गो-अभयारण्य गाय मौत प्रकरण : हरे चारे की जगह खिलाई तूड़ी, जो गली ही नहीं, आज सौंपेंगे रिपोर्ट
गो-अभयारण्य पहुंची लुवास की टीम सोमवार को गायों के मौत होने की वजह की प्रशासन को सौंपी जाएगी रिपोर्ट। लुवास की जांच में गंभीर परिणाम मिलने की आशंका रिपोर्ट को रखा गया गोपनीय
हिसार, जेएनएन। ढंढूर स्थित गो- अभयारण्य में पशुओं की मौत की वजह व स्वास्थ्य की जांच करने लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय (लुवास) की टीम पहुंची। टीम के साथ पशु पालन विभाग के अधिकारी भी मौजूद रहे। टीम सोमवार को प्रशासन को रिपोर्ट सौंपेगी, जिसके बाद ही स्थिति स्पष्ट होगी कि आखिर पशुओं के स्वास्थ्य पर अचानक से बुरे प्रभाव क्यों पड़ रहे हैं। मगर गो-अभयारण्य मामले में पशुओं के चारा प्रबंधन में बड़ी चूक नजर आ रही है।
दरअसल पशुओं को चारे के रूप में हरा चारा दिया जाना चाहिए था, मगर उन्हें अधिक मात्रा में तूड़ी दी गई, जिसके कारण पशु तूड़ी पचा ही नहीं पाए और लगातार उनकी सेहत खराब होती चली गई। पशु चिकित्सक बताते हैं कि पॉलीथिन या कचरा खाने वाली गायों को अगर गो-अभयारण्य या गोशाला जैसे स्थानों पर लेकर जाएं तो उन्हें हरा चारा खिलाना चाहिए। क्योंकि हरे चारे में नमी होती है, जिससे अफारा नहीं बनता। इसके कारण आंते ब्लॉक नहीं होती। साथ में अगर तेल भी दिया जाता तो तूड़ी से पशुओं की आंतों में ब्लॉकेज नहीं आती।
ब्लॉकेज आने से ही अफारा बनता है। मगर नगर निगम ने गो-अभयारण्य में हरे चारे का बहुतायात में प्रबंधन नहीं किया। पशुओं को तूड़ी खिलाई गई। इसी को लेकर सैकड़ों में पशुओं के पेट में अफारा बन गया और कमजोरी के बाद उनकी मृत्यु हो गई। अब जाकर जीएलएफ यानि गवर्नमेंट लाइवस्टॉक फार्म से हर रोज 50 से 60 ङ्क्षक्वटल हरे चारे का प्रबंध किया गया है। लेकिन यह भी कब तक चलेगा, इसका कोई पता नहीं।
लुवास की टीम ने आइसीयू का भी किया दौरा
टीम में शामिल पशु चिकित्सकों ने पशुओं खाने से लेकर आइसीयू में मौजूद पशुओं की स्थिति का जायजा लिया। एक घंटे तक पूरे गो-अभयारण्य में जांच करने के बाद पशु चिकित्सकों ने रिपोर्ट को लुवास के उच्चाधिकारियों को सौंपा है। रिपोर्ट मिलने के बाद शनिवार को लुवास प्रशासन इस पर मौन रहा। उन्होंने सोमवार को जिला प्रशासन को जांच की विस्तृत रिपोर्ट सौंपने की बात कही है। सूत्रों की मानें तो लुवास की टीम की जांच में गंभीर तथ्य सामने आए हैं। जिसके बाद गो-अभयारण्य मामले में स्थिति कुछ की कुछ हो सकती है।
शनिवार तक नगर निगम के रिकॉर्ड में 1262 पशु
नगर निगम हर रोज जिला प्रशासन को गो-अभयारण्य में पशुओं के स्टेटस रिपोर्ट भेजता है। शनिवार को भेजी गई रिपोर्ट के अनुसार 1262 पशु ही गो-अभयारण्य में बचे हुए हैं। पशुपालन विभाग द्वारा गो-अभयारण्य में पूृर्व में करीब 2500 पशुओं का टीकाकरण किया गया था। तो इसी आंकड़े से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि गो-अभयारण्य में 1200 से अधिक पशु या तो मर गए या कहीं चले गए।
-----मौजूदा समय में 28 गांवों को हमने आब्जर्वेशन पर रखा है। इसके लिए तीन पशु चिकित्सक, दो वीएलडीए, दो पशु सहायक व एक मोबाइल वैन लगाई गई है। शनिवार को एक भी पशु की मृत्यु नहीं हुई। इसके साथ ही पशुओं के स्वास्थ्य में जल्द से जल्द फायदा मिले, इसके लिए लुवास के विशेषज्ञों से भी हमने निरीक्षण कराया।
- डीएस ङ्क्षसधु, डिप्टी डायरेक्टर, पशुपालन विभाग
------मुझे अभी लुवास की रिपोर्ट के बारे में जानकारी नहीं है। मैं रविवार को इसकी रिपोर्ट लूंगा। तभी कुछ कह सकता हूं।
- भानीराम मंगला, चेयरमैन, गोसेवा