तीन बार नोटिफिकेशन जारी कर छात्र संघ चुनाव की तारीख घोषित, एक में लिखा भूल हो गई

उच्चतर शिक्षा विभाग ने मेल पर छात्र संघ चुनाव का नोटिफिकेशन जारी किया, लेकिन कुछ देर बाद एक और मेल भेज इसे खारिज कर दिया। अब फिर से नोटिफिकेशन जारी कर कहा इस तारीख को होंगे चुनाव

By Kamlesh BhattEdited By: Publish:Tue, 09 Oct 2018 01:54 PM (IST) Updated:Tue, 09 Oct 2018 05:48 PM (IST)
तीन बार नोटिफिकेशन जारी कर छात्र संघ चुनाव की तारीख घोषित, एक में लिखा भूल हो गई
तीन बार नोटिफिकेशन जारी कर छात्र संघ चुनाव की तारीख घोषित, एक में लिखा भूल हो गई

जेएनएन, चंडीगढ़/हिसार। कभी हां और कभी ना के बीच आखिर प्रदेश सरकार ने मंगलवार को छात्र संघ चुनावों की घोषणा कर दी है। प्रदेश में 22 साल बाद सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में 17 अक्टूबर को चुनाव होंगे। चुनाव प्रत्यक्ष होंगे या अप्रत्यक्ष, इस पर रहस्य बरकरार है क्योंकि उच्चतर शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना में इसका कोई जिक्र नहीं। प्रत्यक्ष चुनाव संघर्ष समिति के बैनर तले इनसो, एनएसयूआइ और एसएफआइ सहित 16 छात्र संगठनों ने दोहराया कि अप्रत्यक्ष चुनाव नहीं होने देंगे और सभी शिक्षण संस्थाओं के गेटों पर ताले जड़कर चुनाव का बहिष्कार करेंगे।

इससे पहले छात्र संघ चुनावों को लेकर खूब ड्रामा हुआ। उच्चतर शिक्षा विभाग के अतिरिक्त मुख्य सचिव की ओर से सुबह सभी विश्वविद्यालयों और कॉलेज मुखियाओं को प्रोफेसर टंकेश्वर कमेटी की सिफारिशों के अनुसार चुनाव कराने के लिखित आदेश जारी कर दिए गए। करीब आधे घंटे बाद विभाग की ओर से सभी शिक्षण संस्थानों को मेल जारी कर पूर्व में दिए आदेशों को रद करने का फरमान जारी कर दिया गया। शिक्षा विभाग के यू-टर्न पर घमासान छिड़ा तो दोपहर बाद फिर से 17 अक्टूबर को ही चुनाव कराने का फैसला ले लिया गया। इसके बाद सभी शिक्षण संस्थाएं चुनाव की तैयारियों में जुट गई हैं।

निजी बीएड और इंजीनियरिंग कॉलेजों में नहीं होंगे चुनाव

प्रदेश के किसी भी सेल्फ फाइनेंस बीएड कॉलेज और इंजीनियरिंग कॉलेजों में छात्र संघ चुनाव नहीं कराए जाएंगे। इसके अलावा वर्ष 2016-17 के बाद खोले गए कॉलेजों को भी चुनाव से अलग रखा गया है, क्योंकि इन कॉलेजों में स्नातक की तृतीय वर्ष की कक्षाएं शुरू नहीं हो सकी हैं। सभी कॉलेजों और विश्वविद्यालयों को एक्ट और संस्थान के संविधान के अनुसार चुनाव कराने होंगे।

1996 में बंसीलाल ने लगाई थी रोक

छात्र संघ चुनावों में खून-खराबे को देख वर्ष 1996 में तत्कालीन मुख्यमंत्री बंसीलाल ने यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में चुनाव पर रोक लगा दी थी। तभी से छात्र संगठन चुनाव बहाल करने की मांग उठाते आ रहे थे। इस दौरान इनेलो और कांग्रेस की सरकारें रहीं, लेकिन किसी ने छात्र संघ चुनाव कराने की हिम्मत नहीं जुटाई।

नोमिनेशन से हुआ चुनाव तो बहिष्कार

यूनिवर्सिटी और कॉलेजों में नोमिनेशन से सीआर (कक्षा प्रतिनिधि) और डीआर (विभाग प्रतिनिधि) चुनने की कोशिश की गई तो प्रत्यक्ष चुनाव संघर्ष समिति सभी शिक्षण संस्थानों पर ताले जड़ देगी। अप्रत्यक्ष चुनाव की स्थिति में इनसो, एनएसयूआइ और एसएफआइ सहित विभिन्न छात्र संगठनों ने जहां चुनाव बहिष्कार का एलान किया है, वहीं भाजपा के छात्र संगठन अभाविप ने भी प्रत्यक्ष चुनाव की मांग दोहराई। हालांकि पार्टी दोनों ही सूरत में चुनावी प्रक्रिया में शामिल होगी। इनसो के राष्ट्रीय अध्यक्ष दिग्विजय चौटाला, एसएफआइ के प्रदेशाध्यक्ष शहनवाज और एनएसयूआइ के प्रदेश अध्यक्ष दिवांशु बुद्धिराजा ने कहा कि चुनाव को लेकर एक ही दिन में तीन बार निर्णय बदले जाने से साफ है कि सरकार की मंशा साफ नहीं। 

प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष चुनावों में अंतर

प्रत्यक्ष चुनाव के तहत कॉलेज या विश्वविद्यालय के अध्यक्ष, उपाध्यक्ष, महासचिव और संयुक्त सचिव समेत तमाम पदाधिकारी सीधे वोटिंग के जरिये चुने जाते हैैं। अप्रत्यक्ष चुनाव में सिर्फ सीआर और डीआर चुन लिए जाते हैैं। फिर चुने हुए सीआर अपने में से किसी को अध्यक्ष या उपाध्यक्ष समेत अन्य पदों पर नामित कर सकते हैैं।

सीएम ने बुलाई सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक

चुनाव पर चर्चा के लिए मुख्यमंत्री मनोहर लाल ने सभी विश्वविद्यालयों के कुलपतियों की बैठक बुलाई है। इसमें तमाम पहलुओं पर चर्चा के बाद अंतिम निर्णय लिया जाएगा कि चुनाव प्रत्यक्ष तरीके से कराएं या फिर अप्रत्यक्ष चुनाव का निर्णय बरकरार रखा जाए। हालांकि मुख्यमंत्री का साफ मत है कि इस साल अप्रत्यक्ष चुनाव ही कराए जाएं और अगले साल से प्रत्यक्ष चुनाव कराए जा सकते हैं।

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