डीसी से मिल एचएयू स्टूडेंटस बोले- काउंसिलिंग रोकने पर नहीं कॉलेज बंद करने पर ही खत्म होगा आंदोलन
छात्र और छात्राओं ने कहा कि उन्होंने ये विरोध प्रदर्शन बीएससी एग्रीकल्चर कोर्स के प्राइवेटाइजेशन को रोकने के लिए किया है।
जेएनएन, हिसार : चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में मंगलवार की सुबह स्टूडेंटस फिर से धरने पर बैठ गए। एचएयू गेट नंबर चार के सामने स्टूडेंटस ने एचएयू प्रशासन के खिलाफ सोमवार की तरह ही नारेबाजी की। छात्र और छात्राओं ने कहा कि विरोध प्रदर्शन बीएससी एग्रीकल्चर कोर्स के प्राइवेटाइजेशन को रोकने के लिए किया है काउंसिलिंग को बंद करवाने के लिए नहीं। इसके बाद छात्र नारेबाजी करते हुए रोड से सचिवालय में डीसी से मिलने पहुंचे और उन्हें अपनी समस्या बताई। छात्रों ने कहा कि वीसी का कहना है प्राइवेट कॉलेजों में बीएससी एग्रीकल्चर में दाखिले के लिए होने वाली काउंसिलिंग रोक दी गई है मगर महज काउंसिलिंग रोकने से बात नहीं बनेगी और कॉलेजों को ही बंद करना होगा। उन्होंने कहा तभी हमारा आंदोलन खत्म होगा। छात्राओं ने कहा कि इससे पहले बीएससी एग्रीकल्चर कोर्स महज एचएयू विश्वविद्यालय ही करवाता था मगर अब प्रवेश परीक्षा करवाकर हरियाणा में ही खुली दो अन्य प्राइवेट यूनिवर्सिटी में दाखिला करवाने का प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है। दोनों ही प्राइवेट यूनिवर्सिटी कैथल और बहादुरगढ़ में खोली जा रही है। ऐसे में वहां न तो विश्वविद्यालयों के पास खेती करने के लिए जगह है और ना ही इंफ्रास्ट्रक्चर है। ऐसे में स्टूडेंटस वहां प्रेक्टिकल काम ना के बराबर ही कर पाते हैं। दूसरा उन विश्वविद्यालयों की फीस भी ज्यादा है, इसके कारण बहुत से विद्यार्थी दाखिला ले पाने में भी असमर्थ साबित होते हैं। छात्रों ने कहा कि शहरी क्षेत्र के विद्यार्थी जिन्हें गेहूं और बाजरे के बीच का फर्क नहीं पता होता उन्हें भी प्राइवेट यूनिवर्सिटी कृषि एक्सपर्ट बनाने का दावा करती हैं। इससे पहले भी पंजाब की एक प्राइवेट यूनिवर्सिटी में बीएससी एग्रीकल्चर का कोर्स शुरू करवाया था और वहां से पास आउट होने वाले विद्यार्थियों को नौकरी ही नहीं मिली क्योंकि प्रायोगिक तौर पर वो कुछ नहीं सीख सके। छात्रों ने कहा कि वो कर्नाटक की तरह ही अपने आंदोलन को जारी रखेंगे जब तक उनकी मांग को मान नहीं लिया जाता। उन्होंने बताया कि इसी तरह का प्रस्ताव कर्नाटक में भी लागू किया गया था और करीब दो महीने तक हुए छात्र आंदोलन के बाद उनकी मांग को मानते हुए प्राइवेट यूनिवर्सिटी में बीएससी एग्रीकल्चर के कोर्स को बैन कर दिया गया।
हरियाणा तो देशभर में कृषि प्रधान प्रदेश है इसमें सरकारी विश्वविद्यालय होने के बावजूद प्राइवेट विश्वविद्यालय खोलने की क्या जरूरत है।
छात्रों ने कहा कि उनसे बात करने के लिए अभी तक विश्वविद्यालय की ओर से अभी कोई बड़ा अधिकारी नहीं आया है ऐसे में विरोध प्रदर्शन खत्म करने का तो सवाल ही नहीं उठता। हौटा प्राइवेट विश्वविद्यालयों की काउंसिलिंग के विरोध में
चौधरी चरण ¨सह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय में सोमवार को हरियाणा एग्रीकल्चर विश्वविद्यालय के छात्रों ने प्राइवेट विश्वविद्यालयों की काउंसिलिंग को लेकर विरोध जताया। इसी मुद्दे पर हौटा पदाधिकारियों व हौटा कार्यकारिणी की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में विश्वविद्यालय द्वारा प्राइवेट विश्वविद्यालयों के द्वारा पढ़ाए जाने वाले विद्यार्थियों के लिए की जाने वाली काउंसिलिंग का पुरजोर विरोधकरने का निर्णय लिया गया। हौटा कार्यकारिणी ने अपनी बैठक के बाद माननीय कुलपति से मिलकर 28 तारीख को की जाने वाली काउंसि¨लग को रद्द करने का अनुरोध किया व एक पत्र सौंपकर हौटा की तरफ से इसका विरोध करने का निर्णय के बारे में कुलपति को बताया गया। अपने पत्र में हौटा ने कहा कि इस प्रकार की काउंस¨लग विश्वविद्यालय परिसर में करना विश्वविद्यालय के नियमों का उल्लंघन करना है। हौटा वश्वविद्यालय इस प्रकार काउंसि¨लग से विश्वविद्यालय की साख का फायदा उठाकर विद्यार्थियों को भ्रमित कर सकती है। इस संदर्भ में कुलपति ने हौटा को बताया कि यह पत्र पहले ही वापिस दे दिया गया है।