जहां चाह, वहां राह की कहावत को सार्थक कर रहा रोहतक का बुजुर्ग दपंती, युवा भी जज्‍बा देख हैरान

राष्ट्रीय स्तर की दो मास्टर एथलीट प्रतियाेगिताओं में रोहतक के बुजुर्ग दंपती ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराते हुए 17 मेडल जीते हैैं। रोहतक के 67 वर्षीय अत्तर सिंह मलिक व उनकी 62 वर्षीय पत्नी वीरमती देवी मलिक ने दो अलग अलग राष्ट्रीय मास्टर एथलीट प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया।

By Manoj KumarEdited By: Publish:Fri, 27 May 2022 08:44 AM (IST) Updated:Fri, 27 May 2022 08:44 AM (IST)
जहां चाह, वहां राह की कहावत को सार्थक कर रहा रोहतक का बुजुर्ग दपंती, युवा भी जज्‍बा देख हैरान
मोखरा के बुजुर्ग दंपती नेशनल प्रतियोगिताओं में लहरा रहे परचम

जागरण संवाददाता, रोहतक : देश विदेश में होने वाली प्रतियोगिताओं में शानदार प्रदर्शन कर मेडल जीतने में केवल रोहतक के युवा ही अग्रणी नहीं रहते हैं बल्कि यहां के यहां के बुजुर्ग खिलाड़ी भी उनसे पीछे नहीं हैं। हाल ही में हुई राष्ट्रीय स्तर की दो मास्टर एथलीट प्रतियाेगिताओं में रोहतक के बुजुर्ग दंपती ने अपनी प्रतिभा का परचम लहराते हुए 17 मेडल जीते हैैं। इस दंपती की हर तरफ सराहना की जा रही है। रोहतक के सेक्टर चौदह निवासी 67 वर्षीय अत्तर सिंह मलिक व उनकी 62 वर्षीय पत्नी वीरमती देवी मलिक ने दो अलग अलग राष्ट्रीय मास्टर एथलीट प्रतियोगिताओं में प्रतिभाग किया।

मूल रूप से रोहतक के मोखरा गांव निवासी इस दंपती की प्रतिभा का हर कोई कायल है। उन्होंने कर्नाटक के बैंगलुरु व केरल के तिरुवंतपुरम में 12 से 21 मई तक आयोजित अलग अलग प्रतियोगिता में उम्दा प्रदर्शन कर सभी को हैरान कर दिया। इन दस दिनों में उन्होंने आठ स्वर्ण, छह सिल्‍वर व तीन ब्राउंज मेडल सहित कुल 17 मेडल झटक कर नया कीर्तिमान स्थापित किया है। अतर सिंह ने अब तक 200 से अधिक मेडल जीत लिए हैं।

स्कूल के उपप्रधानाचार्या पद से सेवानिवृत अतर सिंह व प्रधानाचार्या पद से सेवानिवृत उनकी पत्नी वीरमती रोजाना मैदान पर प्रैक्टिस करते हैं। वे रोजाना यहां महर्षि दयानंद विश्वविद्यालय के खेल मैदान पर प्रैक्टिस करते हैं। सेवानिवृति के बाद अनेक व्यक्त बीमारियों और दवाईयों में ही उलझे रहते हैं। जिनके चलते वे अस्पतालों के चक्कर लगाते रहते हैं। लेकिन इस दंपतीका दावा है कि वे पिछले रोजाना मैदान पर पसीना बहाते हैं तो बीमारियां भी उनसे दूर रहती हैं।

युवाओं के लिए बने मिसाल :

आजकल अनेक युवा कसरत नहीं करते हैं और बीमारियों की चपेट में आ जाते हैं। ऐसे युवाओं के लिए ये दंपतीमिसाल पेश कर रहे हैं। वे सेवानिवृत हुए अन्य लोगों के लिए भी उदाहरण बने हुए हैं। वे अब तक एक नहीं बल्कि अनेक बार प्रदेश का नाम रोशन कर चुके हैं। उनका कहना है कि सेवानिवृति के बाद बच्चे भी अपने अपने रोजगार में लगे हुए हैं। ऐसे में दोनों ने रोजाना सुबह-शाम मैदान का रुख किया और तभी से दोनों मेडल जीत रहे हैं।

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