सूखे में आई बाजरे व मूंग की याद

By Edited By: Publish:Mon, 28 Jul 2014 05:35 PM (IST) Updated:Mon, 28 Jul 2014 05:35 PM (IST)
सूखे में आई बाजरे व मूंग की याद

जागरण संवाददाता, जींद : प्रदेश में कम वर्षा होने की स्थिति में अब कृषि विभाग व किसानों को कम पानी वाली फसलों की याद आने लगी है। हालांकि कृषि विभाग अब भी आसमान से कुछ राहत बरसने की उम्मीद लगाए बैठा है, लेकिन किसान बारिश न होने की सूरत में बाजरा की बिजाई की तरफ अपना रुख करने लग गए हैं। अब तक पांच हजार हेक्टेयर में बाजरा की बिजाई की जा चुकी है।

जिले में अबकी बार अच्छी बरसात न होने के कारण धान के साथ-साथ अन्य फसलें भी प्रभावित हो रही है। जुलाई माह में अब तक केवल 45 एमएम बरसात ही दर्ज की गई है, जोकि पिछले वर्ष के मुकाबले 30 एमएम कम है। बरसात न होने के कारण धान की रोपाई का काम प्रभावित हो रही है। बिन बरसात किसानों ने रोपाई करनी छोड़ दी है और किसान बरसात के इंतजार में हैं।

अब तक जिले में 90 हजार हेक्टेयर धान की बिजाई की जा चुकी है और विभाग ने 99 हजार हेक्टेयर में लक्ष्य निर्धारित किया हुआ है। विभाग की माने तो आने वाले एक सप्ताह तक धान की रोपाई का काम होगा, लेकिन उसके लिए भी पर्याप्त पानी की जरूरत पडे़गी। यदि बरसात अच्छी नहीं होती है तो किसानों को मजबूरन बाजरा, ग्वार की बिजाई करनी होगी। यह फसलें काफी कम पानी लेती है और लगभग एक-दो सिंचाई में 60 दिन के अंक तैयार हो जाती है। फिलहाल कृषि विभाग के सामने भी यही विकल्प है।

बरसात न होने के कारण धान की फसल प्रतिदिन लेट हो रही है। वहीं कृषि विभाग अब भी आसमान की तरफ उम्मीद लगाए बैठा है कि बरसात हो जाएगी, लेकिन ऐसा कम ही लग रहा है। वहीं किसानों ने बरसात की उम्मीद छोड़ बाजरा व ग्वार की फसल की बिजाई करना शुरू कर दिया है। किसानों की माने तो अब उनके पास यही विकल्प बचा हुआ है।

जुलाई में 45 एमएम बरसात

कृषि विभाग के आंकड़ों पर नजर डाले तो अब तक जिले में 45 एमएम बरसात हो सकी है जबकि धान की फसल को देखते हुए काफी कम है। यदि नहीं अबकी बार पिछले वर्ष के मुकाबले भी 30 एमएम बरसात कम दर्ज की गई है। विभाग को उम्मीद है कि आसपास के जिले व क्षेत्रों में हो रही बरसात के चलते जल्द बरसात होगी, जिससे कुछ राहत मिलेगी। कृषि उप निदेशक डॉ. रामप्रताप सिहाग ने कहा कि

क्षेत्रों में बारिश हो रही है। उम्मीद है कि और बारिश होगी। धान की फसल ज्यादा पानी लेती है, इसलिए कम पानी वालों फसलों ग्वार, बाजरा की तरफ भी किसानों को ध्यान देना चाहिए। इस मौसम में यही फसलें विकल्प हो सकती है।

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