आंदोलन के कारण नुकसान, परेशानी, अपराध और अराजकता का दर्द झेल रहे बहादुरगढ़ वासी
सीमाओं पर चल रहे आंदोलन के कारण नुकसान और परेशानी के साथ-साथ जो आपराधिक और अराजकता की घटनाएं हो रही हैं उनके कारण बहादुरगढ़ वासियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। लोग बुरी तरह से परेशान हैं और यहां से इन्हें उठाए जाने की मांग कर रहे हैं
बहादुरगढ़, जेएनएन। करीब सात माह से दिल्ली की सीमाओं पर चल रहे आंदोलन के कारण नुकसान और परेशानी के साथ-साथ जो आपराधिक और अराजकता की घटनाएं हो रही हैं, उनके कारण बहादुरगढ़ वासियों में आक्रोश बढ़ता जा रहा है। इस आंदोलन के कारण उद्योग और व्यापार का कितना घाटा इस शहर ने उठाया है, इसका तो अब कोई हिसाब-किताब ही नहीं रहा है। न जाने इसके कारण कितने रोजगार छूट चुके हैं। टीकरी बार्डर दिल्ली का मुख्य रास्ता है, लेकिन यह बंद है। इसके कारण न जाने हजारों लोग कितनी परेशानियां झेल रहे हैं।
अब तो लोगों ने इसकी आदत बना ली है, लेकिन उनके अंदर दर्द कितना है, वे ही जानते हैं। रह-रहकर आंदोलन के बीच हो रही आपराधिक घटनाएं लोगों में इस गुस्से को और बढ़ाने के लिए काफी हैं। अनेकों बार इस आंदोलन को खत्म किए जाने की अपील हो चुकी है। लोग अपनी परेशानी बता चुके हैं, मगर आंदोलनकारी भी अपनी जिद पर अड़़े हैं। अजराकता से भरी कई घटनाएं हाे चुकी हैं। हर दूसरे-तीसरे दिन रात को आंदोलनकारी बाईपास पर जाम लगा देते हैं। इसके कारण भी राहगीर परेशान होते हैं, मगर करे तो क्या करें। अब हाल ही में कसार गांव की सीमा में आंदोलन स्थल पर जो घटना हुई, उससे एक बार फिर आक्राेश चरम पर है।
यहां के लोग आंदोलनकारियों को गांव की सीमा से हटाने और दूसरी जगह भेजने की मांग कर रहे हैं। शुरूआत में तो यहां के लोगों ने भी आंदोलन में सहयोग किया। चंदा दिया और दूध-राशन पहुंचाया, मगर अब वे तंग आ चुके हैं। इसी तरह की परेशानी पूरा शहर उठा रहा है। आसपास के अनेको गांव के लोग परेशान हैं। उनका कहना है कि किसान के नाम पर हो रहे इस आंदोलन को लेकर यदि कोई अपनी परेशानी भी बताता है तो उसे किसान विरोधी ठहराने की कोशिश हो रही है। सवाल यह है कि आखिर कब तक यह सब चलेगा।