पद्मभूषण अवार्ड से सम्‍मानित हैं छोटूराम की प्रतिमा के निर्माता, जानें ये भी खासियत

दीनबंधु की सांपला संग्रहालय में लगाई गई प्रतिमा को बनाने में प्रदेश के गांवों से कृषि कार्यों में इस्तेमाल करीबन 5500 किलोग्राम लोहा। चबूतरे निर्माण में नौ नदियों के जल का इस्तेमाल

By manoj kumarEdited By: Publish:Tue, 09 Oct 2018 12:34 PM (IST) Updated:Tue, 09 Oct 2018 12:47 PM (IST)
पद्मभूषण अवार्ड से सम्‍मानित हैं छोटूराम की प्रतिमा के निर्माता, जानें ये भी खासियत
पद्मभूषण अवार्ड से सम्‍मानित हैं छोटूराम की प्रतिमा के निर्माता, जानें ये भी खासियत

रोहतक [अरुण शर्मा]  सांपला में लगने वाली दीनबंधु चौधरी छोटूराम की प्रतिमा आकर्षक होने के साथ ही बेहद खास भी है। पदम भूषण व पदमश्री राम वी सुतार व उनकी टीम ने छोटूराम की प्रतिमा को तरासने का काम किया है। राम सुतार की टीम ही सरदार वल्लभ भाई पटेल की सबसे ऊंची प्रतिमा को तैयार कर रहे हैं। नर्मदा नदी(गुजरात) के तट पर 522 फीट ऊंची प्रतिमा लगाने का कार्य अंतिम चरण में है।

राम सुतार के बेटे अनिल सुतार कहते हैं कि छोटूराम की प्रतिमा में कांसे का उपयोग हुआ है। कांसे की प्रतिमा होने के कारण भूकंप से लेकर बरसात, तपती दोपहरी आदि से सैकड़ों साल तक प्रतिमा को नुकसान नहीं होगा। प्रतिमा की दूसरी खासियत यह है कि इसमें स्टेनलेस स्टील भी लगाया गया है। इस वजह से बरसात का प्रतिमा पर कोई असर नहीं होगा। प्रतिमा को आकर्षक बनाने के लिए छोटूराम की सभी पुरानी तस्वीरें देखी गईं। इसी के बाद बेहतर ग्राफिक्स तैयार किया गया। फिर प्रतिमा को हूबहू रूप दिया गया।

महाराष्ट्र से आकर नोएडा बस गए

रोहतक के सांपला में छोटूराम की प्रतिमा का नौ अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अनावरण करेंगे। इस प्रतिमा को तैयार करने वाले राम वी सुतार को 2016 में पदम भूषण मिल चुका है। जबकि 1999 में पदमश्री भी मिल चुका है। राम सुतार के बेटे अनिल सुतार कहते हैं कि महाराष्ट्र के धूलिया जिले के रहने वाले थे। मगर वर्षों पहले नोएडा में आकर बस गए। देश के साथ ही दुनियाभर में इनके हाथों से तैयार तमाम प्रतिमाएं लगा चुके हैं। राम सुतार 1947 से प्रतिमाएं तैयार कर रहे हैं।

एक साल में तैयार हुई प्रतिमा

प्रतिमा की खासियत के बारे में पदमश्री व पदम भूषण राम सुतार के बेटे अनिल का कहना है कि हमारी टीम में करीब 100 सदस्य शामिल हैं। टीम में शामिल प्रत्येक व्यक्ति की अलग-अलग जिम्मेदारी भी मान सकते हैं। ढांचे से लेकर आकृति तैयार करना और ऊपरी फिनिशिंग तब टीमवर्क का हिस्सा होता है। अनिल कहते हैं कि प्रतिमा की ऊंचाई 36 फीट होगी, जबकि प्रतिमा जिस स्थान पर रखी जाएगी वहां फाउंडेशन 28 फीट ऊंचा होगा। इसलिए प्रतिमा की कुल ऊंचाई 64 फीट है।

कुरूक्षेत्र में भगवान कृष्ण-अर्जुन के रथ को भी किया था तैयार

राम सुतार के हाथों से तरासी गई हरियाणा में छोटूराम की दूसरी प्रतिमा होगी। साल 2008 में कुरूक्षेत्र में भगवान श्रीकृष्ण और अर्जुन के रथ की आकर्षक प्रतिमा इन्होंने ही तैयार की थी। अमृतसर(पंजाब) में 150 फीट ऊंची तलवार भी लगा चुके हैं। फिलहाल दूसरी कई बड़ी व ऊंची प्रतिमाएं लगाने की तैयारियों में भी जुटे हैं।

शिवाजी महाराज की 400 फीट ऊंची व आंबेडकर की 250 फीट ऊंची प्रतिमा करेंगे तैयार

अनिल ने आगामी योजनाएं बताते हुए कहा कि महाराष्ट्र में शिवाजी महाराज की 400 फीट ऊंची प्रतिमा लगाने का कार्य जल्द ही शुरू होना है। इनके अलावा मुंबई में 250 फीट ऊंची प्रतिमा को भी लगाने की शुरूआत करने वाले हैं। इनके अलावा पटना(बिहार) में 40 फीट ऊंची महात्मा गांधी की प्रतिमा भी लगा चुके हैं।

पद्मश्री और पद्मभूषण अवार्ड से सम्‍मानित हैं निर्माता

-दीनबंधु की सांपला संग्रहालय में लगाई गई प्रतिमा को बनाने में प्रदेश के गांवों से कृषि कार्यों में इस्तेमाल करीबन 5500 किलोग्राम लोहा इक्ट्ठा किया गया।

-चबूतरे निर्माण में नौ नदियों के जल का भी इस्तेमाल किया गया है।

-प्रतिमा के निर्माण पर करीब 2 करोड रुपये की लागत आई है। इसमें जिंक, लेड और तांबे का भी इस्तेमाल हुआ है और प्रतिमा को कभी जंग भी नहीं लगेगा।

-चबूतरे समेत प्रतिमा की कुल ऊंचाई 64 फुट की होगी। प्रतिमा के रंग को कभी कभी बदला जा सकता है लेकिन आगामी 20 साल तक  इसकी जरूरत नहीं होगी।

-प्रतिमा को तैयार करने वाला भी कमाल के शिल्पकार हैं। राम वी सुतार देश के ख्यातिप्राप्त पदमश्री और प्रदमभूषण से सम्मानित कलाकार हैं। देश और विदेश में स्थापित गांधी जी व पटेल जी की अधिकतर मूर्तियां उन्होंने ही बनाई है।

- स्टेच्यू अाफ यूनिटी का डिजाइन भी उन्होंने ही बनाया था। महाराष्ट्र में स्थापित होने वाली भगवान शिव की प्रतिमा भी वो ही तैयार करवा रहे हैं जो दुनिया में सबसे बडी होगी।

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