Lok Sabha Election 2024: रणजीत चौटाला विधायकी से दे चुके इस्तीफा, मंत्री पद से देंगे या नहीं? क्या कहता है कानून

भाजपा में शामिल हुए रानियां से पूर्व निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह चौटाला ने विधायकी पद से तो इस्तीफा दे दिया लेकिन वो अभी भी मंत्री बने हुए हैं। ऐसे में सवाल उठता है कि क्या वह मंत्री पद से भी इस्तीफा देंगे। हालांकि रणजीत चौटाला के मंत्री बने रहने में कोई भी कानूनी अवरोध नहीं है। विधानसभा के इतिहास में आज तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं है।

By Anurag Aggarwa Edited By: Monu Kumar Jha Publish:Thu, 28 Mar 2024 08:40 PM (IST) Updated:Thu, 28 Mar 2024 08:40 PM (IST)
Lok Sabha Election 2024: रणजीत चौटाला विधायकी से दे चुके इस्तीफा,  मंत्री पद से देंगे या नहीं? क्या कहता है कानून
Haryana News: रणजीत चौटाला के मंत्री बने रहने में नहीं कानूनी अवरोध। फाइल फोटो

HighLights

  • रणजीत चौटाला के मंत्री बने रहने में नहीं कानूनी अवरोध।
  • विधानसभा के इतिहास में आज तक ऐसा कोई उदाहरण भी मौजूद नहीं।
  • ताऊ देवीलाल के छिटके वोट बैंक पर भाजपा की रणनीतिक निगाह।

राज्य ब्यूरो, चंडीगढ़। हरियाणा (Haryana News) के राजनीतिक गलियारों में आजकल सिर्फ एक ही चर्चा है कि रानियां से निर्दलीय विधायक के पद से इस्तीफा दे चुके रणजीत सिंह चौटाला (Ranjit Singh Chautala) मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी (CM Nayab Saini) की सरकार में मंत्री बने रह सकेंगे अथवा मंत्री पद से भी उन्हें इस्तीफा देना होगा। हरियाणा विधानसभा (Haryana Assembly) के इतिहास में आज तक ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जब विधायक पद से इस्तीफा देने के बाद भी कोई मंत्री बना रह सका हो।

विधानसभा के इतिहास में ऐसा कोई उदाहरण नहीं

कानून ने हालांकि विधानसभा के मौजूदा सदन में गैर विधायक और पूर्व विधायक की परिभाषा में अंतर स्पष्ट कर रखा है, जिसके मुताबिक रणजीत सिंह चौटाला विधायक नहीं होते हुए भी मंत्री बने रह सकते हैं, लेकिन राज्य में पिछली ऐसी कोई हिस्ट्री नहीं होने की वजह से नैतिकता उन पर मंत्री पद से इस्तीफा देने का दबाव बना रही है।

देश के पूर्व उप प्रधानमंत्री ताऊ देवीलाल (Tau Devi Lal) के छोटे बेटे रणजीत सिंह चौटाला को भाजपा (Haryana BJP) ने हिसार लोकसभा सीट (Hisar Lok Sabha Seat) से अपना उम्मीदवार बनाया है। सिरसा रैली के बाद जब केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह (Amit Shah) सिरसा में रणजीत चौटाला के घर चाय पीने गए, तभी से चौटाला की निगाह हिसार लोकसभा सीट पर टिक गई थी।

भजनलाल का परिवार जता चुका एतराज

कई मौके ऐसे आए, जब उन्होंने खुलकर हिसार लोकसभा सीट से टिकट मांगा लेकिन उनकी इस मांग को राजनीतिक गलियारों में इसलिए अनदेखा किया जाता रहा, क्योंकि किसी को नहीं लग रहा था कि भाजपा रणजीत चौटाला को हिसार से टिकट देने का चौंकाने वाला निर्णय ले सकती है। ऐसा हुआ और टिकट के तलबगार कुलदीप बिश्नोई, रणबीर गंगवा, कैप्टन अभिमन्यु तथा कैप्टन भूपेंद्र सिंह की उम्मीदों पर तुषारापात हो गया।

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रणजीत चौटाला को लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Election 2024) लड़वाने के पीछे भाजपा ने ताऊ देवीलाल के परिवार के इधर-उधर छिटके वोट बैंक को अपनी तरफ आकर्षित कराने की रणनीति ने काम किया है। रणजीत चौटाला को जब टिकट मिला, तब वह रानियां विधानसभा सीट से निर्दलीय विधायक थे।

उन्होंने विधानसभा स्पीकर के पास जो इस्तीफा भेजा। उस पर 24 मार्च की डेट है। यानी भाजपा में शामिल होने से पहले ही उन्होंने कागजों में इस्तीफा दे दिया था, जिसका मतलब साफ है कि चौटाला दल बदल कानून का उल्लंघन करने के दायरे में नहीं आते। अब सवाल उठता है कि विधायक पद से इस्तीफा दे चुके चौटाला बिजली व जेल मंत्री पद से इस्तीफा देंगे अथवा मंत्री बने रहेंगे।

रणजीत चौटाला के मंत्री पद को लेकर यह कहता है कानून

पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट के एडवोकेट हेमंत कुमार के अनुसार इस माह 12 मार्च को मंत्री पद की शपथ लेते समय रणजीत चौटाला विधायक थे, इसलिए उस आधार पर उनका मंत्रिमंडल से भी त्यागपत्र देना बनता है, जो मुख्यमंत्री के मार्फत राज्यपाल को सौंपा जा सकता है। हालांकि विधायक न होते हुए भी कोई व्यक्ति प्रदेश का मुख्यमंत्री या मंत्री नियुक्त हो सकता है।

बशर्ते उस नियुक्ति के छह महीने के भीतर वह विधायक बन जाए, जैसे वर्तमान मुख्यमंत्री नायब सैनी भी मौजूदा विधानसभा के सदस्य नहीं हैं। रणजीत चौटाला के मामले में उनकी अधिकतम छह महीने तक मंत्री बने रहने की उपरोक्त अवधि उनके विधायक पद से दिए गए त्यागपत्र के स्वीकार होने की तारीख से ही आरंभ होगी।

अभी तक रणजीत चौटाला का इस्तीफा स्वीकार नहीं हुआ है, सिर्फ स्पीकर के पास पहुंचा है। हेमंत के अनुसार आज से पहले ऐसा कोई उदाहरण नहीं है, जब कोई विधायक पद से त्यागपत्र देकर मंत्री बना रहा हो।

भारत के संविधान के अनुच्छेद 164 (4) में यह प्रविधान है कि कोई भी व्यक्ति बिना विधायक बने भी छह माह तक मंत्री रह सकता है, लेकिन रणजीत चौटाला को भाजपा ने लोकसभा उम्मीदवार बनाया है तो ऐसे में नैतिकता के आधार पर उनका मंत्रिमंडल में रहने का कोई औचित्य नहीं बनता, परंतु इसमें कोई कानूनी अवरोध भी नहीं है।

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