सिरसा से चुनाव लड़ना चाहती हैैं सर्बजीत की बहन दलबीर, बनेंगे नए समीकरण

ग्रेजुएट दलबीर कौर मूल रूप से तरनतारण (पंजाब) के गांव भीर्खींवद की रहने वाली हैं। वर्ष 2016 में भाजपा में शामिल हुई थीं।

By manoj kumarEdited By: Publish:Tue, 26 Mar 2019 01:02 PM (IST) Updated:Wed, 27 Mar 2019 11:52 AM (IST)
सिरसा से चुनाव लड़ना चाहती हैैं सर्बजीत की बहन दलबीर, बनेंगे नए समीकरण
सिरसा से चुनाव लड़ना चाहती हैैं सर्बजीत की बहन दलबीर, बनेंगे नए समीकरण

डबवाली (सिरसा) [डीडी गोयल] अपने छोटे भाई सर्बजीत सिंह की रिहाई के लिए पाकिस्तान जाकर लंबी कानूनी लड़ाई लड़ने वाली दलबीर कौर (64) भाजपा के टिकट पर सिरसा से लोकसभा चुनाव लड़ना चाहती हैं। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) के एक नेता के माध्यम से भाजपा की चुनाव समिति की बैठक से दो दिन पूर्व 19 मार्च को उनका आवेदन दाखिल कराया गया। ग्रेजुएट दलबीर कौर मूल रूप से तरनतारण (पंजाब) के गांव भीर्खींवद की रहने वाली हैं। वर्ष 2016 में भाजपा में शामिल हुई थीं।

बकौल दलबीर कौर सिरसा सिख पंजाबी बहुल इलाका है। मैं वहां आती-जाती रहती हूं। मेरे अच्छे संपर्क हैं। भाजपा, आरएसएस के साथ-साथ अन्य राजनीतिक दलों के बहुत से नेता, पदाधिकारी चाहते हैं कि मैं सिरसा लोकसभा से चुनाव लडूं। मेरे नेतृत्व में बहुत से लोग भाजपा ज्वाइन करना चाहते हैं। निश्चित तौर पर मैं जीत दर्ज करूंंगी। भाजपा प्रदेशाध्यक्ष सुभाष बराला से मेरी मुलाकात हुई है। जब वे विधानसभा चुनाव लड़े थे, तब मैं उनका प्रचार करने आई थी। इधर सिरसा के गुरभेज सिंह ने बताया कि उनकी बुआ दलबीर कौर का सिरसा से गहरा नाता है। सिरसा लोकसभा में 60 फीसद से ज्यादा पंजाबी हैं। ऐसा कोई पंजाबी चेहरा नहीं है, जिसने टिकट के लिए आवेदन किया हो। इसलिए हमारी दावेदारी सबसे मजबूत है।

दलबीर कौर प्रबल दावेदार

भाजपा सूत्रों के अनुसार पैनल में सुनीता दुग्गल, कृष्ण बेदी तथा हंसराज हंस का नाम शामिल है। सुनीता दुग्गल के साथ-साथ दलबीर कौर को सबसे प्रबल दावेदार माना जा रहा है। भाजपा जातीय कार्ड खेलने की इच्छुक है। इसलिए दलबीर कौर तथा कृष्ण बेदी का नाम चर्चा में है। पिछले दिनों पूर्व एडीजीपी वी. कामराजा का नाम भी चर्चा में आया था।

मार दिए गए थे सर्बजीत

कबड्डी के बेहतरीन खिलाड़ी सर्बजीर्त सिंह अगस्त 1990 में भूलवश पाकिस्तानी सीमा में प्रवेश कर गए थे। पाकिस्तानी कर्नल ने उन्हें पकड़ लिया था। भारतीय खुफिया एजेंसी रॉ का एजेंट बताते हुए उन पर जासूसी के आरोप लगाए। उन्हें लाहौर, मुल्तान, फैसलाबाद के बम धमाकों का आरोपी बनाया गया था। 26 अप्रैल 2013 को लाहौर स्थित सेंट्रल जेल में कुछ कैदियों ने ईंट, लोहे की सलाखों, रॉड से सर्बजीत पर हमला कर दिया था। नाजुक हालत में उन्हें जिन्ना अस्पताल में दाखिल कराया गया था। 1 मई 2013 को डॉक्टरों ने ब्रेनडेड घोषित कर दिया था। अगले दिन उनको मृत बता दिया था। पैनल में कई नाम हैैं, जिनके बारे में चुनाव कमेटी ने फैसला लिया है। पैनल तय होने के बाद मैं कोई कमेंट नहीं कर सकता।

सुभाष बराला, प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा हरियाणा।

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