फतेहाबाद में खुले स्कूल, मेडिकल सर्टिफिकेट और अभिभावकों का अनुमति पत्र नहीं दिखा पाए कई विद्यार्थी, घर लौटाए

25 दिन बाद खुले स्कूल पहले दिन रही बच्चों की संख्या कम। प्राइवेट स्कूलों में भी दिखी लापरवाही अनेक स्कूल संचालकों ने मेडिकल प्रमाण पत्र भी नहीं देखा। ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में नौेवीं व ग्यारहवीं कक्षाओं के विद्यार्थियों को भी बुलाया। अधिकारी बोले ऐसे स्कूल संचालकों पर होगी कार्रवाई।

By Umesh KdhyaniEdited By: Publish:Mon, 14 Dec 2020 01:28 PM (IST) Updated:Mon, 14 Dec 2020 01:28 PM (IST)
फतेहाबाद में खुले स्कूल, मेडिकल सर्टिफिकेट और अभिभावकों का अनुमति पत्र नहीं दिखा पाए कई विद्यार्थी, घर लौटाए
विद्यार्थियों को स्कूल में प्रवेश करने से पूर्व सभी नियमों को पालन करना पड़ा।

हिसार/फतेहाबाद, जेएनएन। कोरोना के कारण पिछले 25 दिनों से बंद पड़े स्कूल एक बार फिर खुल गए हैं। इस बार केवल दसवीं व बारहवीं की कक्षाएं लगनी शुरू हुई है। पहले दिन उसी विद्यार्थी को स्कूल में प्रवेश मिला जिसके पास स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र था। वहीं अभिभावकों की अनुमति प्रमाण पत्र भी अनिवार्य था।

पहले दिन सभी स्कूलों में विद्यार्थियों की संख्या बहुत कम रही। जिले में विद्याथियों की संख्या 21 हजार के करीब है। लेकिन पहले दिन पहुंच पांच हजार से कम ही विद्यार्थी स्कूल में आए। फतेहाबाद के सरकारी स्कूल में अनेक ऐसे विद्यार्थी भी स्कूल आ गए जिनके पास न तो अभिभावकों का अनुमति प्रमाण पत्र था और न ही स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र। ऐसे में विद्यार्थियों को वापस घर भेज दिया और कहा कि जब तक कागजात पूरे ना हो तब तक वो स्कूल में नहीं आ सकते। 

स्क्रीनिंग के साथ हुई एंट्री

कोरोना नियमों का सख्ती से पालन हो इसके लिए सभी स्कूल संचालकों को आदेश दे दिए थे। शहर के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय में विद्यार्थियों को स्कूल में प्रवेश करने से पूर्व सभी नियमों को पालन करना पड़ा। स्कूल में प्रवेश से पूर्व मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया। वहीं हाथ भी साबुन से साफ करवाए गए। इसके अलावा मुख्य द्वारा पर विद्यार्थियों की स्क्रीनिंग की गई। स्क्रीनिंग करने के बाद सैनिटाइजर से हाथ भी साफ करवाए गए। उसके बाद कक्षा में प्रवेश करने दिया गया। कक्षा में प्रवेश से पूर्व उसका स्वस्थ होने का प्रमाण पत्र व अभिभावकों द्वारा जारी किया गया अनुमति प्रमाण पत्र भी जमा करवाना पड़ा। 

स्टाफ सदस्यों ने जमा नहीं करवाया मेडिकल प्रमाण पत्र

शिक्षा विभाग ने आदेश दिए थे कि स्कूल स्टाफ व विद्यार्थियों को भी स्कूल में प्रवेश करने से पूर्व 72 घंटे तक का मेडिकल प्रमाण पत्र दिखाना होगा। लेकिन स्कूल के स्टाफ सदस्यों ने ऐसा नहीं किया। किसी के पास 10 दिन पहले का तो किसी के पास कोरोना टेस्ट करवाने का मेडिकल प्रमाण पत्र मिला। एेसे में स्टाफ सदस्यों ने नियमों काे दरकिनार किया। वहीं शिक्षा विभाग के अधिकारियों की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़ा हो रहा है। विद्यार्थियों के सभी दस्तावेज चेक हुए लेकिन स्टाफ सदस्यों का मेडिकल प्रमाण पत्र की जांच क्यों नहीं की गई। 

प्राइवेट स्कूलों में दिखी लापरवाही

जिले के अनेक प्राइवेट स्कूल संचालकों ने तो नौवीं से बारहवीं तक के विद्यार्थियों को स्कूल में बुला लिया। स्वास्थ्य विभाग जब कह रहा है कि अभी तक हमारे पास केवल 10 फीसद ही विद्यार्थी प्रमाण पत्र लेने आए है तो सभी स्कूलों में विद्यार्थी कैसे पहुंच गए। आदेश तो ये थे कि केवल दसवीं व बारहवीं के विद्यार्थी ही स्कूलों में आ सकते है। सबसे अधिक लापरवाही ग्रामीण क्षेत्र के स्कूलों में दिखी। सभी जगह अधिकारी निरीक्षण करने के लिए नहीं जा सकते। ऐसे में यहां पर नियमों को दरकिनार किया गया। अगर इन स्कूलों में फिर से कोरोना के मरीज आ गए तो इसका जिम्मेदार कौन होगा। 

नियमों की अनदेखी पर कार्रवाई के आदेश

फतेहाबाद के जिला शिक्षा अधिकारी दयानंद सिहाग ने बताया कि स्कूल में कितने विद्यार्थी आए हैं इसका डाटा शाम तक आएगा। वहीं स्कूल संचालकों को आदेश दिया गया था कि नियमों का पालन हो। हमारी टीम लगी हुई है। अधिकारियों को भी आदेश दिया है कि अगर कहीं नियमों की अनदेखी हुई है तो उन पर कार्रवाई करे। 

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