और पूर्व मंत्री के लिए आरक्षित होते हैं। अरसा बीत गया लेकिन रोडवेज बसों में इन आरक्षित सीटों पर आज तक कोई मंत्री या विधायक नहीं बैठा। सीटें बेशक मंत्री या विधायक के लिए आरक्षित हों लेकिन इनका उपयोग आम यात्री ही कर रह हैं। ऐसे में सवाल यह उठता है कि रोडवेज बसों में यह सीटें आरक्षित करने का कौन सा मतलब है। पूर्व सांसद या पूर्व विधायक तक को भी किसी ने रोडवेज बसों में यात्रा करते नहीं देखा।

रोडवेज बसों में दिव्यांगों, वरिष्ठ नागरिकों, स्वतंत्रता सेनानियों, मान्यता प्राप्त पत्रकारों, कैंसर मरीजों के साथ-साथ मंत्री और विधायक के लिए भी सीट आरक्षित होती हैं। बसों में विधायकों के लिए सीट आरक्षित करने के पीछे उद्देश्य यह था कि विधायक बसों में सफर करेंगे तो आम जनता से रूबरू होते रहेंगे।

यात्रियों के रूप में बसों में बैठने वाले आम लोगों के बीच की चर्चा विधायक तक सीधे ही पहुंचती रहेंगी, यानि यात्रियों से सीधे संवाद स्थापित होता रहेगा। सीधे संवाद से विधायक क्षेत्र की वास्तविक स्थिति से भी वाकिफ हो जाते थे। इससे आम जनता की पीड़ा का आभास हो जाता था।

हर साल 3800 दिव्यांग, 200 कैंसर मरीज, 10 हजार वरिष्ठ नागरिक रोडवेज बसों में आरक्षित सीटों पर बैठ सफर करते हैं, लेकिन किसी भी विधायक और मंत्री को रोडवेज बसों की सीट पर बैठे नहीं देखा गया। 1970 के दशक में विधायक करते थे रोडवेज बसों में यात्रा रोडवेज के वरिष्ठ कर्मचारी बताते हैं कि 1970 के दशक में विधायक या मंत्री रोडवेज बसों में यात्रा करते थे। जब मंत्री या विधायक बनते थे और उन्हें बैठक या दूसरे कार्यों से चंडीगढ़ जाना होता था तो यह लोग रोडवेज बसों में सफर करते थे। विधायक या मंत्री के लिए बस में स्पेशल सीट आरक्षित होती थी।

पूर्व विधायक धजा राम जब सफीदों से विधायक बने थे तो वह चंडीगढ़ जाने के लिए जींद डिपो की बस का ही सहारा लेते थे। उसके बाद विधायकों और मंत्रियों की आर्थिक स्थिति में सुधार होता गया, अब विधायकों और मंत्रियों को बसों में सफर करने की जरूरत ही नहीं पड़ती।

उप-चुनाव में पूर्व सांसद दुष्यंत बैठे थे

एक बार बस में विधानसभा चुनावों के दौरान एक बार पूर्व सांसद दुष्यंत चौटाला जरूर रोडवेज बस में बैठे थे। चुनाव प्रचार के दौरान दूसरे डिपो की बस में रोहतक से बैठ एक बार दुष्यंत चौटाला जींद की तरफ आए थे और यात्रियों से बातचीत की थी लेकिन वह बस जींद डिपो की नहीं थी।

परिवहन मंत्री भी सालों तक नहीं बैठे रोडवेज बस में

खुद परिवहन मंत्री भी सालों तक रोडवेज बसों में बैठकर नहीं देखते। पूर्व परिवहन मंत्री कृष्ण पंवार एक बार औपचारिकता पूरी करने के लिए कुछ दूरी तक बस में चढ़े थे, लेकिन उन्हें भी काफी समय हो गया। फिलहाल सांसद या विधायक की ओर से रोडवेज बसों में यात्राएं नहीं की जा रही, क्योंकि उनके पास खुद के भी वाहन हैं। दिव्यांग, स्वतंत्रता सेनानी, मान्यता प्राप्त पत्रकारों द्वारा रोडवेज की बस सुविधा का लाभ जरूर लिया जा रहा है।

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