पहले हिमोफिलिया का इलाज मुश्किल था, अब हुआ आसान

नागरिक अस्पताल में हिमोफीलिया रोग पर चिकित्सा शिक्षा कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता सीएमओ मंजू कादियान व पीएमओ डा. शशिप्रभा अग्रवाल ने की।

By JagranEdited By: Publish:Sat, 14 Dec 2019 06:14 AM (IST) Updated:Sat, 14 Dec 2019 06:14 AM (IST)
पहले हिमोफिलिया का इलाज मुश्किल था, अब हुआ आसान
पहले हिमोफिलिया का इलाज मुश्किल था, अब हुआ आसान

जागरण संवाददाता, जींद : नागरिक अस्पताल में हिमोफीलिया रोग पर चिकित्सा शिक्षा कार्यशाला का आयोजन किया गया। इसकी अध्यक्षता सीएमओ मंजू कादियान व पीएमओ डा. शशिप्रभा अग्रवाल ने की। इस कार्यशाला में मुंबई से आई डा. सोन्या वासुदेवा ने हिमोफिलिया रोग को लेकर जानकारी दी।

डा. सोन्या वासुदेवा ने बताया कि शरीर में थोड़ा कट लगने के बाद थोड़ा सा खून बहने के बाद यह अपने आप बंद हो जाता है, लेकिन कई लोगों के साथ ऐसा नहीं होता। हिमोफिलिया रोग में खून बहना बंद नहीं होता है और इसमें जान जाने का भी खतरा होता है। यह बीमारी अधिकतर आनुवांशिक कारणों से होती है यानि कि माता-पिता में से किसी को ये बीमारी होने पर बच्चे को भी हो सकती है।

उन्होंने बताया कि हिमोफिलिया दो तरह का होता है हिमोफिलिया-ए में फैक्टर-8 की कमी होती है और हिमोफिलिया-बी में घटक 9 की कमी होती है। दोनों ही खून में थक्का बनाने के लिए जरूरी हैं। पहले हिमोफिलिया का इलाज मुश्किल था लेकिन अब घटकों की कमी होने पर इन्हें बाहर से इंजेक्शन के जरिये डाला जा सकता है। अगर बीमारी की गंभीरता कम है तो दवाइयों से भी इलाज हो सकता है।

उन्होंने बताया कि सिर में बहुत तेज दर्द होना, बार-बार उल्टी आना, गर्दन में दर्द होना, धुंधला या दोहरा दिखना, बहुत ज्यादा नींद आना, चोट से लगातार खून बहने के लक्षण दिखें तो तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए और परामर्श लेना चाहिए। इस मौके पर पीएमओ डा. शशिप्रभा अग्रवाल, डिप्टी एमएस डा. राजेश भोला, डा. अजय, डा. जेके मान, डा. प्रभु दयाल, डा. पालेराम कटारिया, आशुतोष मौजूद रहे।

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