कर्मचारियों ने कोविड सेंटर को बनाया मधुशाला

कोरोना को कंट्रोल करने के लिए नागरिक अस्पताल के मलेरिया कार्यालय में बनाया गया एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आइडीएसपी) कार्यालय शाम ढलते ही मधुशाला बन जाता है।

By JagranEdited By: Publish:Fri, 11 Sep 2020 06:49 AM (IST) Updated:Fri, 11 Sep 2020 06:49 AM (IST)
कर्मचारियों ने कोविड सेंटर को बनाया मधुशाला
कर्मचारियों ने कोविड सेंटर को बनाया मधुशाला

जागरण संवाददाता, जींद। कोरोना को कंट्रोल करने के लिए नागरिक अस्पताल के मलेरिया कार्यालय में बनाया गया एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम (आइडीएसपी) कार्यालय शाम ढलते ही मधुशाला बन जाता है। कर्मचारी कार्यालय के अंदर ही बैठकर शराब का सेवन करते हैं। बुधवार रात को भी पांच कर्मचारी कार्यालय के अंदर ही बैठकर शराब के प्याले छलका रहे थे। जब इसकी भनक पुलिस व मीडिया कर्मियों को लग गई, लेकिन पुलिस के पहुंचने से पहले ही कर्मचारी शराब की बोतल व खाने का सामान कार्यालय में छोड़कर फरार हो गए। वहां से भाग रहे कर्मचारी मीडिया के कमरों में कैद हो गए। सिविल लाइन पुलिस ने कार्यालय के अंदर से कुर्सी पर रखी शराब की बोतल, शराब से भरे हुए गिलास व खाने के सामान को कब्जे में ले लिया। इस दौरान वहां पर तैनात स्वास्थ्य सहायक सुशील से पूछताछ की तो उसने बताया कि कार्यालय में पांच कर्मचारी बैठे हुए थे और अंदर से कुंडी लगाकर शराब पी रहे थे। वह तो कार्यालय के नीचे बैठकर कर्मचारियों के घर जाने का इंतजार कर रहा था। जब यह मामला डीसी डा. आदित्य दहिया सहित सीनियर अधिकारियों के पास पहुंचा तो स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया।

शाम ढलते ही शराब व मांस का करते हैं सेवन

जिले में जहां कोरोना तेजी से पांव पसार रहा है, वहीं जिन कर्मचारियों के कंधों पर इसे कंट्रोल करने का जिम्मा है वे शाम ढलते ही शराब के नशे में डूब जाते हैं। कर्मचारी अक्सर काम करने के बहाने रात को करीब 11 बजे तक कार्यालय के अंदर ही बैठे रहे हैं, लेकिन काम के बजाय एसी रूम में शराब के जाम छलकाते हैं। वहां पर तैनात स्वास्थ्य सहायक सुशील ने बताया कि यह आज का काम नहीं है, बल्कि प्रतिदिन ऐसा ही होता है। आज तो केवल शराब पी रहे थे और दिन तो शराब के साथ मुर्गा भी खाते थे। इन कर्मचारियों की हरकत से चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी भी परेशान रहते हैं।

पूरे दिन बने रहे अनजान, शाम को सौंपी जांच

आइडीएसपी कार्यालय में कर्मचारी शराब के जाम छलका रहे थे, वहीं वहां के जिम्मेवार अधिकारी पूरे दिन अनजान बने रहे। जबकि पूरा दिन यह मामला चर्चा का विषय बना रहा। रात के समय करीब डेढ़ घंटे तक मामला चलता रहा, लेकिन कोई भी सीनियर अधिकारी मौके पर नहीं पहुंचा। इतना होने के बावजूद सीनियर अधिकारी बचाव में लगे रहे। अधिकारियों को सबकुछ पता होने के बावजूद भी अनजान बने हुए हैं।

सीसीटीवी कैमरों को बता रहे खराब

आइडीएसपी कार्यालय के अधिकारी अपने कर्मचारियों को बचाने के लिए भरसक प्रयास कर रहे हैं। मलेरिया कार्यालय में करीब चार माह पहले ही सीसीटीवी कैमरे लगाए गए थे, लेकिन कोविड नोडल अधिकारी डा. पालेराम कटारिया का कहना है कि सीसीटीवी कैमरों की तार खराब हो गई थी, इसलिए वह चल नहीं रहे हैं। जबकि जब रात को पुलिस पहुंची तो उस समय कार्यालय में लगे सीसीटीवी कैमरों में जल रही लाइट से स्पष्ट हो रहा था कि सभी कैमरे चल रहे हैं, लेकिन अधिकारी भी इस मामले को दबाने में लगे हुए हैं।

कैमरों को देखकर भाग खड़े हुए कर्मचारी

आइडीएसपी कार्यालय में जब मीडिया कर्मी पहुंचे तो उनके कैमरों को देखकर कर्मचारी सीढि़यों से उतरकर तेजी से भागने लगे। इस दौरान दो कर्मचारी को भागते हुए कैमरों में कैद हो गए, जबकि तीन बचकर निकलने में कामयाब हो गए।

पुलिस कंट्रोल नंबर पर दी सूचना

आइडीएसपी कार्यालय में कर्मचारियों के शराब पीने की सूचना पुलिस कंट्रोल रूम में मिली। इसके बाद पुलिस की पीसीआर नागरिक अस्पताल में पहुंची, लेकिन लोकेशन सही पता नहीं होने के कारण सिविल सर्जन कार्यालय में ही जांच करके वापस लौट गई। बाद में पता चला कि कर्मचारी आइडीएसपी कार्यालय में शराब पी रहे है। बाद में पुलिस वहां पर पहुंची। सिविल लाइन थाना प्रभारी हरिओम ने बताया कि मौके से शराब की बोतल व खाने का सामान जब्त किया है। इसकी रपट दर्ज कर ली गई है, अगर विभाग की तरफ से शिकायत आती है तो मामला दर्ज कर लिया जाएगा।

डिप्टी सिविल सर्जन को सौंपी जांच

सिविल सर्जन डा. मनजीत सिंह ने बताया कि आइडीएसपी कार्यालय में शराब पीने का मामला उनके संज्ञान में आया। इसकी जांच कोविड के नोडल अधिकारी डा. पालेराम को सौंप दी है। आइडीएसपी कार्यालय में कार्यरत सभी कर्मचारियों को कारण बताओ नोटिस जारी करके पूछा है कि रात को कौन-कौन कर्मचारी मौजूद थे।

डीसी ने लिया मामले में कड़ा संज्ञान

डीसी डा. आदित्य दहिया ने बताया कि मामला उनके संज्ञान में आया है और उन्होंने इसे लेकर सीएमओ से बातचीत भी की है। उन्हें अभी तक इस मामले से संबंधित वीडियो उपलब्ध नहीं हुआ है। अगर किसी के पास भी यह वीडियो या इससे संबंधित फोटो उपलब्ध हो तो उसे वो तुरंत प्रभाव से उपलब्ध करवा दे ताकि ठोस कार्रवाई अमल में लाई जा सके। इसके अलावा विभागाध्यक्ष डिप्टी सिविल सर्जन डा. पालेराम को भी जांच सौंपे जाने के बारे में भी उन्हें पता चला है। मामले की निष्पक्ष जांच को लेकर उन्होंने सीएमओ से कहा है और जांच अधिकारी को भी बदला जाएगा ताकि सच्चाई सबके सामने आ सके।

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