दवाई लेण आए थे, डाक्टर न पांच दवाई लिखी थी, दो ए मिली, इसा अस्पताल किस काम का..

जागरण संवाददाता, झज्जर : साहब..खांसी और बुखार होग्या था। अस्पताल मैं दवाई लेण आए थे। डाक्ट

By JagranEdited By: Publish:Thu, 22 Mar 2018 12:55 AM (IST) Updated:Thu, 22 Mar 2018 12:55 AM (IST)
दवाई लेण आए थे, डाक्टर न पांच दवाई लिखी थी, दो ए मिली, इसा अस्पताल किस काम का..
दवाई लेण आए थे, डाक्टर न पांच दवाई लिखी थी, दो ए मिली, इसा अस्पताल किस काम का..

जागरण संवाददाता, झज्जर : साहब..खांसी और बुखार होग्या था। अस्पताल मैं दवाई लेण आए थे। डाक्टर न पांच दवाई लिखी थी,दो ए मिली सै। इब तीन दवाई कित तैं लावां, हाम तो घर मैं दो ए मियां-बीबी सां। दुबारै कोए ल्यावणियां बी कौनी। इसा अस्पताल किस काम का। आड़ै तो गरीब आदमी ए आवैगा। अमीर तो प्राइवेट अस्पताल मैं चल्या जा गा। मेरै पैरां के जोड़ दर्द कर रे सैं डाक्टर न पांच दवाई लिखी थी। दीन दवाई दी सैं वै भी तीन दिन की, इब तीन दिन पाछै दवाई लेण फेर आयो और दो दिन पाछै डाक्टर न दिखाण आयो। इतणे दवाई कोनी देते इतणा भाड़ा लगवा दें सैं। इस प्रकार की बाते सामान्य अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीजों ने कही। सामान्य अस्पताल में इलाज के लिए आए मरीजों से जब दैनिक जागरण ने दवाईयों के बारे में मरीजों से बात की तो उन्होंने इस प्रकार से अपनी बात रखी।

फतेहपुरी गांव निवासी रण¨सह ने कहा कि वे उसे खांसी, बुखार आदि की काफी दिक्कत है उसे दो दवाई देकर टाल दिया। झज्जर निवासी सविता का कहना कि उसके कार्ड पर पर भी डाक्टर ने चार दवाई लिखी थी केवल दो दवाई मिली हैं। झज्जर के आर्य नगर निवासी पुष्पा का कहना है कि उसके पैरों के जोड़ों में दर्द है, पांच में से उस भी दो दवाई मिली हैं। सुरर्खपुर गांव निवासी ताराचंद का कहना है कि उसे एलर्जी की शिकायत थी उसे भी एक दवाई नहीं मिली है।

डिस्पेंसरी के बाहर 120 दवाइयों की सूची लगी, इनमें से 67 प्रकार की दवाइयां उपलब्ध नहीं

शहर के सामान्य अस्पताल में इलाज के लिए आने वाले मरीजों की जांच के बाद चिकित्सक दवाइयां तो उनके कार्ड पर लिख देते हैं। लेकिन वे दवाइयां अस्पताल की डिस्पेंसरी में मिल भी जाएंगी इसकी कोई गारंटी नहीं है। सामान्य अस्पताल की डिस्पेंसरी में कई प्रकार की दवाइयां पिछले काफी समय से खत्म हो चुकी हैं। लेकिन रोहतक के वेयर हाउस में भी दवाइयां न होने के कारण जिला के अस्पतालों में दवाइयों को टोटा हो गया है। खांसी की दवाई, कैल्शियम, मल्टी विटामीन, अमोक्सिक्लेव, बीपी आदि अनेक प्रकार की दवाइयां अस्पताल की डिस्पेंसरी में खत्म हो चुकी हैं। मरीजों को दवाईयों के लिए इधर-उधर भटकना पड़ रहा है। अगर अस्पताल में कोई दवाई है भी तो वह तीन दिन से अधिक नहीं दी जाती है। चाहे चिकित्सक ने एक सप्ताह का कोर्स लिखा हो। अगर एक सप्ताह तक दवाई लेनी पड़ जाए तो मरीज को वे दवाई लेने के लिए दोबारा से अस्पताल आना होगा या फिर उसे बाहर से मोल दवाई खरीद कर इलाज कराना होगा। शहर के सामान्य अस्पताल में हर रोज करीब एक हजार मरीज इलाज के लिए आ रहे है। सामान्य अस्पताल की डिस्पेंसरी के बाहर 120 दवाई की सूची लगाई गई है। इनमें से करीब 67 प्रकार की दवाइयां नहीं हैं। इस सूची पर जो दवाइयां उपलब्ध हैं उनके सामने वाई व जो दवाइयां नहीं हैं उनके सामने एन लिखा हुआ है।

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वेयर हाउस बनने के बाद आ रही समस्या

कुछ वर्ष पहले जिला मुख्यालय पर दवाइयां आती थी। जिला मुख्यालय के सेंटर स्टोर से सभी अस्पतालों को दवाईयों का वितरण होता था। लेकिन इन्हें बंद कर रोहतक में कई जिलों के लिए वेयर हाउस बना दिया गया। उसके बाद से एक माह में एक बार दवाई की आपूर्ति वेयर हाउस से दी जाती है। उस दौरान जो दवाइयां वहां पर होती हैं वे सप्लाई में दे दी जाती हैं। बाकि के लिए फिर से इंतजार शुरू हो जाता है।

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अस्पताल की सफाई व्यवस्था बदहाल

मरीजों की सुविधा के लिए सामान्य अस्पताल में बनाए गए बाथरूम व शौचालयों तक की सफाई समय पर नहीं हो पा रही है। जिसकी वजह से मरीजों को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। वहीं यहां से आने वाली बदबू के कारण वातावरण भी दूषित हो रहा है। लेकिन अस्पताल प्रबंधन की तरफ से इस ओर कोई ध्यान नहीं दिया जा रहा है।

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हर माह दवाइयों के लिए वेयर हाउस को डिमांड भेजी जाती है। जो दवाइयां वेयर हाउस से आती हैं उन्हें मरीजों को वितरित किया जा रहा है। अगर ज्यादा आवश्यकता वाली दवाईयों को टेंडर के माध्यम से खरीदा जाता है।

-डा. मुरारी लाल, एसएमओ, सामान्य अस्पताल, झज्जर।

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